अधिकारी के अनुसार, कमजोर पाइपलाइन होने के कारण वे प्रेशर नहीं झेल पाते और फूट जाते हैं।
मध्यप्रदेश के कई जिले इन दिनों जलसंकट से जूझ रहे हैं। इन्हीं में शामिल है खंडवा जिला। यहां ग्रामीण इलाकों में तो हाल बेहाल हैं कि शहरी क्षेत्र में भी पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। नर्मदा जल के लिए डाली गई पाइप-लाइन से पानी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वह
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तीन लाख की आबादी वाले इस शहर में पानी के लिए लोग सड़क पर उतरे तो प्रशासन ने 8 लोगों पर FIR दर्ज करवा दिया। इनमें गृहस्थी चलाने वाली महिलाएं भी शामिल थीं। मंगलवार बड़ी संख्या में महिला जनसुनवाई में पहुंची और कलेक्टर से बोलीं कि पानी नहीं दे पा रहे हो तो इच्छामृत्यु की परमिशन ही दे दो। पानी के लिए मचे हाहाकार के बीच अब एक और फरमान जारी हो गया है, जहां-जहां नर्मदा पाइप लाइन फूटने की संभावना ज्यादा होती है, वहां पर पटवारी और सचिव की तैनाती कर दी गई है। वे यहां पाइपलाइन की चौकीदारी करेंगे।
खंडवा में जलसंकट के बारे में जानने दैनिक भास्कर टीम ने पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं। पढ़िए रिपोर्ट…
समस्याग्रस्त इलाकों में नगर निगम टैंकर के जरिए पानी की सप्लाई करवा रहा है।
दो केस से समझिए जलसंकट की भयावहता
केस 1- महिला ने इच्छामृत्यु का आवेदन दिया मंगलवार को जनसुनवाई में शहर की टैगोर कालोनी निवासी अनिता धोत्रे सहित कई महिलाएं जलसंकट की शिकायत करने कलेक्ट्रेट पहुंचीं। उन्होंने कलेक्टर ऋषव गुप्ता को बताया कि पीने का पानी नहीं मिल रहा है। इस पर कलेक्टर ने कहा कि टैंकर से पानी बंट तो रहा है। महिला ने बताया कि टैंकर का पानी बहुत गंदा है।
इस पर कलेक्टर ने कहा- तो क्या टैंकर बंद करवा दें? महिला ने जवाब दिया कि आप टैंकर का पानी पीकर देखिए, आप पी लेंगे तो हम भी पी लेंगे। इसके बाद महिलाओं ने इच्छा मृत्यु के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया, जो कलेक्टर ने ले लिया।

इच्छामृत्यु मांगने वाली महिला ने कहा कि मैं बहुत परेशान हूं। पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है।
केस 2- पानी मांगा तो महिलाओं समेत 8 पर FIR खंडवा के इंदिरा चौक क्षेत्र में 13 अप्रैल को पानी की भारी किल्लत से परेशान महिलाओं ने सड़क पर उतरकर चक्काजाम किया था। इस विरोध प्रदर्शन के बाद नगर निगम के जल प्रभारी राजेश गुप्ता की शिकायत पर कोतवाली थाना पुलिस ने 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
निगम ने जिन 8 लोगों पर केस दर्ज कराया उनमें मनीषा पति दिनेश जायसवाल, ज्योति पति अभिषेक शर्मा, नीतू पांडा, दिलीप भावसार उर्फ देवा भावसार, अभिषेक शर्मा, सुमेर उर्फ राजा सेन, कांग्रेस नेता अर्श पाठक, नेता प्रतिपक्ष दीपक राठौर उर्फ मूल्लू राठौर शामिल हैं।
पानी मांगने पर एफआईआर दर्ज होने से सरकार की किरकिरी हुई। इसके बाद सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने आरोपी बनाई गई महिलाओं से मुलाकात की, उनका समर्थन जताया और एफआईआर निरस्त करने के लिए कलेक्टर को आवेदन सौंपा। एफआईआर नगर निगम ने कराई गई थी, इसलिए महापौर अमृता यादव पर उंगलियां उठने लगीं। यह देख महापौर भी पीड़ित महिलाओं से मिलीं और सफाई दी कि यह केवल एक “भ्रम” फैलाया जा रहा है, इस कार्रवाई से मेरा कोई लेना-देना नहीं है
मंगलवार को भी सप्लाई नहीं हो पाया पानी दरअसल, मंगलवार को ही चारखेड़ा रेलवे स्टेशन के सामने एक बार फिर पाइपलाइन फूट गई। शहर में सुबह से पानी की सप्लाई नहीं हो सका। इधर, निगम अमले ने मेंटनेंस शुरू कर रात तक सुधार करवा देने का दावा किया। कह गया कि सप्लाई चालू होते ही पानी की टंकियां भर दी जाएंगी। बुधवार सुबह से पानी की सप्लाई शुरू होगी।
निगम के एक अधिकारी ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि गर्मी के दौरान ज्यादा प्रेशर से पानी की सप्लाई करने पांच पंप चलाए जा रहे हैं। कमजोर पाइपलाइन के कारण वह प्रेशर नहीं झेल पा रही। यही कारण है कि बार-बार लीकेज या पाइपलाइन फूट जाती है।

