34 करोड़ की सजावट फीकी, 4 माह भी नहीं चले फव्वारे, हाईमास्ट भी बंद
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फरवरी में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से ठीक पहले शहर का चेहरा चमकाने के लिए नगर निगम ने करीब 34 करोड़ रुपए खर्च किए। शहरभर में सजावट और सौंदर्यीकरण के काम हुए। सिर्फ वॉल पेंटिंग और फव्वारों पर ही करीब 6 करोड़ रुपए खर्च किए गए। लिंक रोड, 1100 क्वार्टर, शैतान सिंह चौराहा और वीआईपी रोड समेत अन्य स्थानों पर 26 नए फव्वारे लगाए गए। बड़े तालाब पर लगे फव्वारे को ठीक किया गया।
इसके अलावा शहर के सभी वार्डों में वार्डों में लगे फव्वारे को शुरू किया गया। लेकिन, ये चार महीने भी नहीं चल सके। लिंक रोड-1, सात नंबर चौराहा, गोविंदपुरा टर्निंग और शैतान सिंह चौराहा आदि स्थानों का भास्कर ने जायजा लिया तो ये फव्वारे बंद मिले। पानी पर जमी काई ही यह बताने के लिए काफी है कि जीआईएस के बाद ये कितने चले। वार्डो में लगे फव्वारे भी बंद हो चुके हैं।
26 नए फव्वारे जीआईएस के पहले लगाए गए थे 06 करोड़ रुपए सिर्फ वॉल पेंटिंग व फव्वारे पर खर्च 10 करोड़ रुपए लाइटिंग पर खर्च हुए
ये खर्च भी…
18 करोड़: सिविल वर्क, गार्डनिंग पर 39 लाख : वाटर सिविल वर्क पर
30 करोड़ रुपए के काम की मिली थी मंजूरी, मिले सिर्फ 15 करोड़
सरकार ने जीआईएस के काम के लिए नगर निगम को 30 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी दी थी और 15 करोड़ शुरू में ही दे दिए गए थे। 38 से ज्यादा एजेंसी ने काम किया। हालांकि शेष रकम नगर निगम को नहीं मिल पाई है।
मेंटेनेंस ही नहीं किया
‘इन फव्वारों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ठेकेदार एजेंसी की है। लेकिन ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट खत्म होने के बाद एजेंसी ने इन पर ध्यान ही नहीं दिया। लिहाजा, ये धीरे-धीरे बंद हो गए। खास बात यह है कि निगमायुक्त का जिन रूटों से आना-जाता होता है, वहां फव्वारे चालू हैं।
कई जगह लाइट बंद…जीआईएस में चौराहों को सुंदर करने के लिए लाइटिंग पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। नई हाईमास्ट लाइट लगाई गई थीं, लेकिन इनमें से कई बंद पड़ी हैं और स्ट्रीट लाइट भी कहीं-कहीं बंद है।
फव्वारे बंद होने की जहां से भी शिकायत मिलती है उसे तुरंत ठीक कर चालू कराया जाता है। इसके बाद भी अगर कोई फव्वारा बंद है तो उसे भी ठीक कराएंगे। -हरेंद्र नारायण, कमिश्नर नगर निगम, भोपाल