रोबोटिक कार्डियक सर्जरी करने वाली टीम में शामिल डॉक्टर्स।
इंदौर में एक 16 साल की किशोरी के दिल में छेद को डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी के जरिए दुरुस्त किया है। मरीज की स्थिति अब बेहतर है। उम्मीद है कि जल्द ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। दावा है कि इस उम्र में रोबोटिक कार्डियक सर्जरी से दिल के छेद को ठीक करने
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श्री अरबिंदो अस्पताल की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. महक भंडारी ने बताया
सामान्यतः दिल के छेद वाले बच्चों का ऑपरेशन 3 साल की उम्र तक कर दिया जाता है। इस बच्ची की रोबोटिक सर्जरी का सहारा इसलिए लिया ताकि उसे भविष्य में किसी तरह की कॉस्मेटिक प्रॉब्लम का सामना न करना पड़े।
नई तकनीक पर आधारित रोबोटिक सर्जरी इर्काड इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. मोहित भंडारी ने बताया कि मरीज की किसी हड्डी को काटे बिना और बगैर कोई निशान छोड़े बिना बेहद सटीक तरीके से सफल रोबोटिक कार्डियक सर्जरी की जाती है।
यह नई टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस तकनीक से वाल्व बदलने के साथ-साथ हार्ट सर्जरी भी की जाएगी। इस प्रकार के प्रयासों से न केवल सर्जरी की जटिलताएं कम होंगी बल्कि मरीज को जल्द लाभ भी मिलेगा। रोबोटिक सर्जरी से मरीज के संक्रमित होने का खतरा बिल्कुल नहीं रहता।
नहीं काटनी पड़ी सीने के सामने की हड्डी सर्जरी टीम के डॉ. निशीथ भार्गव ने बताया कि एक माह पूर्व खंडवा की एक मरीज सांस फूलने की समस्या के इलाज के लिए अस्पताल में आई थी। उसकी जांच करने पर ऑस्टियम सेकण्ड्रम एट्रियल सेप्टल डिफेक् (एएसडी) का पता चला। इस बीमारी में खून का बहाव बढ़ने से फेफड़ों पर दबाव काफी बढ़ जाता है। ऐसे उसके दिल का छेद तत्काल बंद करना आवश्यक था।
सामान्यतः इस तरह की सर्जरी में सीने के सामने की हड्डी खोलनी या काटनी पड़ती है। इससे भविष्य में पेशेंट को कई तरह की दिक्कतें हो सकती थी।
टीम में डॉ. रामकृष्ण शुक्ला और डॉ. समी अनवर भी शामिल थे। उन्होंने काफी डिस्कशन के बाद पेशेंट की रोबोटिक सर्जरी का निर्णय लिया। इससे सामान्य सर्जरी के मुकाबले सर्जरी भी बहुत सटीक हुई और मरीज को किसी भी तरह के कॉम्प्लीकेशंस का सामना भी नहीं करना पड़ा।