Wednesday, June 18, 2025
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100वें दिन जेल से बाहर आईं अल्का जैन: हंसते हुए निकलीं, परिवार को देखते ही फूट फूटकर रोने लगीं; जेल प्रहरी को दिया धन्यवाद – Guna News


परिवार वाले उन्हें लेने के लिए पहुंचे हुए थे।

अपने ही बेटे की हत्या के आरोप में जेल गई मां 100वें दिन जेल से बाहर निकली। सोमवार को ग्वालियर हाई कोर्ट से मिली जमानत के बाद मंगलवार को मृतक अभ्युदय की मां की जेल से रिहाई हुई। बाहर आते ही वह अपने परिवार से मिलकर फूट फुटकर रोई।

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वहीं जेल से निकलते समय महिला प्रहरी का भी उन्होंने धन्यवाद दिया। हालांकि, जेल से निकलने के बाद उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की। इस केस में कई बार कई मोड आए। पहले मां पर ही मर्डर का आरोप लगा, पुलिस ने उसे जेल भी भेज दिया, फिर पुलिस ने ही उसे निर्दोष भी मान लिया और खारिजी रिपोर्ट पेश कर दी। पढ़िए, पूरी कहानी…

बता दें कि, 14 वर्षीय अभ्युदय जैन 14 फरवरी को अपने जा रखी बाथरूम में मृत अवस्था में मिला था। पुलिस ने पीएम करने वाले डॉक्टरों की राय और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उसकी मां अल्का जैन को उसकी हत्या का आरोपी माना था। 22 फरवरी को इस मामले में कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई थी। 8 मार्च को पुलिस ने आरोपी मां अल्का जैन को गिरफ्तार किया था। तभी से वह जेल में बंद थीं।

जांच से संतुष्ट नहीं थे पति

अभ्युदय के पिता अनुपम जैन पुलिस की इस जांच से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने इस मामले की जांच गुना से बाहर के किसी वरिष्ठ अधिकारी से कराए जाने के लिए IG को आवेदन दिया था। उनके आवेदन पर IG ग्वालियर ने DIG के नेतृत्व में जांच कराने की बात कही थी। DIG अमित सांघी ने शिवपुरी में अजाक DSP अवनीत शर्मा को नई SIT का हेड बनाया था। डेढ़ महीने से नई SIT मामले की जांच कर रही थी।

इसी घर में अभ्युदय जैन बदहवास अवस्था में मिला था।

गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से मांगी राय

नई SIT ने इस मामले में पीएम रिपोर्ट पर भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से मेडिको लीगल राय मांगी। GMC के डॉक्टरों की इस रिपोर्ट में बताया गया कि अभ्युदय की मौत फांसी पर लटकने से हुई थी।

इसी आधार पर SIT ने अल्का जैन को बेकसूर माना और 5 मई को CJM कोर्ट में खारिजी रिपोर्ट पेश की। 9 मई को CJM मधुलिका मुले ने पुलिस की खारिजी रिपोर्ट को निरस्त करते हुए मामले में हत्या और साक्ष्य छुपाने की धाराओं में संज्ञान लिया।

इसी बाथरूम में अभ्युदय जैन मिला था।

इसी बाथरूम में अभ्युदय जैन मिला था।

हाई कोर्ट ने दी जमानत

जिला कोर्ट से खारिजी रिपोर्ट अस्वीकृत होने के बाद 14 मई को अल्का जैन की जमानत के लिए हाई कोर्ट में आवेदन लगाया गया। हाई कोर्ट ने 5 जून सुनवाई के लिए तय की, लेकिन उस दिन सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद 9 जून की डेट मिली, पर सुनवाई नहीं हुई। अगली डेट 16 जून मिली। इस दिन कोर्ट ने मामले में सुनवाई की और उसका जमानत आवेदन स्वीकार कर लिया।

100वें दिन आईं जेल से बाहर

हाई कोर्ट से जमानत होने के बाद 17 जून को जिला कोर्ट में उसकी जमानत का आदेश पेश किया गया। यहां से प्रक्रिया होने के बाद जेल से उनकी रिहाई हुई। जेल जाने के बाद 100वें दिन अल्का की जेल से रिहाई हुई। वह 8 मार्च को जेल गई थीं और 17 जून को उनकी रिहाई हुई।

