नए कानूनों में ई-विवेचना के प्रावधानों को लेकर मप्र पुलिस ने तैयारियां तकरीबन पूरी कर ली हैं। जल्द ही 25000 विवेचना अधिकारियों को नए टेबलेट्स दिए जा रहे हैं, ताकि पड़ताल के दौरान समय खाने वाली 6 प्रक्रियाओं को वे ई-केस डायरी में शामिल कर सकें। इनमें न
.
पहला ये कि सीसीटीएनएस से जुड़े टेबलेट्स के जरिए अपलोड हुआ कोई भी दस्तावेज हटाया या बदला नहीं जा सकेगा। दूसरा चालान सही समय पर पेश किया जा सकेगा। मप्र में 1740 विवेचना अधिकारियों को वर्ष 2022 में टेबलेट्स बांटे गए थे। 425 थानों में इन टेबलेट्स का इस्तेमाल करते हुए तीन साल में 50 हजार एफआईआर दर्ज हुई हैं। सबसे बेहतर परिणाम जीआरपी ने दिए हैं, क्योंकि उनकी ज्यादातर एफआईआर या जांच चलती ट्रेन में दर्ज हुई हैं।
इन टेबलेट्स में कोई बाहरी एप्लीकेशन डाउनलोड नहीं होगी और विवेचना अधिकारी इनका इस्तेमाल कॉलिंग के लिए नहीं कर सकेंगे। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि टेबलेट का डेटा हैक न हो।
मप्र में अब तक किसी भी मामले की जांच प्रक्रिया थाने में रखे कंप्यूटर में अपलोड सीसीटीएनएस के जरिए ही होती थी। लेकिन नक्शा मौका, एफआईआर, गिरफ्तारी फॉर्म, जब्ती, चालान और केस डायरी के पर्चे का डिजिटाइजेशन नहीं था। इसलिए कई बार एक पर्चा भरने में भी काफी वक्त लग जाता था। टेबलेट्स में इतना वक्त नहीं लगेगा।
अदालत में वर्चुअल पेश हो सकेंगे, तलाशी में वीडियोग्राफी अनिवार्य
- ई-रिकॉर्ड, जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और चार्जशीट डिजिटल होंगी।
- 7 साल या ज्यादा की सजा के मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य।
- घर की तलाशी में वीडियोग्राफी करनी होगी।
- बलात्कार पीड़िता के ई-बयान दर्ज किए जाएंगे।
- गवाह, अभियुक्त, विशेषज्ञ और पीड़ित अदालत में वर्चुअल पेश हो सकेंगे।
जारी है खरीदी की प्रक्रिया
25 हजार नए टेबलेट्स खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शासन से अनुमति मिलते ही ये खरीदी कर ली जाएगी। इनकी मदद से विवेचना में लगने वाला समय घटेगा।- जयदीप प्रसाद, एडीजी एससीआरबी