झारखंड में जमीन के सर्वे को लेकर दायर गोकुल चंद की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ में मंगलवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लैंड सर्वे की धीमी रफ्तार पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को टेक्नोलॉजी अपग्रेडेश
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सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि लैंड सर्वे की आधुनिक तकनीक सीखने के लिए झारखंड से तीन टीमें बिहार, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश भेजी गई हैं। इनमें से एक टीम हाल ही में आंध्रप्रदेश के सम्मेलन में भाग लेकर तकनीकी अपडेट की जानकारी ले चुकी है। शेष दो टीमें भी जल्द प्रशिक्षण लेंगी, जिससे झारखंड में सर्वे कार्य को तकनीकी रूप से मजबूत किया जा सके।
कोर्ट ने राज्य सरकार को इस तकनीकी आदान-प्रदान की प्रक्रिया जल्द पूरी करने और लैंड सर्वे के कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है। साथ ही, यह भी पूछा है कि सर्वे पूरा करने के लिए अमीन और अन्य तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति कब तक होगी और पुरानी तकनीक को एडवांस टेक्नोलॉजी में कब बदला जाएगा।
सरकार ने बताया – लातेहार व लोहरदगा में पूरा हो चुका सर्वे
सरकार ने बताया कि राज्य में कई जिलों में सर्वे कार्य चल रहा है और लातेहार व लोहरदगा में यह काम पूरा हो चुका है। लेकिन तकनीकी कर्मियों की कमी व पद रिक्त रहने के कारण पूरे राज्य में कार्य पूरा नहीं हो सका है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि लैंड सर्वे का कार्य समय पर पूरा होना आम जनता और सरकार दोनों के हित में है। अगली सुनवाई की तारीख 16 सितंबर तय की गई है। प्रार्थी गोकुल चंद की ओर से अधिवक्ता प्रत्यूष शौनिक्य ने पैरवी की।