मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में आज बात बीस साल पुराने अपहरण के केस की। इंदौर में दोस्त की पार्टी में शामिल होने गए एक युवक का अपहरण हो गया। उसके पिता सीमेंट कारोबारी थे। युवक को उसी की कार से अगवा किया गया था। पुलिस ने ये कार सुनसान जंगल में लावारिस हाल
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केस में टर्निंग पॉइंट तब आया, जब अपहरण करने वाले ने फिरौती के लिए कॉल किया। इस दौरान उसने एक शख्स का नाम लिया, जिसे सुनकर सभी के होश उड़ गए। वो नाम था- 1992 मुंबई बम ब्लास्ट के मास्टरमाइंड और मोस्ट वांटेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का।
इंदौर के मनोरमागंज स्थित इसी मकान में सीमेंट कारोबारी मुकेश नागौरी रहते हैं।
दिन 16 अगस्त 2005 पुलिस को सुबह-सुबह सूचना मिली कि एक लावारिस कार इंदौर से सटे रालामंडल फॉरेस्ट एरिया में खड़ी है। कार को चेक किया तो उसमें व्हिस्की की आधी भरी बोतल, सिगरेट के खाली पैकेट पड़े थे। कार में चाबी नहीं थी। गेट बंद थे लेकिन खिड़की खुली थी। तलाशी के दौरान कार से डॉक्यूमेंट मिले।
इससे पता चला कि कार मनोरमागंज के रहने वाले सीमेंट फैक्ट्री के मालिक मुकेश की है। पुलिस ने मुकेश से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि बेटा नीतेश नागौरी बीती रात पार्टी में गया था। उसके साथ दोस्त ध्रुव भी था, मगर अब तक दोनों लौटे नहीं हैं।
पुलिस ने दोनों की गुमशुदगी का केस दर्ज किया। पुलिस कार की अच्छी तरह से तलाशी ले चुकी थी, लेकिन कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा था।

दोस्त की मां के पास आया फोन नीतेश का दोस्त ध्रुव सामान्य परिवार से ताल्लुक रखता था। पुलिस अफसर उसके परिजन से मिलने पहुंचे। ध्रुव की मां ने उन्हें बताया कि कुछ देर पहले लैंडलाइन पर किसी का फोन आया था। सामने वाले ने कहा कि ध्रुव ठीक है। हमें सिर्फ नीतेश से मतलब है। काम पूरा होने पर ध्रुव को छोड़ देंगे।
फोन कहां से आया ये पता करने की कोशिश की गई, मगर कोई सुराग नहीं मिला। अपहरण करने वाला दूसरी बार फिर कॉल करेगा, इस उम्मीद में पुलिस ने ध्रुव और नीतेश के घर स्थित लैंडलाइन नंबरों पर कॉलर आईडी लगा दी। अब अपहरणकर्ता के कॉल का इंतजार था। इस सनसनीखेज वारदात से पूरे शहर में खौफ का माहौल था। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर जांच तेज कर दी।
3 दिन बीते, पुलिस के हाथ खाली मामले में पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था। न ही कोई फुटेज थे, जिसमें कार से दोनों जाते हुए नजर आएं। केस के लिए विशेष टीम बनाई गई। जो देश के अलग-अलग शहरों में गई, जहां अपहरण के केस सामने आए थे। महानगरों में पुलिस की टीम अपहरण करने वालों के बारे में सुराग ढूंढ रही थी।
नीतेश और ध्रुव का अपहरण हुए तीन दिन बीत गए थे। घरवालों का हाल बुरा था। पुलिस अधिकारी ये बता पाने की स्थिति में नहीं थे कि दोनों कहां हैं? नीतेश के घरवालों के पास किसी का कोई फोन भी नहीं आया था। दोनों के घर के बाहर सादी वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात थे। लेटर के माध्यम से भी कोई सूचना घरवालों को नहीं भेजी गई।
पुलिस और घरवालों ये जान चुके थे कि नीतेश का अपहरण हुआ है, मगर ये सवाल सभी के मन में था कि अपहरण करने वालों ने फिरौती के लिए अभी तक संपर्क क्यों नहीं किया? नीतेश के साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया। ये सारे सवाल घर वालों को परेशान किए हुए थे।

अपहरण के 7 दिन बाद आया काॅल नीतेश के अपहरण के 7 दिन बाद उसके घर एक फोन आया, जिसे उसकी बहन ने रिसीव किया। फोन करने वाले ने दो टूक लहजे में कहा, “नीतेश हमारे पास है। 4 करोड़ चाहिए। होशियारी की तो नीतेश नहीं, उसकी लाश घर आएगी।” इस कॉल के बाद पुलिस एक्टिव हुई।
कॉलर आईडी के जरिए फोन नंबर का पता किया तो अधिकारी सकते में आ गए, क्योंकि ये एक इंटरनेशनल कॉल थी, जो सऊदी अरब से की गई थी। केस के इंटरनेशनल कनेक्शन ने पुलिस की टेंशन और बढ़ा दी। इंटरनेशनल कॉल से नीतेश के घरवाले भी घबरा गए।
तांत्रिक का सहारा, पुलिस सऊदी अरब गई नीतेश के घरवालों ने उसे बचाने के लिए तांत्रिकों और बाबाओं से संपर्क किया। उसकी सुरक्षा के लिए मंदिरों में पूजा-पाठ, प्रार्थना की। परिजन इंदौर के एक बड़े तांत्रिक (वे अब इस दुनिया में नहीं हैं) की शरण में पहुंचे।
इधर, पुलिस की टीम भी अपहरण करने वालों का पता लगाने में जुटी रही। इंटरनेशनल कॉल करने वाला कौन है? ये पहेली ही बना हुआ था। पुलिस ने एक व्यक्ति को सऊदी अरब भी भेजा, लेकिन वहां से कोई लीड पुलिस को नहीं मिली।

