Wednesday, June 18, 2025
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यूपी में राहुल ने अखिलेश के लिए मैदान छोड़ा: दोनों नेताओं ने फोन पर तय की रणनीति, यह सियासी दांव या मजबूरी… – Uttar Pradesh News


यूपी विधानसभा उपचुनाव में राहुल गांधी ने अखिलेश यादव के लिए मैदान छोड़ दिया है। दानों नेताओं में समझौते के बाद यह तय हुआ कि कांग्रेस प्रत्याशी नहीं उतारेगी। वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएगी। बुधवार देर रात सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और लो

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अखिलेश यादव ने बुधवार रात X पर लिखा- बात सीट की नहीं जीत की है। इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ेंगे।

गुरुवार सुबह सपा प्रमुख ने राहुल गांधी का हाथ थामे एक फोटो शेयर किया। इसमें लिखा- हमने ये ठाना है, संविधान, आरक्षण और सौहार्द बचाना है। बापू-बाबा साहेब और लोहिया के सपनों का देश बनाना है।

अखिलेश यादव ने गुरुवार सुबह यह पोस्ट की

इससे पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की खबरें आ रही थीं। दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे थे। सपा के लोग कह रहे थे कि कांग्रेस जवाब नहीं दे रही और कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि सपा ने बगैर पूछे टिकट घोषित कर दिए।

पहले दो, बाद में तीन सीट के लिए राजी हो गई थी सपा समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए दो सीट छोड़ी थी। इसमें एक गाजियाबाद और दूसरी खैर थी। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी। कांग्रेस 5 सीटें मांग रही थी, बाद में चार सीटों गाजियाबाद, खैर के साथ मीरापुर और फूलपुर पर आ गई थी। सपा फूलपुर सीट देने को राजी हो गई, लेकिन कांग्रेस नहीं मानी। बुधवार शाम तक लग रहा था कि सपा-कांग्रेस के बीच दरार पैदा हो गई है, लेकिन दोनों पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बातचीत से संशय समाप्त हो गया।

ये तस्वीर 16 अक्टूबर की है

ये तस्वीर 16 अक्टूबर की है

अजय राय बोले- बात करने दिल्ली आए हैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वे इसी मुद्दे पर बात करने के लिए दिल्ली आए हैं। लेकिन वायनाड में प्रियंका गांधी के नामांकन के चलते कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता वायनाड में थे, इसलिए उनसे बात नहीं हो पाई।

आइए जानते हैं कि बात कहां बिगड़ रही थी? दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे। सीट शेयरिंग को लेकर बात बनती नजर नहीं आ रही थी। कांग्रेस ने 2022 के चुनाव में सपा की हारी हुई पांच सीटों पर दावेदारी पेश की थी। सपा ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। हरियाणा चुनाव के नतीजे आते ही 6 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने सपा की ओर से छोड़ी गई खैर और गाजियाबाद सीटों को लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। कांग्रेस का कहना था कि उसे कम से कम एक ऐसी सीट मिलती, जिस पर वह जोर लगाकर जीत हासिल कर सकती, लेकिन सपा ने ऐसी कोई सीट उसे नहीं दी। वहीं, सपा नेताओं का कहना था कि जिन सीटों पर उसके उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं, उन सीटों पर उसने प्रत्याशी उतार दिए हैं। जहां कांग्रेस कभी मजबूत रही है, वह सीटें कांग्रेस को दी गई हैं।

यह तस्वीर उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह की है, राहुल गांधी और अखिलेश यादव साथ में बैठे हुए थे।

यह तस्वीर उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह की है, राहुल गांधी और अखिलेश यादव साथ में बैठे हुए थे।

सपा फूलपुर सीट देने पर भी हो गई थी राजी

सूत्रों का कहना है कि सपा फूलपुर सीट भी कांग्रेस के लिए छोड़ने के लिए राजी हो गई थी। कांग्रेस फूलपुर और मीरापुर सीट लेने पर अड़ी हुई थी। सपा की ओर से साफ कर दिया गया था कि मीरापुर सीट नहीं छोड़ेगी।

दरअसल, फूलपुर प्रयागराज जिले का हिस्सा है, इलाहाबाद में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, जबकि फूलपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी मामूली अंतर से हारी थी। कांग्रेस का मानना है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा है, इसलिए इस सीट पर कांग्रेस जीत हासिल कर सकती है।

कुंदरकी के टिकट को लेकर असमंजस कायम

समाजवादी पार्टी ने अभी तक कुंदरकी से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि सपा हाजी रिजवान को ही अपना प्रत्याशी बनाएगी। देरी इसलिए की जा रही है कि सपा के शीर्ष नेतृत्व पर पार्टी के कार्यकर्ता किसी तरह का दबाव बनाने न पहुंच जाएं। क्योंकि, कुंदरकी से सपा के दावेदारों की संख्या अधिक है। इसकी सबसे बड़ी वजह मुस्लिम बाहुल्य सीट होना भी है। माना जा रहा है कि गुरुवार को समाजवादी पार्टी इस सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी।

कटेहरी और खैर पर बसपा का फोकस

लंबे अरसे बाद बहुजन समाज पार्टी किसी उपचुनाव में हिस्सा लेने जा रही है। प्रत्याशी भी घोषित कर रखे हैं। आकाश आनंद को यूपी के उपचुनाव से दूर रखा गया है। मायावती आम चुनावों में भी कम से कम रैलियां करती हैं, वह उप चुनाव में निकलेंगी, इसकी संभावना न के बराबर है।

बहुजन समाज पार्टी का मुख्य फोकस कटेहरी और खैर विधानसभा सीट पर है। खैर में 2022 के चुनाव में बसपा को 56 हजार वोट मिले थे। इस सीट पर जाटव वोट अच्छी संख्या में है। इसी तरह कटेहरी सीट भी बसपा की परंपरागत सीट रही है। इस सीट पर बसपा के पूर्व नेता लालजी वर्मा का वर्चस्व रहा है। वह अब सपा में हैं और उनकी पत्नी उपचुनाव में प्रत्याशी हैं। बसपा लालजी वर्मा के वर्चस्व को कम करने के लिए अपना पूरा जोर लगाएगी।

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