शहीद अशोक कुमार की मां भतेरी देवी को सम्मानित करते हुए
हरियाणा के महेंद्रगढ़ के गांव सीहोर में कारगिल शहीद अशोक कुमार के परिजनों को सम्मानित करने के लिए भारतीय सेना के जवानों ने स्मृति चिन्ह भेंट किया।
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नायब सूबेदार कमल कांत ने बताया कि कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारतीय सेना शहीदों के घर-घर पहुंचकर वीर सैनिकों के स्वजनों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान कर रही है। उन्होंने ने कहा हम अपने वीर साथियों को कभी नहीं भूलते और न कभी भूलेंगे। यह हमारा कर्तव्य और हमारी भावना है कि, हम उनके परिजनों को बताएं कि हमारे वीर सेनानियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है।
इस दौरान सीहोर में भारतीय सेना के जवान सिपाही अशोक कुमार के घर पहुंच के परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
शहीद अशोक कुमार की मूर्ति को माला पहनना कर याद किया
नायब सूबेदार कमल कांत और उनके साथियों ने परिजनों के साथ कारगिल युद्ध की वीर गाथाएं सांझा की। सेना का यह कदम स्वजनों को सम्मान देने के साथ-साथ यह बताने का भी है कि, देश अपने वीर बलिदानियों को कभी नहीं भूलता है। सेना के इस कदम से मां भारती के वीर बलिदानियों के परिवार भी भावुक हो उठे। इस दौरान सभी ने भारत माता की जय और वीर जवान अमर रहे के नारे लगाए।
अशोक कुमार का जन्म 1 नवंबर 1977 को हुआ था। जुलाई 1977 को 13 कुमाऊं रेजिमेंट रानीखेत में भर्ती हो गया। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद 1 सप्ताह के लिए वह गांव आया था । ट्रेनिंग खत्म होने के बाद अशोक कुमार की ड्यूटी विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल सियाचिन ग्लेशियर में लग गई थी। सियाचिन ग्लेशियर से जब बटालियन नीचे उतरी उसके बाद उसको सीधे कारगिल की लड़ाई में भेज दिया गया था।
शहीद अशोक कुमार की रेजीमेंट ने 5685 पॉइंट पर तुरतूक पहाड़ी पर दुश्मनों को मार कर कब्जें में लिया था। शहीद अशोक कुमार को मरणोपरांत सैन्य सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। शहीद अशोक कुमार का नाम राष्ट्रीय स्मारक राजपथ नई दिल्ली में वाल नंबर 2 सी रॉ नंबर 6 पर कॉलम नंबर 1530 पर में वार आप्रेशन विजय प्राप्त करने पर नाम दर्ज है।
शहीद अशोक कुमार की मां भतेरी देवी ने बताया कि जब किसी जवान को छुट्टी आता देखती है तो उसको अशोक के नाम से बुलाती है। बूढ़ी मां के आंखों से अश्रु धारा बहनें लग जाती है। भतेरी देवी ने बताया कि 26 वर्ष बीत गए लेकिन कल की ही बात लगती हैं।