फिर इंदौर से फोन कर मांगे 10 लाख रुपए पुलिस की जांच जारी थी। इसी बीच इंदौर के पीसीओ से नीतेश के घरवालों को फोन आया। इस बार 10 लाख रुपए तुरंत एक बैंक अकाउंट में डालने के लिए कहा गया। रुपए नहीं मिलने पर नीतेश को जान से मारने की धमकी दी गई। पुलिस ने उस अकाउंट होल्डर की डिटेल निकाली। पुलिस को निराशा हाथ लगी क्योंकि असल में उस नाम-पते का कोई व्यक्ति नहीं था।
बैंक अफसरों ने बताया कि अकाउंट एजेंट के जरिए ओपन हुआ है। लिहाजा अकाउंट होल्डर का एड्रेस वेरिफिकेशन नहीं हुआ है। बेटे की जिंदगी के लिए नीतेश के घरवालों ने पुलिस को बिना बताए कुछ अमाउंट बैंक अकाउंट में डाल दिया। पता चला कि बैंक अकाउंट से संयोगितागंज स्थित एक एटीएम से रुपए निकाले गए हैं।
बचे हुए अमाउंट के लिए नीतेश के घरवालों को अलग-अलग पीसीओ से फोन किए गए। पुलिस उन पीसीओ तक पहुंचती, तब तक फोन करने वाला जा चुका होता। उसके बारे में कोई ठोस जानकारी भी पुलिस को हाथ नहीं लगती। फोन करने वाले को पकड़ने के लिए शहर के कुछ पीसीओ पर पुलिसकर्मियों की तैनाती तक कर दी गई।

पैसे कमाने के लिए फर्जी अपहरणकर्ता भी सामने आए नीतेश के घरवालों को एक और फोन आया। इसमें भी दस लाख रुपए तैयार रखने के लिए कहा गया। पुलिस ने पता लगाया तो कॉलर खातेगांव निवासी एक युवक निकला। सिम के लिए ड्राइविंग लाइसेंस का यूज हुआ था। पुलिस टीम खातेगांव पहुंची। मालूम पड़ा उस नाम का कोई युवक वहां नहीं है। लाइसेंस फर्जी था।
पुलिस ने हार नहीं मानी और मोबाइल नंबर से मोबाइल सेट की डिटेल जुटाई, जो पीसीओ मालिक की निकली। पीसीओ मालिक को पकड़ा तो उसने एक व्यक्ति को फोन उधार देने की बात कही। पुलिस ने उस व्यक्ति को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने बताया कि व्यापारी के बेटे के अपहरण की खबर पढ़ी थी। इसलिए पैसे कमाने फोन कर रुपए मांग लिए। इससे ज्यादा उसे कुछ नहीं मालूम।
इंटरनेशल कॉल का कनेक्शन ढूंढने पुलिस सऊदी गई पुलिस ने सऊदी अरब से आए इंटरनेशल कॉल का कनेक्शन ढूंढने एक पुलिस अधिकारी को वहां भेजा। उसने स्थानीय पुलिस की मदद से डिटेल पता की। वापस लौटने पर उसने बाकी अधिकारियों को जो बताया, उससे उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।

सऊदी से फिर आया कॉल, बहन ने की लंबी बात नीतेश किस हालत में होगा, ये सोच-सोचकर घरवालों का बुरा हाल था। बहन को पुलिस ट्रेनिंग दे चुकी थी कि यदि फिरौती के लिए अब फोन आता है तो उसे सामने वाले से थोड़ी लंबी बातचीत करनी होगी। इतना ही नहीं, नीतेश से बात करवाने का दबाव भी बनाना होगा।
सऊदी अरब से फिर फिरौती के लिए नीतेश के घर फोन आया। बहन ने नीतेश से बात करने की रिक्वेस्ट की। ये कहा कि फर्जी लोग अपहरण के नाम पर रुपए मांग रहे हैं। भाई उनके पास है तो वो बात करवाएं। लेकिन फोन करने वाले ने नीतेश से बहन की बात नहीं करवाई और फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।
बाद में दोबारा फोन आया। उसने बहन से कहा कि ये अंतिम मौका है। 4 करोड़ ट्रांसफर कर देना। रुपए हवाले के जरिए भेजने के लिए कोड बताया जाएगा। वर्ना भाई का मर्डर कर देंगे। फोन करने वाले ने सुबह भाई से बात कराने का भरोसा भी दिलाया।

पुलिस की पड़ताल में ये तीन पॉइंट अहम थे….
- सऊदी अरब से कॉल करने वाला शख्स कौन था?
- नीतेश को क्या दाऊद गैंग ने ही अगवा किया था?
- उसे अगवा कर भारत के किस हिस्से में रखा था?
इन सवालों के जवाब के लिए पुलिस को इंतजार था अपहरणकर्ता के अगले कॉल का। साथ ही परिजन चाहते थे कि 4 करोड़ की फिरौती देकर नितेश को छुड़ा लिया जाए। क्या अपहरणकर्ता ने कॉल किया? पुलिस को नीतेश का सुराग कैसे मिला…
इन सारे सवालों के जवाब पढ़िए कल पार्ट-2 में
