शहर में हर साल मानसून में थोड़ी देर भी तेज बारिश होने पर 30 इलाके ऐसे हैं जहां नालों का पानी ओवरफ्लो होकर एक से डेढ़ फुट तक सड़कों-नालियों ही नहीं घरों में भी भर जाता है। क्योंकि आउटर में जो नाले 100 से 75 फीट तक चौड़े हैं वो शहर के भीतर 2 से 5 फीट तक स
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शनिवार के अंक में भास्कर ने उन इलाकों की रिपोर्ट तस्वीरों के साथ प्रकाशित की थीं जो हर साल तेज बारिश के बाद खींची जाती हैं। अब उन बस्तियों और इलाकों में पानी भरने की वजह सामने लायी जा रही है। भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि बारिश के पानी को इकट्ठा कर जो नाले खारुन नदी तक पहुंचाते हैं, उन नालों पर ही अवैध कब्जा कर लिया गया है।
शहर के दो प्रमुख अरमान और चिंगरी नाले की जांच की गई। इसके लिए खारुन नदी से टीम वहां तक पहुंची जहां नाले छोटी नाली में तब्दील हो गए हैं। पूरे रूट के दौरान यहीं नजर आया कि लोगों ने अवैध कब्जे किए। इस वजह से नाले संकरे हो गए है। इसी ग्राउंड रिपोर्ट।
ऐसे हुए छोटे
चिंगरी नाला लंबाई 8.54 किमी
{ खारुन नदी से भाठागांव होते हुए रिंग रोड पर शंकरा हुंडई लंबाई-2.94 किमी चौड़ाई-75 फीट कहीं तो कहीं 25 फीट {रिंग रोड से प्रोफेसर कालोनी, कुशालपुर लंबाई- 4.3 किमी, चौड़ाई- 3 फीट तो कहीं पर 1.5 फीट। {कुशालपुर से होते हुए महामाया पारा, पुरानी बस्ती तक लंबाई- 1.6 किमी, चौड़ाई- 2 फीट तो कहीं पर 1 फीट।
शहर में चिंगरी नाला के नाम से चर्चित इस नाले की पड़ताल भास्कर ने खारुन नदी से शुरू की। खारुन नदी के पास इस नाले की चौड़ाई लगभग 75 फुट है। वहां से रिंग रोड स्थित शंकरा हुंडई भाठागांव पहुंचते पहुंचते इसकी चौड़ाई 25 फुट की रह गई है। भाठागांव से कुशालपुर की ओर आते आते अचानक ही नाला पूरी तरह गायब हो गया है। जबकि यही नाला पहले प्रोफेसर कालोनी तक था। बारिश के दौरान शहर मुख्य इलाके कोतवाली, कालीबाड़ी, पुरानी बस्ती, लाखे नगर, सुंदर नगर, अश्वनी नगर, कुशालपुर का पानी छोटे नालों और नालियों से होकर प्रोफेसर कालोनी में इकट्ठा होता है। यहां से चिंगरी नाले से खारुन तक पहुंचता था। पिछले 12-15 साल के दौरान प्रोफेसर कालोनी से इस नाले की कनेक्टिविटी ही खत्म हो गई है। इस वजह से प्रोफेसर कालोनी में पानी जमा होता है।
असर : इस नाले के ओवरफ्लो होने से कुशालपुर, प्रोफेसर कालोनी, मलसाय तालाब के पास, महामाया पारा, खोखोपारा, पुरानी बस्ती, सुंदर नगर सहित आसपास के इलाके में डेढ़ से एक फुट तक पानी घरों व सड़कों में भर जाता है। 25 से 30 हजार लोग जलभराव से प्रभावित हैं।
ये कहीं अरमान नाला तो कहीं छोकरा नाला जैसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। सिविल लाइन इलाके से शुरू होकर ये नाला मुरेठी गांव के पास खारुन नदी पर गिरता है। हर बारिश में ये नाला क्यों ओवरफ्लो होता है और उसका पानी घरों में क्यों घुसता है। भास्कर ने खारुन नदी से सिविल लाइन तक पूरे 26 किमी तक नाले की जांच की। खारुन के पास इस नाले की चौड़ाई लगभग 100 फीट दिखाई दी। वहां से निमोरा होते हुए दलदल सिवनी तक नाला लगभग 80 फुट तक चौड़ाई थी। दलदल सिवनी से विधानसभा, मोवा होकर क्रिस्टल आर्केड तक इसकी चौड़ाई घटते हुए 50 से 10 फुट तक नजर आई। क्रिस्टल आर्केड के बाद शंकरनगर और न्यू शांतिनगर के बीच तो नाले की चौड़ाई 10 से 6 फुट ही बाकी रह गई। शांतिनगर से सिविल लाइन आकाशवाणी पहुंचते तक नाला केवल 2 फुट का ही रह गया है।
असर : राजातालाब, शंकर नगर, पंडरी, गोरखा कालोनी, जगन्नाथ नगर, सिविल लाइन, पंडरी से लगी बस्तियों व कालोनियों में हर साल नाले का पानी ओवर फ्लो होकर बहता है। तीन-चार वार्ड के 20 से 30 हजार लोग होते हैं प्रभावित।
ऐसे हुए छोटे
छोकरा नाला लंबाई 26.07 किमी
खारुन नदी मुरेठी से क्रिस्टल आर्किड शंकरनगर लंबाई-22.80 किमी चौड़ाई- 120 फीट कहीं पर तो कहीं 50 शंकरनगर से गांधी उद्यान तक लंबाई- 2.7 किमी, चौड़ाई- 50 फीट तो कहीं पर 06 फीट। गांधी उद्यान से पीड्ल्यूडी आफिस, आकाशवाणी तक लंबाई- 569 मीटर चौड़ाई- 1 फीट तो कहीं पर 1.5 फीट।