EOW द्वारा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसजीआरएएम) घोटाले में आरोपी बनाए गए पूर्व IFS अधिकारी एवं मिशन के पूर्व CEO ललित मोहन बेलवाल, तत्कालीन अतिरिक्त CEO विकास अवस्थी तथा पूर्व राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी शुक्ला की अग्रिम जमानत याचिकाएं कोर
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अदालत ने कहा कि मामला “गंभीर प्रकृति” का है, शुरुआती जांच जारी है और इस चरण में जमानत मिलने से अनुसंधान प्रभावित होने की आशंका है। वहीं बचाव पक्ष ने दलील दी कि FIR दस वर्ष बाद दर्ज हुई, जिससे उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। वकीलों का तर्क था कि “राजनीतिक प्रतिशोध” के तहत आरोपियों को झूठा फंसाया गया है। कोई आर्थिक लाभ साबित नहीं हुआ।
विशेष लोक अभियोजक कासिम अली ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा
- आरोपियों ने पद का दुरुपयोग कर चयन सूची में मनमानी की, दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर संविदा नियुक्तियां बांटी।
- प्रारंभिक जांच में शिकायत पुष्ट होने के बाद ही 1 अप्रैल 2025 को IPC की धारा 420, 467, 468, 471 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
- FIR होते ही सभी आरोपी फरार हो गए। गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत मांगी गई।
यह भी पढ़ें फरियादी राकेश कुमार मिश्रा ने वर्ष 2014-15 की नियुक्तियों में अनियमितताओं की लिखित शिकायत पहले ईओडब्ल्यू में की थी। कार्रवाई न होने पर उन्होंने जिला अदालत में निजी इस्तगासा दायर किया। अदालत के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज कर विस्तृत पड़ताल शुरू की। वहीं आगे के लिए अब विशेष पुलिस स्थापना (EOW) ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी हैं। वहीं वित्तीय रिकॉर्ड, नियुक्ति फाइलें और ई-मेल संवाद जब्त कर फोरेंसिक ऑडिट कराया जा रहा है।