Wednesday, April 23, 2025
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महाकाल ने भगवान विष्णु को सौंपा सृष्टि का भार: मध्य रात्रि हरि-हर मिलन; देवों ने एक-दूसरे को स्वभाव के विपरीत मालाएं अर्पित कीं – Ujjain News


बैकुंठ चतुर्दशी की मध्य रात्रि भगवान महाकाल ने भगवान विष्णु को सृष्टि का भार सौंपा। चार महीने से यह दायित्व महाकाल खुद संभाल रहे थे।

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उज्जैन में गुरुवार को आधी रात को हरि-हर मिलन हुआ। रात करीब 11 बजे महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर के लिए निकली। हरि-हर‎ मिलन के साक्षी बनने के लिए‎ बड़ी संख्या में श्रद्धालु सवारी‎ मार्ग के दोनों ओर के साथ‎ ही‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎ द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में जुटे। गोपाल मंदिर में हरि यानी विष्णु का हर यानी शिव से मिलन हुआ।

दोनों देवों ‎को अपने-अपने स्वभाव के ‎विपरीत मालाएं धारण करवाई गईं। महाकाल की ओर से‎ द्वारकाधीश गोपालजी को‎ बिल्वपत्र की माला और ‎द्वारकाधीश गोपालजी की ओर से ‎महाकाल को तुलसी पत्र की माला‎ धारण करवाई गई। इसके बाद‎ महाआरती हुई। पूजन, अर्चन के ‎बाद महाकालेश्वर की सवारी देर ‎रात वापस महाकालेश्वर‎ ज्योतिर्लिंग पहुंची।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से महाकाल रजत पालकी में गोपालजी से भेंट के लिए निकले।

क्या है मान्यता धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी से देव प्रबोधिनी ‎एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल‎लोक में राजा बलि के यहां विश्राम‎ करने जाते हैं। इस समय सृष्टि ‎की सत्ता महाकाल के पास होती है।‎ बैकुंठ चतुर्दशी के दिन महाकाल वापस‎ विष्णु भगवान को यह सत्ता सौंपते हैं। ‎महाकाल कैलाश पर्वत पर तपस्या के ‎लिए लौट जाते हैं। ऐसा माना जाता है‎ कि बैकुंठ चतुर्दशी से सृष्टि की सत्ता ‎का हस्तांतरण हुआ था।‎

श्रद्धालुओं ने महाकाल के सवारी मार्ग पर आतिशबाजी की।

श्रद्धालुओं ने महाकाल के सवारी मार्ग पर आतिशबाजी की।

महाकाल के सवारी मार्ग पर कुछ श्रद्धालु डमरू बजाते हुए चले।

महाकाल के सवारी मार्ग पर कुछ श्रद्धालु डमरू बजाते हुए चले।



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