Saturday, June 7, 2025
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राम जानकी आश्रम में संत की मौत के बाद विवाद: अंतिम संस्कार को लेकर दो पक्षों में टकराव, पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में समाधान – Mainpuri News


आशीष कुमार | मैनपुरी6 मिनट पहले

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मैनपुरी के किसनी थाना क्षेत्र स्थित जटपुरा चौराहे पर राम जानकी आश्रम के संत सुरेंद्र दास का निधन हो गया। 80 वर्षीय संत 3 जून को अपने एक शिष्य के यहां भागवत कथा कार्यक्रम में गए थे। बृहस्पतिवार रात 12 बजे उनका निधन हो गया।

उनके अनुयायी जब शव को आश्रम लेकर पहुंचे तो गेट पर ताला लगा मिला। आश्रम में मौजूद बाबा रघुनंदन दास ने न तो मंदिर का दरवाजा खोला और न ही आश्रम का गेट। इस पर सुरेंद्र दास के अनुयायियों ने पुलिस और तहसीलदार को बुला लिया।

मृतक के अनुयायी आरोप लगा रहे हैं कि आश्रम और उससे लगी जमीन पर कब्जे की साजिश के कारण महंत ने प्राण त्याग दिए। पोस्टमार्टम के बाद जब अनुयायी शव को अंतिम संस्कार के लिए लाए, तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। इस पर उन्होंने टेंट लगाकर शव को मंदिर के बाहर रख दिया।

विवाद की सूचना पर राम जानकी मंदिर के अध्यक्ष, तहसीलदार घासीराम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। एसडीएम गोपाल शर्मा और सीओ भी वहां आए। जमीन की एक फर्द में मृतक सुरेंद्र दास का नाम होने पर एसडीएम ने मंदिर से बाहर की जमीन पर अंतिम संस्कार की अनुमति दे दी।

बाबा रघुनंदनदास की हिस्ट्रीशीट की जांच को मांगा समय

ट्रस्ट के सदस्यों का आरोप है कि आश्रम से जुड़ी जमीन चौराहे पर हो होने के कारण बेश कीमती है जिस जमीन पर अवैध कब्जे की साजिश भूमाफियाओं द्वारा रची जा रही है। आश्रम को स्थायी सुरक्षा दिए जाने की मांग की गई है। मृतक बाबा की अनुयायियों ने मंदिर में अंदर रह रहे रघुनंदन दास पर हिस्ट्रीशीटर होने के कारण मंदिर से बाहर निकालने की मांग की गई। जिस पर एसडीएम ने जांच करने का हवाला देकर अनुयायियों से तीन दिन का समय मांगा है।

बाबा के भेष में हिस्ट्रीशीटर बाबा होने का आरोप

मृतक सुरेंद्र दास के अनुयायियों की माने तो वर्ष 1960 में तपस्वी जीवन अपनाकर महंत सुरेंद्र दास ने जर्जर अवस्था में पड़े इस प्राचीन मंदिर और आश्रम का नव निर्माण शुरू किया था। दशकों तक वे आश्रम के संरक्षण और सेवा में निरंतर लगे रहे। हाल के वर्षों में लगभग 18 बीघा भूमि पर कब्जा करने की नीयत से कुछ स्थानीय प्रभावशाली तत्व सक्रिय हो गए। ट्रस्ट के अनुसार, इन प्रयासों में मुख्य बाबा के भेष में औरैया जनपद के अछल्दा थाना क्षेत्र की हिस्ट्रीशीटर रामअवतार उर्फ रघुनंदन दास जैसे लोग शामिल हैं। जिन्हें अपराधिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।

शिकायतों के बाद भी मृतक बाबा सुरेन्द्र दास की नहीं हुई सुनवाई

बार-बार शिकायतों के बावजूद अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। महंत जी ने 2 और 3 जून को मंडलायुक्त आगरा से मिलकर शपथ-पत्र के साथ सुरक्षा और हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। इससे पहले भी वे जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को कई बार पत्र सौंप चुके थे।

भूमाफिया बाबा को मंदिर का बनना चाहते हैं सर्वे सर्वा

इसके बावजूद 5 जून को आश्रम में ट्रस्ट की बिना सहमति के श्रीमद्भागवत कथा और भंडारे का आयोजन हुआ। जिसमें कथित बाबा रघुनंदन दास को जबरन स्थापित करने का प्रयास किया गया। इस आयोजन को ट्रस्ट ने कब्जे की राजनीतिक चाल करार दिया है। बाबा सुरेंद्र दास के अनुयायियों का आरोप है। भागवत तो केवल बहाना था बाबा रघुनंदन दास को इस आयोजन के सहारे मंदिर का सर्वे सर्वा बनाना था। जिसमें कथित बाबा के साथी कार्यक्रम के बहाने हिस्ट्री शीट बाबा को आश्रम की संपूर्ण जिम्मेदारी देकर महामंडलेश्वर की पदवी से नवाज दिया गया।

भागवत और भंडारे के दूसरे दिन बाबा ने त्यागे प्राण

5 जून की रात को महंत सुरेंद्र दास ने चुपचाप संसार को अलविदा कह दिया। 6 जून की सुबह जब उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन हेतु आश्रम लाया गया, तो रघुनंदन दास ने शव को अंदर जाने से रोक दिया। पुलिस व तहसीलदार को मामले की जानकारी दी गयी।उसके बाद पुलिस ने शव पीएम के लिए भेज दिय अनुयाइयों ने पीएम के बाद शव मंदिर के बाहर रख दिया। और मृतक बाबा के शरीर को आश्रम में प्रवेश कराने और राम जानकी के अंतिम दर्शन करने के लिए आश्रम के अंदर सब ले जाने की बात को कहकर आश्रम के गेट के बाहर उनका शव रख दिया लेकिन मंदिर में मौजूद बाबा ने आश्रम का गेट नहीं खोला।

दोपहर से लेकर शाम तक चालू है धरना प्रदर्शन

इसके बाद आश्रम के बाहर मृतक बाबा के अनुयायियों ने मंदिर में सब ले जाने के लिए सुबह से लेकर शाम तक धरना प्रदर्शन कर दिया। सूचना पर सीओ, प्रभारी निरीक्षक ललित भाटी, तहसीलदार घासीराम,एसडीएम गोपाल शर्मा मौके पर भारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए। वार्ता के बाद मंदिर से ही जुड़ी जमीन पर अंत्येष्टि की अनुमति दे दी गयी है। लेकिन मंदिर में मौजूद बाबा रघुनंदन दास में आश्रम का गेट नहीं खोला वह आश्रम के अंदर ही मौजूद है। और आश्रम के बाहर बाबा का सब रखकर अनुयाई हंगामा कर रहे हैं। और अधिकारी मामले को लेकर कोई भी बयान देने से बच रहे हैं।



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