इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना कारण दर्ज किए आदेश पारित करने पर जीएसटी विभाग पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया है । कोर्ट ने विभाग द्वारा जारी आदेश को भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने दो महीने के भीतर हर्जाने की राशि जमाकर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्द
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जीएसटी विभाग ने ऑटो पार्टस निर्माण करने वाली कंपनी वैरोक पॉलिमर्स लिमिटेड को नोटिस जारी कर 2017-18 के दौरान दाखिल रिटर्न में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 4874527 रुपये का जुर्माना और 507148 रुपये का ब्याज लगाते हुए भुगतान की मांग की। कंपनी ने कारण बताओं नोटिस का विस्तृत जवाब
दाखिल किया। जीएसटी विभाग ने जवाब को खारिज कर दिया। इसके बाद कंपनी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची कंपनी के अधिवक्ता ने दलील दी कि नोटिस में
उल्लिखित विसंगतियों को समझाते हुए जवाब दिया गया था। इसके बाद भी बिना किसी उचित कारण के आपत्ति को खारिज कर दिया। जीएसटी विभाग के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने याचिका का विरोध किया।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची कंपनी की आपत्ति को अधिकारियों ने बिना कोई उचित कारण बताए कारण खारिज कर दिया है। यह नैसर्गिग न्याय के विपरीत है। न्यायिक और प्रशासनिक आदेश भी कारण सहित होने चाहिए। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जीएसटी विभाग के आदेश को रद्द कर दिया है।