Tuesday, June 17, 2025
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रेवाड़ी के अन्नी नेहरा बने लेफ्टिनेंट: पिता को वर्दी में देख जगी चाहत, 45वीं रैंक मिली, छोटा भाई भी NDA में चयनित – Rewari News


लेफ्टिनेंट अन्नी नेहरा मां सुमन व पिता देवेंद्र के साथ।

हरियाणा के रेवाड़ी में लेफ्टिनेंट अन्नी नेहरा ने पिता को सेना की वर्दी में देखा तो सेना में जाने की चाहत जगी। लेकिन पिता व दादा सेना की जाट रेजिमेंट में हवलदार के पद पर रहे। ऐसे में पिता के मन में कसक थी बेटा सेना में अफसर होना चाहिए। उसी धुन में बेटे

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रेवाड़ी के बावल निवासी लेफ्टिनेंट अन्नी नेहरा ने 5वीं तक की शिक्षा दुल्हेड़ा गांव के विमल ह्रदय कान्वेंट स्कूल में पूरी की। जिसके बाद उन्होंने देश के 5 मिलिट्री स्कूल में शामिल कर्नाटक के बेलगांव मिलिट्री स्कूल की परीक्षा काे क्लियर किया और वहां पर छठी कक्षा से पढ़ाई शुरू की।

ऑल इंडिया मिलिट्री स्कूल के लिए हर साल करीब 1 लाख स्टूडेंट परीक्षा देते हैं, जिनमें से केवल 350 का ही चयन होता है।

5वीं कक्षा के दौरान ली कोचिंग अन्नी नेहरा के पिता ने दोनों बेटों की मिलिट्री स्कूल का टेस्ट क्लियर करने के लिए एक साल कोचिंग दिलवाई थी। दोनों ही बेटे जब पांचवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे थे तो उसी दौरान दोनों ने मिलिट्री स्कूल के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी भी की। अन्नी नेहरा को एडमिशन मिलिट्री स्कूल में मिला तो वहीं छोटे भाई अंकुश का एडमिशन सैनिक स्कूल कुंजपुरा में हुआ।

लेफ्टिनेंट बनने की खुशी में अन्नी नेहरा को लड्‌डू खिलाते हुए परिजन।

पढ़ाई के दौरान ही एनडीए की तैयारी

मिलिट्री स्कूल बेलगांव में पढ़ाई के दौरान ही एनडीए परीक्षा की तैयारी करने लगे। मिलिट्री स्कूल में भी आर्मी की तरह ही व्यवहार रहता है। एनडीए की तैयारी में मिलिट्री स्कूल से होने का बड़ा लाभ मिला। यहां आने वाले इंस्ट्रक्टर इंडियन आर्मी से ही ऑफिसर होते है, उनसे प्रेरणा मिली। मिलिट्री स्कूल के अलावा एनडीए परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं ली। पहले ही प्रयास में वे सफल हो गए।

कैसे करें तैयारी

एनडीए में चयनित होने वाले अन्नी नेहरा के अनुसार परीक्षा में मुख्य तौर पर इंग्लिश, मैथ, जीके और साइंस विषय होते है। इंग्लिश और मैथ के प्रश्न का स्तर 12वीं कक्षा का रहता है। वहीं जीके और साइंस का स्तर 10वीं कक्षा के सिलेबस तक रहता है। अगर स्टूडेंट ने साइंस विषय से 12वीं करते समय थोड़ी मेहनत की है तो ज्यादा मुश्किल नहीं होती। दिन में स्कूलिंग के अलावा 3 से 4 घंटे की एक्स्ट्रा पढ़ाई काफी है।

70 प्रतिशत सिविल स्कूलों के कैडेट

लेफ्टिनेंट अन्नी नेहरा के अनुसार जब वे नेशनल डिफेंस एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए गए तो, वहां 70 प्रतिशत से अधिक नॉन मिलिट्री स्कूल के कैडेट थे। ऐसा नहीं है कि मिलिट्री स्कूल के बच्चे ही इसमें बेहतर कर सकते हैं। सिविल और कान्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी थोड़े प्रयास और कोचिंग से बेहतर कर सकते हैं।

खड़गवास में हुई 3 साल ट्रेनिंग

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवास में मेरी 3 साल ट्रेनिंग हुई। जहां तीनों ही सेनाओं का अनुभव लिया। भारतीय रक्षा अकादमी में अंतिम एक साल की ट्रेनिंग हुई। यहां पर फिजिकली टफ बना दिया जाता है। हथियारों का खासा अनुभव हो जाता है। भविष्य की चुनौतियां से निपटने में कैडेट सक्षम होकर निकलता है। मैंने हर ड्रिल में इंस्ट्रक्टर से बेहतर सीखने का प्रयास किया। जिसके चलते आलराउंड प्रदर्शन में दूसरा स्थान और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिला।

परिवार से मिला मोटिवेशन मेरे 4 दादा भारतीय सेना में रहे। मेरे पिता भी सेना में रहे हैं। परिवार से ही मोटिवेशन मिला है। आर्म्ड फोर्स से बेहतर कोई प्रोफेशन नहीं हो सकता। थोड़ा कठिन जरूर है, लेकिन समाज में आर्म्ड फोर्स ऑफिसर को बड़ा सम्मान मिलता है। अगर दूसरा जन्म मिला तो एनडीए में जाना चाहूंगा। छोटा भाई भी NDA में चयनित अन्नी के परिवार में एक छोटा भाई अंकुश है, जिसने बड़े भाई की राह पर चलते हुए कुंजपुरा स्थित मिलिट्री स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद 2023 में उसका भी चयन एनडीए में हो गया। वह अभी पुणे में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

अन्नी नेहरा की मां सुमन नेहरा।

अन्नी नेहरा की मां सुमन नेहरा।

देश के लिए जीना बड़ी बात: सुमन अन्नी नेहरा की मां सुमन ने कहा कि बेटे के ऑफिसर बनने पर गर्व महसूस हो रहा है। कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो महसूस की जा सकती है, शब्दों में बयां नहीं हो सकती। जीवन देश और समाज के लिए जीना एक मां के लिए गर्व की बात है। पिता के सपने की वजह से मुझे बचपन में ही बच्चे बोर्डिंग स्कूल में छोड़ने पड़े थे। मैं तो खाली समय में रागनी भी देशभक्ति वाली सुनती हूं।

अन्नी नेहरा के पिता देवेंद्र नेहरा।

अन्नी नेहरा के पिता देवेंद्र नेहरा।

बच्चे से हो पैरेंटस की पहचान : देवेंद्र नेहरा अन्नी नेहरा के पिता देवेंद्र नेहरा ने कहा कि मेरे लिए भावुक पल है। हर मां-बाप चाहता है कि जब तक बच्चा स्कूल जाए तो उसकी पहचान पेरेंट्स से हो। जब उसकी पढ़ाई पूरी हो जाए तो वो कोई ऐसा काम करे कि पेरेंट्स की पहचान बच्चे की वजह से हो। परिवार में आर्मी में तो काफी लोग हैं, लेकिन अभी तक ऑफिसर नहीं था। लेकिन अब दोनों बेटों ने वो करके दिखाया है।



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