रुस्तम-ए-हिंद दारा सिंह का बेटा अमरीक सिंह।
चंडीगढ़ में बालीवुड अभिनेता और रुस्तम-ए-हिंद दारा सिंह के बेटे अमरीक सिंह रंधावा के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। उन्होंने रियल इस्टेट कंपनी ब्लू कोस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड और जाॅय होटल एंड रिसॉर्ट के फाइव स्टा
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उनकी शिकायत पर अब पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी ने संज्ञान लेते हुए दोनों कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने यह आदेश चंडीगढ़ पुलिस की इकोनाॅमिक आफेंस विंग को दिए हैं और उन्हें 3 माह के भीतर जांच पूरी कर संबंधित कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
कहा हर माह मिलेगा रिटर्न
अमरीक सिंह रंधावा ने शिकायत में बताया कि वर्ष 2010 में उक्त कंपनियों ने सेक्टर-8बी स्थित उनके आवास पर पहुंचकर उन्हें बताया कि उनके पास इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2 में एक प्लॉट है जिस पर फाइव स्टार होटल बना रहे हैं जिसका नाम उन्होंने होटल शेरेटन बताया। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि यदि वह यहां स्टूडियो यूनिट खरीदते हैं तो उन्हें हर माह निश्चित रिटर्न मिलेगा।
कंपनी की बातों में आकर उनके पिता दारा सिंह ने 21 अगस्त 2010 को होटल में शॉप नंबर-20 के लिए 94.26 लाख रुपए की डील तय कर दी, जिसमें 90 प्रतिशत राशि अग्रिम रूप से चुका दी गई। इस पर 225 रुपए प्रति वर्गफुट के हिसाब से प्रतिमाह 1.31 लाख रुपए रिटर्न का वादा किया गया था। कंपनी ने कुछ महीनों तक तो रिटर्न दिया लेकिन इसके बाद भुगतान बंद कर दिया।
वर्ष 2014 में अमरीक सिंह रंधावा ने इसी प्रोजेक्ट में एक सर्विस रूम (यूनिट नंबर 227) के लिए 80 लाख रुपए में डील फाइनल की। कंपनी ने उन्हें वादा कि 12 महीने में यूनिट का कब्जा दे दिया जाएगा और उससे पहले 93,024 रुपए हर महीने रिटर्न मिलेगा। कंपनी ने कुछ महीनों बाद रिटर्न देना भी बंद कर दिया और आज तक उन्हें दोनों यूनिट का कब्जा नहीं मिला।
पुलिस ने आपराधिक मामले को बताया सिविल रंधावा ने 17 अक्टूबर 2023 को एसएसपी चंडीगढ़ को शिकायत दी थी, जिन्होंने केस ईओडब्ल्यू को भेजा। वहां कई बार चक्कर लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई और ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। पुलिस का कहना था कि यह सिविल विवाद है, जबकि शिकायतकर्ता ने इसे आपराधिक धोखाधड़ी बताते हुए कानूनी कार्यवाही की मांग की थी। ऐसे में अमरीक सिंह ने पुलिस और कंपनियों के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट अथारिटी में शिकायत दर्ज करवा दी।
पुलिस ने दिया यह जवाब ईओडब्ल्यू ने अथॉरिटी के समक्ष जवाब दिया कि प्रोजेक्ट की जमीन लीज शुल्क न चुकाने के कारण 30 जुलाई 2014 को जब्त कर ली गई थी और केस हाई कोर्ट में लंबित है। हालांकि अथॉरिटी ने माना कि यह मामला सिर्फ एक सिविल विवाद नहीं, बल्कि धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का स्पष्ट उदाहरण है। शिकायतकर्ता को न केवल धोखे से पैसे निवेश करवाए गए, बल्कि वादे के मुताबिक ब्याज और कब्जा भी नहीं दिया गया। ऐसे में अथॉरिटी ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।