UPSC में सेकेंड टॉपर आने के बाद बात करतीं हर्षिता गोयल।
हरियाणा के हिसार में जन्मी हर्षिता गोयल UPSC की सेकेंड टॉपर रहीं। हर्षिता ने UPSC में सेकेंड रैंक आने पर कहा- मेरी मम्मा नहीं है। पापा ही मेरे सपोर्ट सिस्टम हैं। पापा ने मुझे सिर्फ इतना कहा कि बेटा तू पढ़ाई कर, अपना सपना अचीव कर। इसकी वजह से आज यह काम
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हर्षिता ने पढ़ाई को लेकर कहा कि वह डेली 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थीं। इसके अलावा इंटरव्यू क्लियर करने के लिए कई मॉक इंटरव्यूज की क्लासेज भी कीं। बता दें कि हर्षिता का परिवार गुजरात के वडोदरा में शिफ्ट हो चुका है। उनकी पढ़ाई और UPSC की तैयारी वहीं हुई है।
सेकेंड टॉपर बनने के बाद हर्षिता की अहम बातें…
1. फैमिली में सिविल सर्विसेज क्रैक करने वाली पहली मेंबर UPSC क्रैक करने के बाद हर्षिता ने बताया- मेरी फैमिली में मैं पहली हूं जिसने सिविल सर्विसेज क्रैक किया है। मुझे फैमिली का भरपूर सपोर्ट मिला। खास तौर पर मेरे पापा का। मेरी मम्मा नहीं है। पापा ने ही पूरा घर संभाला है। छोटे भाई और दादा-दादी को संभाला। मेरे फ्रेंड्स ने भी सपोर्ट किया।
2. मैं IAS ही बनना चाहती थी हर्षिता ने कहा- मैं IAS बनना चाहती थी। मेरा गोल यही था कि मैं लोगों की लाइफ कैसे अच्छी बना सकती हूं? मेरा मुख्य मकसद महिलाओं की लाइफ को अच्छा और ऊंचा उठाना रहेगा। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं एक इंस्पिरेशन (प्रेरणा) बन सकूं कि बाकी महिलाएं भी आगे आएं और अपने परिवार का नाम रोशन कर पाएं।

हिसार की हर्षिता गोयल, जो अब गुजरात में रहती हैं। – फाइल फोटो
3. स्लम के बच्चों-सरकार के बीच पुल बनूंगी मैं स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के लिए एक पुल की तरह काम करना चाहती हूं। क्योंकि उन्हें एजुकेशन नहीं मिलती। उनके लिए पर्याप्त अपॉर्चुनिटीज (मौके) नहीं होतीं। सरकार से जुड़ी सुविधाएं कैसे लोगों तक पहुंचा सकें, इन सब चीजों में मेरा योगदान रहेगा।
4. घर के पुरुष महिलाओं के सपोर्ट सिस्टम बनें महिलाओं में बहुत ताकत होती है। महिलाओं को इसका पता नहीं होता। सोसाइटी में कई सारी प्रॉब्लम्स होती हैं, जिसकी वजह से सोसाइटी में खुद को आगे नहीं रख पातीं। मैं इसी टैबू (रुढिवादिता) को तोड़ना चाहती हूं।
मैं घर के मेल मेंबर्स को भी इंस्पायर (प्रेरित) करना चाहती हूं कि वे अपने परिवार की फीमेल मेंबर्स (महिला सदस्यों) का सपोर्ट सिस्टम बन सकें। मेरी सफलता का कारण मेरे पापा हैं। ऐसे ही में बाकी लोगों को भी कहना चाहती हूं।

हर्षिता गोयल ने कहा कि इंटरव्यू क्लियर करने के लिए उन्होंने कई मॉक इंटरव्यूज किए। – फाइल फोटो
5. हर्षिता को कामयाबी कैसे मिली
- फाउंडेशन कोर्स, टेस्ट सीरीज की: हर्षिता गोयल ने बताया- मैंने पहले फाउंडेशन कोर्स किया था। वह मेरा बेसिक था। मेन्स के लिए मैंने टेस्ट सीरीज ली थी। इंटरव्यू के लिए ढेर सारे मॉक इंटरव्यूज के क्लासेज किए थे। इन सबकी मदद से मेरी पढ़ाई हुई। इसके अलावा सेल्फ स्टडी की। स्टूडेंट्स के साथ डिस्कशन भी काफी फायदेमंद हो सकते हैं। मैंने पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन को अपना ऑप्शनल (वैकल्पिक) विषय चुनकर दूसरा स्थान प्राप्त किया।
- पढ़ाई का फिक्स शेड्यूल नहीं: हर्षिता ने कहा- पढ़ाई में मैं रोजाना कोशिश करती थी कि 7 से 8 घंटे टाइम दे पाऊं। हालांकि, मेरा कोई फिक्स शेड्यूल (तय समय) नहीं था। फिर भी मैं कोशिश करती थी कि जितना भी पढूं, उतने समय में अपना बेस्ट (सर्वश्रेष्ठ) दूं। वही मैंने किया। कभी लगता था कि अभी पढ़ने में मन नहीं लग रहा है तो बीच में ब्रेक ले लेती थी। कुछ हटकर एक्टिविटी कर लेती थी, जिससे थोड़ा बेहतर महसूस हो। मुझे खुशी है कि मैंने जितना किया, उतना पूरी मेहनत, ईमानदारी से किया और लगातार किया।
6. आगे कैसे काम करेंगी प्रधानमंत्री का विजन है कि वह विकसित भारत की तरफ बढ़ रहे हैं। मेरा यही गोल रहेगा कि मैं उसमें अपना पॉजिटिव कॉन्ट्रीब्यूशन (सकारात्मक योगदान) कर पाऊं। सिविल सर्विसेज मुझे जो अथॉरिटी प्रोवाइड (जिम्मेदारी देगी) करेगी, मैं उसे ईमानदारी और न्यायपूर्ण तरीके से यूज (इस्तेमाल) करूंगी।
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