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अमृतपाल 6 महीने से सांसद, लेकिन PA तक नहीं मिला: पिता बोले- 5 करोड़ फंड, एक रुपया खर्च नहीं कर पाए, बस लेटर लिख रहे


‘अमृतपाल को सांसद बने 6 महीने हो गए। अब तक उसे कोई अथॉरिटी नहीं मिली। सांसद के पास 5 करोड़ का फंड होता है, हम एक रुपए का काम नहीं करा पा रहे। 4-5 महीने से बस एप्लिकेशन दे रहे हैं। कम से कम एक पर्सनल असिस्टेंट ही अपॉइंट हो जाए, जो सांसद की तरफ से लोगों

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पंजाब की खडूर साहिब सीट से सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह सरकार से नाराज हैं। ‘वारिस पंजाब दे’ के चीफ अमृतपाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और करीब 2 लाख वोट से जीते।

सांसद बनने के बाद भी न अमृतपाल जेल से छूटे, न अपने प्रतिनिधि बना पाए और न ही बतौर सांसद कोई काम करा सके। पिता तरसेम सिंह का गुस्सा इसी बात से है। उनका आरोप है कि सरकार जानबूझकर अमृतपाल को काम करने से रोक रही है। उनके साइन किए लेटर संसद नहीं भेजे जा रहे हैं। इससे वे किसी को अथॉरिटी नहीं दे पा रहे हैं।

ये अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह हैं। अभी अमृतपाल का काम यही देख रहे हैं। 3 जनवरी को ही उन्होंने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है।

खडूर साहिब में कैसे काम हो रहा है, ये जानने दैनिक भास्कर अमृतपाल सिंह के गांव जल्लूखेड़ा पहुंचा। यहां हम उनके पिता तरसेम सिंह से मिले। वकील और आम लोगों से भी बात की। अमृतपाल की तरह ही कश्मीर में इंजीनियर राशिद ने जेल में रहते हुए बारामूला सीट से चुनाव जीता था। उनके पर्सनल असिस्टेंट से भी समझा कि बारामूला में कैसे काम हो रहा है।

अमृतपाल के घर में भिंडरांवाले की फोटो अमृतपाल सिंह का गांव जल्लूपुर खेड़ा अमृतसर से करीब 40 किमी दूर है। यहां के लोगों की भाषा में कहें तो ये ‘सिंह साब’ का गांव हैं। सिंह साब यानी अमृतपाल। गिरफ्तारी से पहले अमृतपाल खुद को गर्व से खालिस्तान का समर्थक बताते रहे। खालिस्तान यानी खालसा या सिखों का अलग देश।

हम सुबह करीब 9:30 बजे जल्लूपुर खेड़ा में उनके घर पहुंचे। मार्च, 2023 में दैनिक भास्कर ने अमृतपाल का इंटरव्यू लिया था, तब यहां अलग ही माहौल था। करीब 12 फीट ऊंची दीवारों और लोहे के मजबूत दरवाजे वाले घर के ऊपर सिख धर्म के झंडे लहरा रहे थे। हाथ में कटार, तलवार और बंदूकें लिए सेवादार तैनात थे। अब ऐसा कुछ नहीं है।

हम बरामदे से होकर एक कमरे में दाखिल हुए। एक तरफ सिंगल बेड और दूसरी तरफ सोफे रखे थे। यहीं अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह कुछ लोगों से मिल रहे थे। उन्होंने इशारे से हमें दूसरे कमरे में बैठने को कहा। हम जिस कमरे में बैठे, वहां दीवारों पर जरनैल सिंह भिंडरांवाले की फोटो लगी हैं।

ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए कट्टरपंथी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तरह पहनावा और बात करने की स्टाइल ने ही अमृतपाल को नौजवानों के बीच पॉपुलर कर दिया था।

अमृतपाल सिंह के घर में लगी जरनैल सिंह भिंडरांवाले की फोटो। अमृतपाल सिंह खुद को भिंडरांवाले का समर्थक बताते हैं।

कुछ देर इंतजार के बाद तरसेम सिंह आ गए। बातचीत शुरू हुई, तो हमने पूछा- चुनाव जीतने के बाद अमृतपाल जेल से कैसे काम कर रहे हैं?

