झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में 38 सीटों पर मतदान होना है, जिनमें से 18 सीटें संथाल परगना क्षेत्र में आती हैं। झामुमो का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में बीजेपी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरी है।
झामुमो का किला बरकरार रखने की चुनौती
संथाल परगना में झामुमो का दशकों से वर्चस्व है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट सीट से उम्मीदवार हैं, जो 1990 से झामुमो के प्रभाव में है। इस क्षेत्र में आदिवासी और मुस्लिम आबादी का गठजोड़ झामुमो की ताकत माना जाता है।2019 के विधानसभा चुनाव में, झामुमो ने 9 सीटें और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं। इन 13 सीटों की बदौलत झामुमो ने राज्य में सत्ता बनाई थी। वहीं, बीजेपी 18 में से केवल 4 सीटें ही जीत सकी थी।
बीजेपी का आक्रामक प्रचार अभियान
बीजेपी ने झामुमो के गढ़ को तोड़ने के लिए “घुसपैठ,” “लैंड जिहाद,” और “लव जिहाद” जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड की बेटियों से शादी कर उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं।”
रोटी, बेटी, माटी” और “बंटोगे तो कटोगे” जैसे नारे देकर आदिवासियों और हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश की गई।
बीजेपी ने लैंड जिहाद और डेमोग्राफिक चेंज को भी मुख्य मुद्दा बनाया।
प्रमुख मुकाबले
बरहेट: हेमंत सोरेन बनाम गमालियेल हेंब्रम।बोरियो: लोबिन हेंब्रम (बीजेपी) बनाम झामुमो।दुमका: हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन बनाम सुनील सोरेन।जामताड़ा: कांग्रेस के इरफान अंसारी बनाम सीता सोरेन।
झामुमो का पलटवार
झामुमो ने बीजेपी के मुद्दों को “ध्रुवीकरण की राजनीति” करार दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, “दूसरे प्रदेशों के नेता झारखंड की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”कांग्रेस और झामुमो ने बीजेपी के “घुसपैठ” और “लैंड जिहाद” के आरोपों को केवल चुनावी हथकंडा बताया।
संथाल परगना का महत्व
झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी को संथाल परगना में बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी है। वहीं, झामुमो के लिए यह क्षेत्र अपनी सरकार बचाने की कुंजी है।इस बार का चुनाव न केवल राजनीतिक वर्चस्व बल्कि आदिवासी पहचान और सांप्रदायिक मुद्दों के इर्द-गिर्द केंद्रित होता दिख रहा है।