यह तस्वीर मंगलवार की है। जब चारखेड़ा रेलवे स्टेशन के सामने पाइपलाइन फूट गई।
9 साल में 219 बार फूटी नर्मदा पाइपलाइन नर्मदा योजना से खंडवा में घर-घर जल पहुंचाने की कवायद वर्ष 2009 से शुरू हुई, जब तत्कालीन केंद्र सरकार में मंत्री और खंडवा से सांसद रहे अरुण यादव ने शहरी विकास मंत्री कमलनाथ से इस परियोजना को स्वीकृति दिलवाई। इसके तहत केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को लगभग 120 करोड़ रुपए का बजट ट्रांसफर किया।
इस राशि से इंदिरा सागर बांध के बेकवाटर क्षेत्र, चारखेड़ा गांव से खंडवा शहर तक 50 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई। वर्ष 2013 में इस पाइपलाइन के जरिए खंडवा शहर में पेयजल आपूर्ति की शुरुआत की गई। उस समय शहर की महापौर भावना शाह थीं और उनके पति विजय शाह राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री।
कांग्रेस का आरोप है कि इस परियोजना में लोहे की पाइप डालना था, लेकिन उसकी जगह घटिया क्वालिटी के प्लास्टिक पाइपों का इस्तेमाल किया गया। नतीजा यह हुआ कि शुरुआत से ही यह पाइपलाइन बार-बार फूटती रही। स्थिति इतनी बदतर है कि 9 वर्षों में अब तक यह पाइपलाइन 219 बार फूट चुकी है और यह आंकड़ा रिकॉर्ड में दर्ज है।

पिछले बुधवार भी नर्मदा पाइपलाइन फूटने से हरसूद में रेलवे ट्रैक किनारे 6 घंटे से ज्यादा समय तक पानी बहता रहा था।
पटवारी-सचिव कर रहे नर्मदा पाइपलाइन की चौकीदारी अप्रैल महीने में अब तक नर्मदा पाइपलाइन छह बार फूट चुकी है, जिससे खंडवा शहर में पेयजल संकट और गहरा गया है। भीषण गर्मी में पानी की आपूर्ति ठप होने से लोगों में आक्रोश फैल गया। विरोध के बाद प्रशासन हरकत में आया है और पाइपलाइन की 24 घंटे निगरानी शुरू कर दी गई है।
प्रशासन ने उन 11 स्थानों की पहचान की है, जहां बार-बार पाइपलाइन फूटने की घटनाएं होती रही हैं। इन स्थानों पर टेंट लगाकर चौबीसों घंटे निगरानी के लिए पंचायत सचिव, पटवारी और कोटवार की ड्यूटी लगाई गई है।
प्रत्येक पाइंट पर एक सचिव और एक पटवारी की तीन-तीन शिफ्टों में ड्यूटी तय की गई है। इस तरह एक दिन में कुल 66 कर्मचारी निगरानी में लगाए गए हैं। अपर कलेक्टर काशीराम बडौले के अनुसार, यह व्यवस्था कम से कम दो महीने या जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक जारी रहेगी।

एफआईआर निरस्त कराने एडीएम को सौंपा आवेदन पानी की मांग को लेकर हुए चक्काजाम के बाद एफआईआर मामले पर कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों ने मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का उल्लंघन किया है, इसलिए कार्रवाई की गई।
हालांकि इस कार्रवाई का खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने विरोध किया। उन्होंने कलेक्टर से बातचीत कर यह स्पष्ट किया कि प्रशासन को हालात की संवेदनशीलता को समझना चाहिए था। पानी जैसी मूलभूत जरूरत को लेकर किए गए प्रदर्शन को नाजायज नहीं कहा जा सकता।
सांसद पाटिल ने एफआईआर में नामजद लोगों के घर पहुंचकर उनसे मुलाकात की, उनका मनोबल बढ़ाया और आश्वस्त किया कि वह इस मामले को शासन स्तर पर उठाकर एफआईआर को निरस्त कराएंगे। इसके लिए अपर कलेक्टर (एडीएम) को विधिवत आवेदन भी सौंपा गया है।

कांग्रेस नेता शामिल, इसलिए FIR निरस्त नहीं होगी- सूत्र प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, चक्काजाम मामले में 8 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर अब तक 6 आरोपियों ने एफआईआर निरस्त करने के लिए अपर कलेक्टर को आवेदन सौंपा है। हालांकि, शेष दो आरोपी कांग्रेस से जुड़े नेता हैं। यही कारण है कि स्थानीय भाजपा नेताओं की आपत्ति के चलते पूरे मामले में पेच फंस गया है।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा पक्ष नहीं चाहता कि कांग्रेस नेताओं पर की गई कार्रवाई वापस ली जाए। इसी कारण प्रकरण को अब एसपी मनोज कुमार राय के पास जांच के लिए भेजा गया है। संभावना जताई जा रही है कि जांच के आधार पर एसपी 6 आवेदकों के नाम एफआईआर से हटाने की सिफारिश कर सकते हैं, जबकि कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई यथावत रहेगी।
महापौर बोलीं- फिलहाल हालात कंट्रोल में खंडवा महापौर अमृता यादव ने जलसंकट को लेकर कहा, बार-बार पाइपलाइन फूटने के कारण शहर में जल आपूर्ति बाधित हुई थी। फिलहाल हालात कंट्रोल में हैं।
उन्होंने बताया कि इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए नई पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है। अब तक इसका 85% काम पूरा भी हो चुका है। बकाया अगले दो महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है। महापौर का दावा है कि नई पाइपलाइन के चालू होने के बाद बार-बार पाइपलाइन फूटने की समस्या समाप्त हो जाएगी।
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जलसंकट पर प्रदर्शन किया को एसडीएम ने धमकाया- एफआईआर करा देंगे

खंडवा में जलसंकट को लेकर महिलाओं ने चक्काजाम कर दिया था। विरोध-प्रदर्शन के दौरान मौके पर पहुंचे एसडीएम बजरंग बहादुर ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं को कार्रवाई कर एफआईआर की धमकी दी। जिस पर महिलाओं ने कहा- आप इतने बड़े अधिकारी हैं, इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती।” पूरी खबर पढ़ें…