तरसेम सिंह बोले, ‘चुनाव जीते 6 महीने हो गए, हम कोई काम नहीं कर पाए। पहली बात तो ये कि उसे जेल से छोड़ना चाहिए था। अगर नहीं छोड़ रहे, तो हल्के (संसदीय क्षेत्र) की समस्याएं दूर करने के लिए किसी की ड्यूटी लगानी चाहिए।’

‘4-5 महीने से हम कह रहे हैं कि किसी को पर्सनल असिस्टेंट बना दो, ताकि काम कराने की अथॉरिटी मिल जाए। लेटर लिख रहे हैं, लेकिन जवाब नहीं आ रहा। जेल प्रशासन से बात की, पार्लियामेंट भी गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।’

जेल प्रशासन कहता है कि हमने अमृतपाल सिंह के साइन कराकर लेटर असम सरकार को भेज दिया है। संसद में पूछने पर पता चलता है कि कोई लेटर नहीं मिला। हम क्या करें। मुझे लगता है कि ये सब जानबूझकर किया जा रहा है।

सांसद के पास खर्च के लिए 5 करोड़, अब तक 1 रुपया खर्च नहीं कर पाए तरसेम सिंह आगे कहते हैं, ‘सांसद को डेवलपमेंट कराने के लिए 5 करोड़ रुपए का फंड मिलता है। उसमें से अब तक 1 रुपया खर्च नहीं किया गया। हम इसके लिए भागदौड़ कर रहे हैं। ये पैसा लोगों का है। इससे उन्हें सुविधाएं मिलनी चाहिए। यहां स्कूलों में दिक्कतें हैं। सड़कें टूटी हैं, उनकी मरम्मत करानी है। कई जरूरी काम कराने हैं, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है।’

हफ्ते में 2 बार फोन पर अमृतपाल से बात लोगों की समस्याएं कैसे सुनी जा रही हैं, उन्हें अमृतपाल सिंह तक कैसे पहुंचाया जाता है? तरसेम सिंह जवाब देते हैं, ‘अमृतपाल से हफ्ते में दो बार फोन पर बात होती है। यही नियम है। हम तो फैमिली हैं, इसलिए बात हो जाती है।’

‘इलाके के लोग हमारे पास आते हैं। अभी 15 से 20 लोग रोज आ रहे हैं। कई बार हम उनके पास जाते हैं। सुख-दुख में शामिल होते हैं। कई लोग फोन करते हैं। अभी तो हम सिर्फ हौसला दे सकते हैं, उनके काम नहीं करा पाते।’

तरसेम सिंह के चेहरे पर नाराजगी दिखने लगती है। वे कहते हैं, ‘जानबूझकर लोगों को हमसे दूर किया जा रहा है। सरकारी चाहती है कि लोग सोचें अमृतपाल ने कोई काम नहीं किया। लोग उससे नाराज हो जाएं। हम कह रहे हैं कि उसे मौका तो दो। अगर सरकार को यही करना था, तो इलेक्शन क्यों लड़ने दिया गया।’

14 जनवरी को नई पार्टी बनाएंगे, प्लानिंग के लिए कमेटी बनाई तरसेम सिंह ने 3 जनवरी को नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है। इस पर वे कहते हैं कि अभी अमृतपाल का संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ है, लेकिन इसके ज्यादातर लीडर जेल में हैं। अभी उसे कोई लीड नहीं कर रहा है। 14 जनवरी को मुक्तसर साहिब में लगने वाले माघी मेला में नई पार्टी बनाएंगे। इसकी प्लानिंग के लिए एक कमेटी बनाई है। यही कमेटी पार्टी का फ्रेमवर्क तैयार करेगी।

वकील बोले- 5 महीने बीते, अमृतपाल का लेटर असम से दिल्ली नहीं पहुंचा तरसेम सिंह ने बताया कि कानूनी मसले संभालने के लिए एडवोकेट हरजोत सिंह मान को अमृतपाल सिंह का पर्सनल एडवाइजर बनाना चाह रहे हैं। दैनिक भास्कर ने हरजोत सिंह से बात की। वे कहते हैं, ‘अमृतपाल सिंह ने चुनाव जीतने के बाद बहुत मुश्किल से शपथ ली थी। इस दौरान परिवार और मीडिया को दूर रखा गया। अब वे शपथ ले चुके हैं। फिर भी उन्हें सांसद के अधिकार नहीं दिए जा रहे।’

