“2 दिन पहले ही अपने पति और 4 बच्चों के साथ मायके आई थी। जब आग लगी तो लोग इधर-उधर भागने लगे। मैंने किसी तरह अपनी 2 बेटियों को खेत में फेंककर बचा लिया, लेकिन मुझे पता नहीं था कि दो बच्चे घर के अंदर छूट गए हैं। पता रहता तो मैं उन्हें निकाल लेती। 4 दिन प
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यह पीड़ा है रामपुर मनी गांव की रहने वाली रजनी की, जिसके दो बच्चे विपुल (6) और ब्यूटी (7) जिंदा जल गए।
दरअसल, मुजफ्फरपुर में बुधवार को बरियारपुर थाना क्षेत्र के रामपुर मनी गांव में दलित बस्ती में आग लग गई। इस घटना में 4 बच्चे की जिंदा जलकर मौत हो गई।
इस भीषण आग्निकांड में कई परिवारों के घर राख में तब्दील हो गए, तो किसी के हंसते खेलते परिवार में मातम पसर गया। अब न तो उन परिवारों के ऊपर छत बचा है, न ही घर में खाने के लिए अनाज है। गांव के लोग किसी तरह त्रिपाल लगाकर रहने को मजबूर हैं।
अग्निकांड के बाद गांव के हालात का जायजा लेने के लिए भास्कर रिपोर्टर रामपुर मनी गांव पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।लोग अब भी उस घटना का जिक्र करते हुए सहम जाते हैं। इस घटना की विक्टिम रजनी ने बताया-
मेरे बच्चों के साथ 2 भतीजी भी थीं। उन्हें भी नहीं निकाल सकी। सभी बच्चे आपस में खेल रहे थे। घटना के समय हम घर में नहीं थे। मेरे पति मनोज राजमिस्त्री है, जो काम करने गए थे। इस दौरान हादसा हुआ और सब बर्बाद हो गया।
हालांकि पुलिस प्रशासन का कहना है, ‘आग शॉर्ट सर्किट से नहीं, गैस रिसाव से लगी थी।
मुजफ्फरपुर के रामपुर मनी गांव से पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट
पहले तस्वीरों के जरिए समझिए आग लगने के बाद क्या है वहां के हालात

घर जलने के बाद दरी पर लेटाकर बच्चों की देखरेख करती महिला।

धूप से बचने के लिए त्रिपाल के नीचे बैठे पीड़ित परिवार।

आग में जलने से बचे हुए गेहूं को चुनती पीड़िता महिला।

दो बच्चों की मौत के बाद अब 2 बेटियां रह गईं, एक मां और दूसरी पिता की गोद में है।
रात में सब्जी चावल और दिन में चूड़ा-गुड़ खाने के लिए मिला
अगलगी के बाद पीड़ित परिवार बेघर हो गए हैं। सिर पर छत नहीं है, हालांकि स्थानीय जनप्रतिनिधि ने त्रिपाल दिया है। उसी के नीचे परिवार रह रहे हैं। पीड़ितों के घर के बर्तन भी जल गए हैं। राशन भी बर्बाद हो चुका है। जिला प्रशासन की ओर से सामूहिक किचन चलाया जा रहा है।
बुधवार की रात खाने में आलू की सब्जी और चावल दिया गया था। सुबह में नाश्ते में सभी को चूड़ा और गुड़ मिला। पानी की भी व्यवस्था की गई है। जिन बच्चों की मौत हुई है, उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजा दिए गए हैं।
पीड़ितों ने बताई अपनी आपबीती…
आधा किलो चूड़ा मिला, इतने में परिवार कैसे खाएगा
पीड़ित जोगीलाल पासवान ने बताया, ‘घटना में मेरे तीन बेटों का घर जल गए। बहू के दो लाख रुपए के सोने-चांदी के गहने भी जल गए। राशन भी जल गया।’
’15 क्विंटल गेहूं घर में रखा था। सब कुछ जलकर राख हो गया। मुखिया ने धूप से बचने के लिए त्रिपाल दिया है। टेंट बनाकर रह रहे। जिला प्रशासन की ओर से कुछ नहीं मिला है। जिला प्रशासन ने खाने की व्यवस्था की है।’
‘गुरुवार सुबह आधा किलो चूड़ा और ढाई सौ ग्राम मीठा मिला है। परिवार में 10 से 12 लोग हैं। इतने सामान से क्या होगा। दोपहर में दो बजे तक खाना नहीं मिला है।’

गांव के युवा अपने स्तर से पीड़ित परिवारों को कर रहे मदद।
घर के सारे सामान जल गए
अंजू देवी ने बताया-

मेरे दो घर जलकर राख हो गए हैं। अभी तक राहत सामग्री कुछ नहीं मिला है। सुबह में सिर्फ चूड़ा और मीठा खाने को मिला था। रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। एक त्रिपाल टांग कर रह रहे हैं।

घर में रखे बर्तन भी इस्तेमाल करने लायक नहीं बचे हैं।
स्थानीय अधिकारी को बात करनी चाहिए
सरकापुर पूर्व विधायक राम बाबू लाल ने कहा, ‘जिला प्रशासन की ओर से जो भी व्यवस्था की गई है, वह पर्याप्त नहीं है। यहां स्थिति देखने के बाद प्रशासन का सहयोग शून्य लगता है।’
‘सरकारी सुविधा नहीं दी गई है। ग्रामीणों की मदद से पीड़ित परिवारों को भोजन मिल रहा है। स्थानीय अधिकारी को सरकार से बात करनी चाहिए। वरीय पदाधिकारी में एसडीओ आएं, पर डीएम नहीं आएं।’
जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने बताया,

अगलगी वाले गांव में SDM ईस्ट के नेतृत्व मे प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों की टीम ने पीड़ितों के रहने और खाने की व्यवस्था कर दी है। सामुदायिक किचन से खाना मुहैया कराया जा रहा है। त्रिपाल की व्यवस्था भी हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग से जल्द मुआवजा दिलाया गया है। पीड़ित परिवारों के प्रति जिला प्रशासन की पूरी संवेदना है। SDM को विशेष निर्देश दिया गया है। हमारे स्तर से इसकी रिपोर्ट ली जा रही है।

मुजफ्फरपुर में बुधवार को दलित बस्ती में आग लगने के बाद की तस्वीरे।
अगलगी के बाद 15 बच्चे इधर-उधर भाग गए थे
बुधवार को मुजफ्फरपुर के एक दलित बस्ती के 50 से अधिक घरों में आग लग गई। हादसे में 4 बच्चों हो गई है। मृतकों में छोटू पासवान की बेटी अंशिका कुमारी (05), राजन पासवान की बेटी सृष्टि कुमारी (06), रजनी का बेटा विपुल कुमार (6) और बेटी ब्यूटी (7) शामिल हैं। वहीं, 15 से 20 बच्चे आग से बचने के लिए इधर-उधर भाग गए थे। दो घंटे बाद गायब सभी बच्चे अपने घर लौट गए थे।।
गैस रिसाव से लगी थी आग
पुलिस ने मामले की जांच की। जांच में पता चला कि घटना शॉर्ट सर्किट से नहीं, बल्कि गैस के रिसाव से हुआ है। इसमें 50 घर जल गए हैं। 10 घर पक्के थे और बाकी फूंस और मिट्टी के बने थे। गैस रिसाव गोलक पासवान के घर से हुआ।
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