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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ये घोषणा गणतंत्र दिवस के मौके पर की थी। इसके साथ मुख्यमंत्री ने अफसरों को इस साल के आखिर तक इंदौर-भोपाल के मेट्रोपॉलिटन प्लान को अंतिम रूप देने के निर्देश भी दिए थे। सीएम की घोषणा के बाद इंदौर को महानगर बनाने के लिए तेजी से काम शुरू हुआ है, मगर भोपाल पिछड़ गया है।
इंदौर में कंसल्टेंट की नियुक्ति हो गई है। कंसल्टेंट ने इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन( IMR) का प्रारंभिक ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। ये सारी कवायद सिंहस्थ 2028 को देखते हुए की गई है। वहीं भोपाल की बात की जाए तो यहां किसे कंसल्टेंट बनाया जाए उसे लेकर अफसरों की एक मीटिंग हो चुकी है।
इंदौर-भोपाल को मेट्रोपॉलिटन सिटी बनाने की कवायद 2006 से चल रही है, लेकिन पिछली सरकारें इसे लेकर ज्यादा गंभीर नहीं रही। इस बार अधिकारियों का दावा है कि 9 महीने में ही दोनों शहरों का प्लान तैयार हो जाएगा। मेट्रोपॉलिटन एरिया में कौन-कौन से क्षेत्र आएंगे और इसका स्वरूप क्या होगा? इससे आमजन और छोटे शहरों को क्या फायदा होगा? पढ़िए रिपोर्ट..
जानिए इंदौर मेट्रोपॉलिटन के बारे में
5 पॉइंट में जानिए अब तक क्या हुआ
- संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया( आईएमआर) का 7,863 वर्ग किमी का एरिया तय।
- मेट्रोपॉलिटन एरिया में 19 निकाय शामिल होंगे।
- शहरी योजना और विकास से जुड़े 20 विभागों से बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा। इसमें अगले 25 साल के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिहाज से कामों का ब्योरा मांगा।
- विभागों के बीच समन्वय के लिए नोडल अधिकारी को नियुक्त किया है।
- इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (आईएमआर) के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति हो चुकी है। कंसल्टेंट ने प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे लेकर अधिकारियों की मीटिंग हो चुकी है।
5 पॉइंट्स में जानिए क्या बाकी है
- किस जिले की कितनी सीमाएं शामिल करें, यह तय होना बाकी है।
- किस क्षेत्र के लिए किस तरह की प्लानिंग की जाए, यह तय होगा।
- सीएम की मंशा के मुताबिक इंदौर, उज्जैन, देवास और आसपास के हिस्से को जोड़कर एक पूरा कॉरिडोर विकसित करना है।
- दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर(डीएमआईसी) की कनेक्टिविटी का फायदा इस रीजन को मिले। इसकी प्लानिंग की जा रही है।
- प्लान में इंदौर के 100 प्रतिशत हिस्से के अलावा उज्जैन, धार, देवास, शाजापुर के एरिया अलग-अलग प्रतिशत में शामिल होंगे। अभी भी धार और उज्जैन के कुछ हिस्सों को लेकर तय होना बाकी है कि इन्हें शामिल करना है या नहीं?

भोपाल का काम ही शुरू नहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने का काम बेहद तेजी से चल रहा है। इसके मुकाबले भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन का कोई काम ही शुरू नहीं हुआ है। पिछले साल सितंबर के महीने में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल जिले के विकास कार्यों की समीक्षा की थी।
उस दौरान उन्होंने हाउसिंग बोर्ड, भोपाल विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी को प्लान तैयार करने के लिए कहा था। साथ ही भोपाल को झुग्गीमुक्त बनाने की भी बात हुई थी। इससे पहले 2022 में शिवराज सरकार ने भोपाल में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को मंडीदीप तक विस्तार करने के लिए मेट्रोपॉलिटन एरिया के प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी दी थी।
उस वक्त भोपाल मेट्रोपॉलिटन का प्रांरभिक एरिया डिफाइन किया था जिसमें भोपाल की 59 ग्राम पंचायतें और मंडीदीप निवेश क्षेत्र (रायसेन) की 9 ग्राम पंचायतें शामिल की गई थी। फिलहाल इसमें कौन से नए एरिया जुड़ेंगे? कितने जिलों की पंचायतें इसमें शामिल होंगी? इसे लेकर अभी कोई स्थिति साफ नहीं है। न ही इसका कोई प्रस्ताव तैयार हुआ है।

