करीब तीन दशक पहले तरुण चटर्जी के कार्यकाल में रायपुर शहर में अंडरग्राउंड ड्रेनेज तैयार किया गया। इसे बनाने का उद्देश्य था शहर के सीवरेज वाटर और बारिश के पानी को बाहर निकालना। 25 साल पहले रायपुर शहर की जनसंख्या महज सात लाख के आसपास थी। अब यह बढ़कर 17
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ड्रेनेज सिस्टम जयस्तंभ चौक, मालवीय रोड, एमजी रोड और आसपास तक ही सीमित है। कई जगहों पर ड्रेनेज बंद भी हो चुका है। इस वजह से इसकी ठीक से सफाई भी नहीं हो पा रही है। शहर में बारिश के दौरान पानी भरने की एक बड़ी वजह यह भी है। सोमवार को निगम के सभापति सूर्यकांत राठौर ने नगर निगम कमिश्नर को इस ड्रेनेज सिस्टम और उसके ड्राइंग डिजाइन व मैप की जानकारी मांगी है। शहर के कई इलाकों की सड़कों, मोहल्लों, बस्तियों और कालोनियों में बारिश के दौरान सड़क पर एक से डेढ़ फुट तक पानी भरना आम समस्या है।
मानसून के चार महीने जलभराव वाले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आफत का मौसम है। निगम के तमाम प्रयासों के बावजूद पानी भरना बंद नहीं हो रहा है। इसके लिए एक बेहतर डेनेज सिस्टम की जरूरत महसूस की जा रही है। शहर में एक पुराना ड्रेनेज सिस्टम बना हुआ है। जयस्तंभ चौक, शारदा चौक, मालवीय रोड और आसपास सड़क पर खुले चैंबर जहां हैं वहीं ड्रेनेज सिस्टम है।
हालांकि इसकी डिटेल जानकारी किसी के पास नहीं है। निगम के रिटायर्ड कर्मियों का कहना है कि तीन दशक पहले शहर की मुख्य सड़कों को खोदकर ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया गया था। उस वक्त इसका ड्राइंग डिजाइन और मैप भी तैयार किया गया था। निगम के सभापति सूर्यकांत राठौर ने कहा कि निगम के पास मैप और ड्राइंग डिजाइन उपलब्ध होना चाहिए।