तेलंगाना में शांतिवार्ता समिति के 5 से 6 सदस्यों ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की थी।
छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ में जहां छत्तीसगढ़ की फोर्स नक्सलियों के खिलाफ अकेले लड़ रही है। वहीं तेलंगाना में सबसे बड़े ऑपरेशन को गलत ठहराया जा रहा है। यहां ऑपरेशन रोकने के लिए शांतिवार्ता की तैयारी की जा रही है। शांतिवार्ता
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5 से 6 सदस्यों ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात भी की। इनमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बी चंद्रशेखर, प्रोफेसर जी. हरगोपाल, BSP नेता और प्रोफेसर अनवर खान शामिल हैं।
प्रोफेसर जी. हरगोपाल के खिलाफ 2022 में नक्सलियों के साथ सांठगांठ के आरोप में UAPA (अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट) के तहत FIR हो चुकी है। कर्रेगुट्टा मुठभेड़ का अपडेट और तेलंगाना में शांतिवार्ता के लिए क्या तैयारी हो रही है इस रिपोर्ट में पढ़िए:-
शांतिवार्ता समिति के 5 से 6 सदस्यों ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात भी की।
शांतिवार्ता के लिए आगे आने वाले लोगों की प्रोफाइल-

दस्तावेज में नक्सलियों से सांठ-गांठ का जिक्र
पुलिस ने दावा किया था कि, जंगल में नक्सल ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों के कुछ सामान बरामद हुए थे। इसमें एक डायरी समेत कुछ अन्य दस्तावेज भी बरामद हुए। इस दस्तावेजों में जी. हरगोपाल की नक्सलियों के साथ सांठ-गांठ का जिक्र है। हालांकि, तब तक हरगोपाल को भी उनके खिलाफ हुई FIR की जानकारी नहीं थी।
एक मामले में पुलिस ने अदालत में ये FIR की कॉपी पेश की थी। जिसमें जी. हरगोपाल, उस्मानिया विश्वविद्यालय की रिटायर्ड प्रोफेसर पद्मजा, तेलंगाना नागरिक स्वतंत्रता समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर गद्दाम लक्ष्मण, कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स के न्यायमूर्ति रिटायर्ड एच सुरेश समेत कुल 152 लोगों के नाम थे।

जब इनपर FIR दर्ज हुई थी तब इन्होंने पुलिस पर कई सवाल खड़े किए थे।
हरगोपाल ने की थी मामला वापस लेने की मांग
उस दौरान जी. हरगोपाल ने अलग-अलग सामाजिक बैठकों, आंदोलन में कहा था कि, जिन भी लोगों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है, वे सभी ईमानदारी से जी रहे हैं। उन्होंने सरकार से मामला वापस लेने की मांग की थी। साथ ही पूछा था कि, क्या पुलिस ने सिर्फ इसलिए UAPA का मामला दर्ज किया है, क्योंकि डायरी में उनका नाम है

मलकानगिरी कलेक्टर को छुड़वाने में भी की मध्यस्थता
नक्सलियों ने साल 2011 में ओडिशा के मलकानगिरी कलेक्टर आर.वी.कृष्णा का अपहरण कर लिया था। वे जिला मुख्यालय से महज 85 किमी दूर चित्रकोंडा में एक शिविर में शामिल होने गए थे। इसके बाद नक्सलियों और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए एक टीम बनी थी। इस टीम में प्रोफेसर जी. हरगोपाल, प्रोफेसर सोमेश्वर राव सहित अन्य भी शामिल थे।
चंद्रकुमार ने कुछ समय के लिए जस्टिस सरदार अली खान के साथ काम किया। 1978 से 1988 तक आदिलाबाद में एक वकील के रूप में अभ्यास किया। 1988 में आदिलाबाद से हैदराबाद चले गए। यहां आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय समेत अन्य न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में अभ्यास किया।

छ्त्तीसगढ़ नक्सवाद से लड़ रहा, बैकफुट पर तेलंगाना
छ्त्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरहद पर जवानों ने 45 डिग्री टेम्प्रेचर के बीच 9 दिनों में लगभग 5 हजार फीट की ऊंचाई चढ़ ली। पहाड़ के एक हिस्से पर पहुंचकर जवानों ने तिरंगा भी लहरा दिया। एक इलाके से जहां नक्सलियों को खदेड़ा गया वहीं बाकी पूरे इलाके को छत्तीसगढ़ के जवानों ने घेर रखा है।

कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर नक्सलियों के बड़े लीडर मौजूद
यहां नक्सली लीडर हिड़मा, देवा, दामोदर समेत नक्सलियों के पोलित ब्यूरो, सेंट्रल कमेटी, DKSZCM, तेलंगाना स्टेट कमेटी के बड़े लीडर्स मौजूद हैं। कह सकते हैं कि, यहीं से पूरा माओवाद संगठन ऑपरेट होता है। कर्रेगुट्टा पहाड़ के चारों तरफ नक्सलियों ने सैकड़ों IED प्लांट कर रखी है।

कर्रेगुट्टा की पहाड़ी के एक हिस्से में ऊंचाई तक पहुंचे जवान, तिरंगा लहराया।
तेलंगाना में राजनीति गर्म
ऑपरेशन के शुरुआत में कयास लग रहे थे कि तेलंगाना स्टेट गवर्नमेंट छत्तीसगढ़ के साथ संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन में शामिल है। ग्रेहाउंड्स भी निकली है। लेकिन जब दैनिक भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट की तो पता चला कि तेलंगाना बैकफुट पर है।
नक्सलियों से छत्तीसगढ़ अकेले जंग लड़ रहा है। वहां पूर्व CM के. चंद्रशेखर राव और उनकी बेटी के. कविता ने इस ऑपरेशन को गलत बताया है।

शांतिवार्ता के लिए केंद्र पर दबाव डालने पर जोर
ऑपरेशन रोककर शांति वार्ता करने केंद्र से कहा है। वहीं तेलंगाना की शांति वार्ता समिति ने भी CM रेवंत रेड्डी के साथ बैठक कर केंद्र पर दबाव डालने कहा है।
शांतिवार्ता समिति ने कहा कि जब नक्सली युद्धविराम की बात कह रहे हैं तो आखिर छत्तीसगढ़ सरकार क्यों बातचीत करना नहीं चाह रही। वहीं CM ने अगली कैबिनेट बैठक में इस मामले की चर्चा करने की बात कही है।

कर्रेगुट्टा की पहाड़ी के एक हिस्से को जवानों ने फतह कर लिया है। हथियारों के साथ मौजूद जवान।
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5000 फीट ऊंचाई पर नक्सलियों को खदेड़कर फहराया तिरंगा:कर्रेगुट्टा पहाड़ के एक हिस्से पर फोर्स का कब्जा, गृहमंत्री शर्मा बोले- शांति वार्ता नहीं होगी

5000 फीट ऊंचाई में नक्सलियों को खदेड़कर फहराया तिरंगा।
छत्तीसगढ़-तेलंगाना राज्य की सरहद पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ी के एक हिस्से को जवानों ने फतह कर लिया है। 9 दिनों में करीब 5 हजार फीट की चढ़ाई कर जवान ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। यहां से नक्सलियों को खदेड़कर तिरंगा फहराया दिया है। वहीं प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों को सरेंडर करने कहा है, शांति वार्ता की पेशकश ठुकरा दी है। पढ़ें पूरी खबर