इंदौर में तेजी से काम की वजह इंदौर मेट्रोपॉलिटन के तेजी से हो रहे काम की वजह है सिंहस्थ 2028। दरअसल, इंदौर का जो एरिया तय हुआ है उसमें दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) को जोड़ा गया है। सरकार की कोशिश है कि इससे उद्योगों और व्यापार को नई गति मिल सके। इससे देवास, पीथमपुर, उज्जैन और बदनावर जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
साथ ही इंदौर, देवास और अन्य शहरों को मजबूत सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जोड़ा जाएगा। जिससे सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सकेगी।
एक्सपर्ट बोले- प्रोग्रेसिव स्टेट बनने के लिए ऐसे कदम जरूरी क्रेडाई भोपाल के अध्यक्ष मनोज सिंह मीक कहते हैं, ‘ सरकार ने टाउनशिप पॉलिसी लागू की है। इस पॉलिसी को जमीन पर उतारना है तो बड़े एरिया की जरूरत पड़ेगी। अभी कई विभागों से अनुमतियों की जरूरत होती है। विभागों के बीच आपसी कोआर्डिनेशन नहीं होता। मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में जुड़ने के बाद छोटे शहरों को फ्लोर एरिया रेशो की दर, टीओडी और टीडीआर पॉलिसी का फायदा मिलेगा।
इसके अलावा स्मार्ट सिटी, पेन सिटी सॉल्यूशन के काम और मेट्रो रेल सेवा का फायदा मिलेगा। इसका सीधा असर औद्योगिकीकरण और रोजगार में इजाफे के तौर पर दिखाई देगा। किसी सामान्य क्षेत्र को यदि स्टेट कैपिटल रीजन के रूप में विकसित किया जाता है, तो इसका पहला असर इस क्षेत्र के रियल स्टेट पर पड़ता है। इसके बाद नए इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप किए जाते हैं।

अब जानिए आगे की प्रोसेस
सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट बनेगा मेट्रोपॉलिटन एरिया बनाने के लिए इसमें शामिल जिलों की अलग-अलग तहसील, निकायों का डेटा, वहां की जनसंख्या, स्थापित उद्योग, क्षेत्र की विशेषता की स्टडी होगी। पहले एक सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट बनेगा। इसके बाद वहां की भौगोलिक, आर्थिक, धार्मिक-सामाजिक स्थिति का आकलन होगा। कहां कौन सी इंडस्ट्री है, किस तरह की जरूरतें हैं, इसका भी खाका तैयार होगा।
मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनेगी एक मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके दो तिहाई सदस्य मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधि होंगे। इन्हें रीजन की आबादी के अनुपात के हिसाब से शामिल किया जाएगा। कमेटी को महानगर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का जनसंख्या के आधार पर बंटवारा, नियोजित विकास, जमीन के उपयोग में परिवर्तन व उपलब्ध फंड के हिसाब से योजनाएं बनाकर राज्य सरकार को भेजने का अधिकार होगा।
राज्य और केंद्र के बीच एमओयू साइन होगा मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड एक ही खाते में संयुक्त तौर पर आएगा। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक एमओयू साइन होगा। केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल शहरों के अनुपात में तय होगा। इसी अनुपात में विकास कार्यों के लिए राशि खर्च होगी।

मेट्रोपॉलिटन एरिया बनने से 5 बड़े फायदे
- बुनियादी ढांचे और स्मार्ट सिटी विकास: योजना में शामिल होने से नए उद्योगों और निवेशकों को आकर्षित करने का अवसर मिलेगा। नई टाउनशिप, सड़कें, पुल, लॉजिस्टिक पार्क और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।स्वच्छता, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि:नए उद्योगों और व्यापारिक विस्तार से स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यावरण और जल संरक्षण: योजना में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए हरे क्षेत्रों और जल स्रोतों को संरक्षित करने पर ध्यान दिया गया है। झीलों, तालाबों और छोटे नदियों के संरक्षण की योजना बनाई जा रही है।
- रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा: योजना के तहत भोपाल-इंदौर में शहरी क्षेत्र से लगे इलाकों में नई आवासीय योजनाएं और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल आएगा और निवेशकों के लिए नए अवसर बनेंगे।
- कृषि और ग्रामीण विकास: दोनों क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। योजना के तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी।कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों में बेचने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा।

प्लान तैयार होने के बाद सीएम और मंत्रियों में होगी चर्चा 9 महीने में पूरा प्लान तैयार होने पर मुख्यमंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री और जनप्रतिनिधियों की रायशुमारी होगी। जिसके बाद अंतिम फैसले पर मुहर लगेगी। हालांकि, जब सभी विभागों से सहमति प्राप्त होगी, तभी इसकी सर्वे रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उसमें भी शर्त है कि कंसल्टिंग एजेंसी पहले सिचुएशन एनालिसिस सहित अलग-अलग रिपोर्ट दे। हर स्टेज पर समय पर विभागों से मिलेगा, तभी यह काम 9 महीने में पूरा होगा।