Thursday, March 13, 2025
Thursday, March 13, 2025
Homeछत्तीसगढगरियाबंद में लोगों के दांत पीले पड़े, हड्डियां टेढ़ी हुई: 40...

गरियाबंद में लोगों के दांत पीले पड़े, हड्डियां टेढ़ी हुई: 40 गांवों के पानी में मिला फ्लोराइड; 100 से ज्यादा ग्रामीण प्रभावित – Gariaband News


गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में 40 गांवों के पीने के पानी में फ्लोराइड मिला है। जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है। यहां 90 पेयजल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा पाई गई है।

.

चार साल पहले समस्या को देखते हुए 40 स्कूलों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण स्कूली बच्चे और ग्रामीण इनका उपयोग नहीं कर रहे हैं।

इन गांवों में डेंटल और स्केलटल फ्लोरोसिस के 100 से अधिक मरीज मिले हैं। प्रभावित लोगों के दांत पीले पड़ गए हैं और हड्डियां टेढ़ी हो गई हैं। वहीं किडनी रोगियों के गांव कहे जाने वाले सुपेबेड़ा में भी जांच की गई जहां फ्लोराइड की मात्रा कम पाई गई है।

सफेद शर्ट में नांगलदेही निवासी मधु यादव 8 साल से इनके पैर की हड्डी टेढ़ी हो गई है। उनके घर के पानी का भी सैंपल लिया गया।

17 गांवों में मिला फ्लोराइड

देवभोग क्षेत्र में पिछले 1 साल में 94 गांवों के 175 जल नमूनों की जांच की गई। इनमें नांगलदेही, सीतलीजोर, खुटगांव, करचिया, चिचिया और मूड़ागांव समेत 17 गांवों के 51 जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा सबसे अधिक है।

6 करोड़ खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए

स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे में साल 2015 में दांत पीले वाले 1500 से ज्यादा स्कूली बच्चों का खुलासा हुआ था। जिसके बाद हुई ग्राउंड वाटर सोर्स की जांच में फ्लोराइड की मौजूदगी का पता चला था।

प्रशासन ने प्रभावित 40 स्कूलों में 6 करोड़ खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने इनका उपयोग नहीं किया।

जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने फ्लोराइड की जांच

जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने फ्लोराइड की जांच

स्वास्थ्य विभाग ने की खानापूर्ति

स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने वाले चिरायु दल ने 2015 में अकेले देवभोग ब्लॉक में 2500 से ज्यादा स्कूली बच्चों के दांत पीले होने का खुलासा किया था। जून माह 2024 में हाईकोर्ट ने फ्लोराइड को लेकर संज्ञान लिया तो स्वास्थ्य ने दोबारा स्क्रीनिंग शुरू की।

फ्लोरोसिस कार्यक्रम के तहत गांव में जांच शिविर लगाकर 335 लोगो की जांच की गई और बताया कि केवल 59 बच्चों में ही डेंटल फ्लोरोसिस के लक्षण है, जबकि जल शक्ति मंत्रालय के वैज्ञानिकों ने प्रभावितों की संख्या सैकड़ों में बता रहे।

सरकारी आंकड़े के मुताबिक 2019 में 155 की जांच हुई 31 मिले। 2020 में 158 की जांच किया 23 मिले। 2021 में 147 की जांच की गई 21 डेंटल फ्लोरोसिस के मरीज मिले थे।

हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद सुधार

साल 2024 जुलाई माह में हाईकोर्ट ने फ्लोराइड मामले में संज्ञान लिया जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और पीएचई विभाग ने तुरंत बंद पड़े 41 रिमूवल प्लांट को शुरू कराया।

जिले भर में 300 से ज्यादा सोर्स की जांच की गई। जिले में देवभोग ब्लॉक के अलावा मैनपुर और गरियाबंद ब्लॉक के 50 से ज्यादा गांव के पेय जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है।

जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिक प्रभावित गांव पहुंचे

जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिक प्रभावित गांव पहुंचे

सुपेबेड़ा के पानी में नहीं है फ्लोराइड

किडनी रोगियों के गांव कहे जाने वाले सुपेबेड़ा को लेकर जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया हैं। उन्होंने बताया कि वे 4 स्टेप में यहां के सभी स्रोतों की जांच किए हैं लेकिन यहां के सोर्स में फ्लोराइड की अनुपातिक मात्रा पाई गई है।

सुपेबेड़ा के जिन स्रोतों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए हैं वहां भी फ्लोराइड की अधिकता नहीं मिली है। आर्सेनिक और अन्य हैवी मेटल की जांच के लिए जल शक्ति मंत्रालय सेंपल कलेक्ट कर लिया है। मार्च माह के अंत तक इसके रिपोर्ट आ जायेंगे।

एक्टिवेटेड एल्यूमीना और टेरापीट फिल्टर

एक्टिवेटेड एल्यूमीना और टेरापीट फिल्टर

एक्टिवेटेड एल्यूमीना और टेरापीट फिल्टर

उपनिदेशक वरुण जैन बताते हैं कि इको सोल्यूशन नामक मुंबई की NGO के प्रमुख मैकेनिक इंजीनियर यतेंद्र अग्रवाल ने एक्टिवेटेड एल्यूमीना और टेरापीट फिल्टर बनाया है जिसकी मदद से फ्लोराइड की मात्रा पीने लायक बनाया जाता है।

इसके एक कीट की लागत महज 1000 रुपए है। इसे प्रभावित गांव में प्रभावित सभी परिवार को वितरण किया जाएगा। बगैर बिजली से इसे आसानी से ग्रामीण इसका उपयोग कर सकेंगे। इसके लिए वन सुरक्षा समिति और कर्मियों के माध्यम से इसकी ट्रेनिंग दी गई है। एक दो दिनो में इसका वितरण शुरू कर दिया जाएगा।

वैज्ञानिकों ने उदंती सीता नदी अभयारण्य के गांव में इस उपकरण का प्रयोग किया। वैज्ञानिक मुकेश आनंद और प्रमोद साहू ने बताया कि इसके उपयोग से फ्लोराइड की अधिकता दूर हो रही है। पानी पीने लायक आसानी से बन जा रहा है। वैकल्पिक इस्तेमाल के लिए प्रशासन के समक्ष इस सुझाव को रखेंगे।

5 नए फ्लोराइड रिमूवल​​​​​​​ प्लांट लगेंगे

कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने बाड़ीगांव, नांगलदेही, झाखरपारा, कारचिया और कैटपदर गांव में 5 नए रिमूवल प्लांट की मंजूरी दी है। साथ ही स्वास्थ्य और पीएचई विभाग को जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। मॉनिटरिंग के लिए एक कर्मी नियुक्ति किया गया है। वहीं स्कूलों में लगे प्लांट भी अपडेट होंगे।

जल शक्ति मंत्रालय की टीम 22 मार्च को अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन के साथ साझा करेगी। क्षेत्रीय निर्देशक डॉ. प्रबीर कुमार नायक के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक मुकेश आनंद और प्रमोद साहू की टीम लगातार जल नमूनों की जांच कर रही है। बैठक में गांवों की स्थिति और समाधान पर चर्चा की जाएगी।

​​​​​​​



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular