Tuesday, June 17, 2025
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जीवाजी यूनिवर्सिटी फर्जी कॉलेज मामले में EOW से जवाब-तलब: ग्वालियर HC ने पूछा-जांच के लिए क्यों न SIT का गठन किया जाए? – Gwalior News


ग्वालियर में जीवाजी यूनिवर्सिटी से संबद्ध झुंड-पुरा फर्जी कॉलेज मामले में जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में ईओडब्ल्यू सहित शासन से जवाब-तलब किया है।

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कोर्ट ने पूछा है कि अभी तक इस मामले में क्या एक्शन लिया है? साथ ही हाईकोर्ट ने पूछा है कि यूनिवर्सिटी में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच के लिए क्यों न SIT(स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया जाए? कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में ईओडब्ल्यू के अधिकारियों से इस संबंंध में जवाब मांगा है।

डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट खंडपीठ ग्वालियर में मुरैना के झुंड-पुरा में फर्जी कॉलेज को लेकर याचिका प्रस्तुत की थी। इसमें ईओडब्ल्यू द्वारा जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलपति सहित 17 प्रोफेसरों के विरुद्ध FIR दर्ज की गई।

इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा यूनिवर्सिटी सहित ईओडब्ल्यू को सभी मामलों में व्यापक जांच कर दोषी व्यक्तियों को चिह्नित कर उनके विरुद्ध न्यायालय में जल्द से जल्द आरोप पत्र प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया था। हाई कोर्ट के उक्त आदेश के बाद याचिकाकर्ता द्वारा स्वयं ग्वालियर चंबल संभाग में यूनिवर्सिटी से संबद्ध सभी कॉलेज का निरीक्षण किया गया। जिसमें केवल कागजों पर संचालित करीब 100 से ज्यादा फर्जी कॉलेज मिले।

एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने SIT बनाने, IPS अधिकारी को प्रभारी बनाने की मांग की है।

SIT बनाने, IPS अधिकारी को प्रभारी बनाने की मांग एडवोकेट भदौरिया ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने इन 100 फर्जी कॉलेजों की सूची यूनिवर्सिटी सहित ईओडब्ल्यू के सुपुर्द की। लेकिन ईओडब्ल्यू और यूनिवर्सिटी इन कॉलेजों के खिलाफ कोई विधिक कार्रवाई नहीं कर रही, न ही उनके पास पर्याप्त साधन हैं। ईओडब्ल्यू का सिर्फ एक अधिकारी विवेचना कर रहा है। उससे उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह इतने बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार की विवेचना यथाशीघ्र पूर्ण कर पाएगा। इसलिए उक्त कॉलेजों में व्याप्त संपूर्ण भ्रष्टाचार की जांच हाई कोर्ट अपनी निगरानी में कराए। जांच के लिए ईओडब्ल्यू में एक SIT का गठन किया जाए। इसमें आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में डीएसपी एवं इंस्पेक्टर लेवल के कम से कम 21 अधिकारियों को सम्मिलित किया जाए। महीने में एक तय तिथि पर यूनिवर्सिटी एवं ईओडब्ल्यू से उक्त मामले की प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश कर विधिवत सुपरविजन किया जाए। मामले की यथाशीघ्र विवेचना कर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध यथाशीघ्र सक्षम न्यायालय में चालान प्रस्तुत कराया जाए। चार सप्ताह में मांगा कोर्ट ने जवाब हाई कोर्ट इस बात से पूर्णतः सहमत था कि इतने बड़े भ्रष्टाचार की जांच एक या दो अधिकारियों से यथा शीघ्र पूर्ण नहीं कराई जा सकती। इसके लिए SIT आवश्यक है। हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में गृह मंत्रालय के प्रमुख सचिव सहित डीजीपी और ईओडब्ल्यू के एसपी सहित जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुल सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है।



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