Sunday, June 8, 2025
Sunday, June 8, 2025
Homeबिजनेसस्टारलिंक सरकार के डेटा सिक्योरिटी रूल्स से सहमत: कंपनी जल्द पूरी...

स्टारलिंक सरकार के डेटा सिक्योरिटी रूल्स से सहमत: कंपनी जल्द पूरी करेगी लाइसेंस की प्रोसेस, भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज देगी


  • Hindi News
  • Business
  • Spacex Owner Elon Musk’s Starlink Agrees To Data Security Rules, Satcom License Application To Move Forward

नई दिल्ली7 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क की स्टारलिंक की भारत में लाइसेंस की प्रोसेस अब जल्द ही आगे बढ़ सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनी स्टारलिंक सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी रूल्स को पूरा करने के लिए राजी हो गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टेलीकॉम डिपार्टमेंट के साथ मीटिंग में स्टारलिंक ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज लाइसेंस के लिए डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी से जुड़े रूल्स को लेकर हामी भरी है, लेकिन कंपनी ने अभी एग्रीमेंट नहीं दाखिल किया है।

ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज (GMPCS) लाइसेंस, सैटेलाइट इंटरनेट के सेटअप की दिशा में पहला कदम है। जिसके बाद मामूली ऐप्लिकेशन फीस देकर टेस्टिंग के लिए स्पेक्ट्रम हासिल किया जा सकता है।

सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी को पूरा डेटा देश में रखना अनिवार्य

सिक्योरिटी से जुड़े नियमों के मुताबिक देश में काम कर रही सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी को पूरा डेटा देश के भीतर रखना अनिवार्य है। स्टारलिंक को भी यह बताने की जरूरत पड़ सकती है कि अगर इंटेलिजेंस एजेंसियों को जरूरत पड़ी तो उन्हें डेटा कैसे मिलेगा।

स्टारलिंक ने अक्टूबर 2022 में लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था

स्टारलिंक ने अक्टूबर 2022 में इस लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। इसके बाद कंपनी ने स्पेस रेगुलेटर, इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) से भी मंजूरी के लिए अप्लाई किया था। IN-SPACe के पास जो ऐप्लीकेशन है, वह भी आगे बढ़ चुका है, लेकिन फाइनल अप्रूवल के लिए एडिशनल डीटेल्स मांगी गई है।

भारत सरकार प्राइसिंग और स्पेक्ट्रम एलोकेशन के रूल्स तय करेगी

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज तब शुरू होंगी, जब सरकार प्राइसिंग और स्पेक्ट्रम एलोकेशन के रूल्स तय करेगी। यह प्रोसेस तभी शुरू हो सकती है, जब टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) अपनी सिफारिशें जारी करेगा, जिसके दिसंबर के आखिरी तक आने की उम्मीद है।

भारतीय कंपनियों का स्टारलिंक जैसी ग्लोबल कंपनियों से मुकाबला होगा

सैटेलाइट सर्विसेज सेक्टर में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया जैसी भारत की कंपनियों की अमेजन के मालिक जेफ बेजोस की कुइपर और मस्क की स्टारलिंक जैसी ग्लोबल कंपनियों से भिड़ंत होगी।

पिछले सप्ताह एक ओपन हाउस सेशन में तीनों भारतीय कंपनियों के रिप्रेजेंटेटिव ने कहा था कि शहरी या रिटेल कंज्यूमर्स को सैटेलाइट से जुड़ी सर्विसेज देने के लिए सिर्फ नीलामी वाले सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ही इस्तेमाल होना चाहिए।

वहीं स्टारलिंक ने इस मांग को लेकर कहा था कि टेलीकॉम/जमीनी सेवाएं और सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस सैद्धांतिक रूप से अलग हैं, तो इनकी तुलना नहीं की जानी चाहिए।

स्पेक्ट्रम नीलामी की बजाय प्रशासनिक तौर पर एलोकेट किया जाना चाहिए

स्टारलिंक इंडिया के डायरेक्टर पर्निल उर्ध्वरेशे ने कहा था कि अगर टेलीकॉम कंपनियों के बीच 5G मोबाइल स्पेक्ट्रम साझा किया जाता है, तो इसे नीलामी की बजाय प्रशासनिक तौर पर एलोकेट किया जाना चाहिए।

IN-SPACe का अनुमान है कि देश की स्पेस इकोनॉमी 2033 तक बढ़कर 4,400 करोड़ डॉलर की हो सकती है और इसकी ग्लोबल मार्केट में हिस्सेदारी अभी के करीब 2% से बढ़कर 8% के करीब हो सकती है।

सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?

  • सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
  • स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।

खबरें और भी हैं…



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular