Tuesday, June 17, 2025
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ग्वालियर में संगीतमय भागवत कथा आयोजित: सातवें दिन पंडित शास्त्री ने पढ़ाया मित्रता का पाठ, बोले- दोस्ती हो तो श्रीकृष्‍ण-सुदामा जैसी – Gwalior News


श्रीमद भागवत कथा में पंडित बृज नारायण शास्त्री कृष्ण-सुदामा की मित्रता का पाठ सुनाते हुए।

ग्वालियर के नवग्रह कॉलोनी गोल पहाड़िया में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। भागवत कथा के सातवें दिन भागवताचार्य पंडित बृज नारायण शास्त्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता के पाठ का चित्रण किया।

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पंडित बृज नारायण ने समझाया कि मित्रता करो तो श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी। यही सच्ची मित्रता होगी और वही मित्र सच्चा होता है जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही उसकी मदद कर दे। परन्‍तु आजकल स्‍वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्‍वार्थ सिद्ध नहीं होता है तब तक मित्रता बनी रहती है और स्‍वार्थ पूरा हो जाने पर मित्रता समाप्‍त हो जाती है। श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की अनोखी कहानी सुनकर भक्त भाव-विभोर हो गए।

भागवत कथा को सुनने पहुंचे भक्त व श्रद्धालु

भगवताचार्य ने सुदामा चरित्र प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सुदामा अपनी पत्‍नी के कहने पर बालसखा श्रीकृष्‍ण से मिलने द्वारिकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब वहां उपस्थित द्वारपाल उनको रोक देते है, तो सुदामा जी कहते हैं कि मैं भगवान श्रीकृष्‍ण का मित्र हूं। इस पर महल के गेट पर तैनात द्वारपाल सुदामा की दयनीय हालत देकर उनका मजाक उड़ाते हुए क‍हते हैं। इतना ही नहीं कहते हैं कि दरिद्र व्‍यक्ति भगवान श्रीकृष्‍ण का मित्र कैसे हो सकता है। प्रहरियों के मजाक से दुखी सुदामा वहां से लौटने लगते हैं, तभी एक द्वारपाल भगवान श्रीकृष्‍ण के पास जाकर सूचना देता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्‍यक्ति खड़ा है। इतना ही नहीं वह अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। इतना सुनते भगवान श्रीकृष्‍ण नंगे पैर ही दौड लगा देते है और सुदामा को अपने गले लगा लेते हैं। दोनों मित्रों के मिलते ही दोनों की आंखों में आंसू बहने लगते है। निर्धन होकर सुदामा ने कृष्ण से कुछ नहीं मांगा कुछ दिन श्रीकृष्ण के महल में रहने के बाद सुदामा श्रीकृष्‍ण से विदा ले लेते है। दोस्त को विदा करते समय श्रीकृष्ण ने सुदामा से कुछ मांगने के लिए कहा, लेकिन वह कुछ नहीं मांगते हैं। सुदामा अत्‍यन्‍त गरीब होकर भी कुछ नहीं मांगते और लौट आते हैं, लेकिन जब अपने गांव आकर देखते है, तो आश्‍चर्यचकित हो जाते हैं, क्‍योंकि वहां सुदामा पुरी बन चुकी थी और उनकी पत्‍नी बहुत से गहने पहने हुए दिखाई दी। राजमहल में आते ही सुदामा कहते हैं कि मेरे भगवान कितने दयालू है, उन्‍होंने बिना मांगे ही सब कुछ दे दिया। इस अवसर पर सुन्दर झांकी और नृत्य का आयोजन भी किया गया, जिसे सुनकर श्रोता भक्ति-भाव से झूम उठे । बुधवार को पूर्णाहुति और भण्‍डारा श्रीमद भागवत कथा के अंतिम व आठवें दिन हवन यज्ञ में पूर्णाहुति और भंडारे का आयोजन किया गया है। नवग्रह कॉलोनी से मनीष डंडोतिया ने बताया है कि सातों दिन भागवत कथा में आने वाले भक्तों व श्रोताओं के लिए शीतल जल की व्यवस्था है। हर दिन सुबह शाम भगवान की आरती के बाद प्रसाद वितरण होता है। बुधवार को हवन यज्ञ होगा और उसके बाद सभी के लिए भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।



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