हमारी ऐतिहासिक परंपरा रंगपंचमी की गेर का अपनत्व विदेशों तक पहुंच गया है। देश-विदेश से लोग इंदौर की प्रसिद्ध गेर में शामिल होने आ रहे हैं। इस बार भी 40 एनआरआई ने गेर में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। ऐसे ही जर्मनी से आए एक दंपती की अनूठी कहा
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पेशे से व्यापारिक दंपती रोजर हायनल और रोसाना हायनल पहली बार इंदौर आए हैं। दिल्ली की एक इंडस्ट्री से पाइप खरीदते समय उन्होंने भारतीय संस्कृति के इस अनूठे पर्व के बारे में सुना। जब कंपनी के के विनय विजयवर्गीय ने इंदौर की गेर का जिक्र किया, तो दोनों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने का फैसला कर लिया। बिना देर किए, उन्होंने टिकट बुक करवाए और गेर के रंग अपनी यादों में समेटने इंदौर पहुंच गए।
मंगलवार रात जब वे इंदौर आए, तो उनकी आंखों में एक अलग ही चमक थी। वे यहां केवल रंग खेलने नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की ऊर्जा को महसूस करने आए हैं। वे कहते हैं, ‘हमने सुना था कि इंदौर की गेर केवल एक जुलूस नहीं, बल्कि एक उत्सव है, जिसमें हर कोई रंगों में घुल जाता है। अब इसे अपनी आंखों से देखना हमारे लिए सपना पूरा होने जैसा है।’ इसके पहले वे दो बार भारत आ चुके हैं। पहली बार इंदौर आए हैं।
जर्मनी से निकले, तभी प्लान बना लिया था दंपती ने कहा, उनके मन में इस पर्व को देखने की इच्छा हुई। हालांकि प्लान तो जर्मनी से निकले तभी बना लिया था। राजबाड़ा क्षेत्र में गेर देखने और इसका आनंद लेने की व्यवस्था करवाई है। इंदौर की रंगपंचमी के इस पारंपरिक और विशेष आयोजन को देखने और इसका आनंद लेने के लिए बेहद उत्साहित हैं।
वे यहां दो दिन रहेंगे। बुधवार को जब गेर निकलेगी, तब इंदौर के रंगों में घुली यह विदेशी जोड़ी भी उसी उमंग और उत्साह के साथ शामिल होगी। यह दृश्य सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि संस्कृतियों के मेल-मिलाप की अनोखी कहानी भी बयां करेगा।