परिवार से गले लगकर रोईं

अल्का जैन को लेने के लिए उनके ससुर, सास, भाई, भाभी, जेठ, देवर, जेठानी सहित पूरा परिवार जेल के बाहर पहुंचा हुआ था। मंगलवार शाम लगभग 7 बजे अलका जेल से हंसते हुए बाहर आईं। पर जैसे ही उन्होंने परिवार के सदस्यों को देखा, वह परिवार के सदस्यों के गले लगकर रो पड़ीं। जेल के बाहर उन्होंने महिला जेल प्रहरी को भी धन्यवाद दिया। इसके बाद सास, ससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लिया। अपनी भाभी के गले लगकर काफी देर तक रोती रहीं।

अपने पिता से गले लगकर खूब रोईं अल्का जैन।

अपने पिता से गले लगकर खूब रोईं अल्का जैन।

पढ़िए, इस केस में क्या क्या मोड आए

पहला: पुलिस ने ही आरोपी माना

ये केस कई कहानियों से भरा रहा। सबसे पहले कोतवाली पुलिस ने इस मामले की जांच की। पुलिस को शुरू से ही उसकी मां पर शक था, क्योंकि पुलिस ने जब आसपास के CCTV खंगाले तो घर में कोई आता जाता नहीं दिखा था। केवल बच्चे की मां ही घर में गई थी। पुलिस को ऐसे सबूत मिले थे कि उसकी मां ने ही उसकी हत्या कर पूरी घटना को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। इसके अलावा उसकी पीएम रिपोर्ट में भी मौत का कारण स्ट्रांगुलेशन यानि गला घोंटना आया। इसी आधार पर पुलिस ने उसकी मां को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया। पुलिस ने उस समय पांच सबूतों के आधार पर मां को दोषी माना।

दूसरा: SIT ने माना निर्दोष

ग्वालियर IG ने DIG के मार्गदर्शन में एक नई SIT का गठन किया। इसका प्रभारी शिवपुरी में पदस्थ DSP अवनीत शर्मा को बनाया गया। उनकी टीम ने गुना पहुंचकर इस केस की फिर से जांच की। उन्होंने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के मेडिको लीगल विभाग से पीएम रिपोर्ट पर प्रतिवेदन मांगा। मेडिको लीगल विभाग ने अभ्युदय की मौत का कारण पार्शियल हैंगिंग यानि फंदे पर लटकने से मौत बताया। इसी आधार पर नई SIT ने अभ्युदय की मां को निर्दोष मानते हुए कोर्ट में इस मामले में खारिजी रिपोर्ट पेश कर दी।

जेल से बाहर निकलने के बाद अपनी मां से मिलते हुए अल्का जैन।

जेल से बाहर निकलने के बाद अपनी मां से मिलते हुए अल्का जैन।

तीसरा: कोर्ट ने ट्रायल चलाने का आदेश दिया

इस मामले में तीसरा मोड उस समय आया जब कोर्ट ने खारिजी रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में 13 सवाल खड़े किए। इन सवालों के जवाब कोर्ट को नहीं मिले थे। कोर्ट ने खारिजी रिपोर्ट को इनकार करते हुए अभ्युदय की मां पर हत्या और सबूत छुपाने की धाराओं में संज्ञान ले लिया और ट्रायल चलाने के आदेश दिए। इसी बीच गुना कोर्ट से उसकी जमानत याचिका भी निरस्त हो गई।

अभ्युदय जैन और अल्का जैन। फाइल फोटो।

अभ्युदय जैन और अल्का जैन। फाइल फोटो।

अभ्युदय केस की टाइमलाइन

  • 14 फरवरी – घर के बाथरूम में अभ्युदय का शव मिला।
  • 15 फरवरी – अभ्युदय के शव का पोस्टमार्टम हुआ।
  • 22 फरवरी – अभ्युदय केस में FIR दर्ज की गई।
  • 8 मार्च – अभ्युदय की मां अल्का जैन को गिरफ्तार किया गया।
  • 13 मार्च – अभ्युदय के पिता ने केस की जांच गुना से बाहर के अधिकारी से कराने के लिए IG को आवेदन सौंपा।
  • 29 मार्च – केस की जांच DIG के नेतृत्व में SDOP अवनीत शर्मा को दी गई।
  • 5 मई – SIT ने अल्का जैन को निर्दोष मानते हुए खारिजी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की।
  • 7 मई – अल्का जैन की जमानत के लिए आवेदन दिया गया।
  • 8 मई – कोर्ट ने अल्का जैन का जमानत आवेदन निरस्त किया।
  • 9 मई – CJM कोर्ट ने पुलिस की खारिजी रिपोर्ट को निरस्त कर मर्डर की धाराओं में ट्रायल चलाने का संज्ञान लिया।
  • 14 मई – ग्वालियर हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई।
  • 16 जून – हाई कोर्ट ने जमानत आवेदन स्वीकार किया
  • 17 जून – गुना जेल से रिहाई हुई।



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