‘इस बारे में लोकसभा स्पीकर और जनरल सेक्रेटरी को भी कई बार लेटर भेजा गया है। हमें बताया गया कि ये लेटर जेल से आना चाहिए। इसके बाद डिब्रूगढ़ जेल से 3 बार लेटर भिजवाए गए, लेकिन वे 5 महीने से असम के होम डिपार्टमेंट में रुके हैं, आगे नहीं भेजे गए।’

‘सांसद को मिलने वाले एप में गलत नंबर डाला’ क्या 6 महीने में अमृतपाल की तरफ से लोकसभा में कोई सवाल पूछा गया? हरजोत सिंह मान बताते हैं, ‘एक सवाल नहीं पूछ पाए। इसके लिए लोकसभा का ऑनलाइन सिस्टम है। सांसदों के पास कवच नाम का एप होता है। इसके जरिए सांसद शून्यकाल में अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं।’

‘इसमें लॉगिन करने पर सांसद के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर OTP आता है। इसके बाद एप पर रजिस्ट्रेशन होता है। अभी OTP किसी दूसरे नंबर पर जा रहा है। हमने वो नंबर नहीं दिया था। बार-बार रिमाइंडर भी दिया, लेकिन जवाब नहीं मिला। कई ईमेल भेज चुके हैं। उस पर भी रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है।’

‘जेल से चुनाव जीते इंजीनियर राशिद को सुविधाएं मिल रहीं, अमृतपाल को नहीं’ कश्मीर के बारामूला से सांसद इंजीनियर राशिद अमृतपाल की तरह जेल में रहते हुए निर्दलीय चुनाव जीते थे। क्या उन्हें भी अमृतपाल की तरह दिक्कत आ रही है?

इस पर हरजोत सिंह मान कहते हैं, ‘पता चला है कि इंजीनियर राशिद को प्रोटोकॉल के मुताबिक सुविधाएं मिल रहीं हैं। वे पर्सनल सेक्रेटरी अपॉइंट कर चुके हैं। अमृतपाल के साथ ऐसा नहीं है। सेक्रेटरी तो दूर, हम लेटर लिख रहे हैं, तो उसे भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।’

इस बारे में हमने लोकसभा के जनरल सेक्रेटरी रहे पीडीटी आचार्य से बात की। वे कहते हैं, ‘जहां तक मुझे ध्यान है, किसी को अपॉइंट करने से जुड़ा अलग से कोई नियम नहीं हैं। उन्हें अपने एरिया में किसी को अपॉइंट करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इसमें पार्लियामेंट का सीधा इन्वॉल्वमेंट नहीं होता। सांसद को सिर्फ अपॉइंटमेंट की सूचना संसद को देनी होती है। इस मामले में जेलर के जरिए लेटर पार्लियामेंट में भेजा जाना चाहिए।’

NSA की कार्रवाई को कोर्ट में चैलेंज, 15 जनवरी को सुनवाई एडवोकेट हरजोत सिंह मान ने कहा कि अमृतपाल सिंह पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। हमने NSA वाले ऑर्डर को चैलेंज किया है। ये मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पेंडिंग है। इसकी अगली सुनवाई 15 जनवरी को है।

खडूर साहिब के लोग बोले- सांसद ही नहीं हैं, काम कैसे होगा आखिर में हम आम लोगों से मिलने पहुंचे। उनसे पूछा कि सांसद जेल में हैं, आपके काम कैसे हो रहे हैं। जल्लूपुर खेड़ा गांव के जोधवीर सिंह कहते हैं, ‘सारे काम रुके हुए हैं। किसानों के मसले हैं। नशा बड़ा मुद्दा है। लॉ एंड ऑर्डर खराब है।’

खडूर साहिब के लखविंदर सिंह कहते हैं, ‘अमृतपाल सिंह को काम नहीं करने दिया जा रहा है। सरकार कहती है कि वो क्रिमिनल हैं। अगर क्रिमिनल होते तो लोग उन्हें वोट देकर नहीं जिताते। वे 4 लाख वोट पाकर सांसद बने हैं। फिर भी सरकार ने उन्हें जेल में बंद कर रखा है।

खडूर साहिब के ही चरण सिंह कहते हैं, ‘आज किसान सड़क पर हैं। हम लोगों की सुनवाई नहीं हो रही है। सिर्फ अमृतपाल सिंह के पिता किसानों के सपोर्ट के लिए आए हैं। सरकार सांसद का सपोर्ट नहीं करके गलत कर रही है।’

अमृतपाल की तरह चुनाव जीते इंजीनियर राशिद ने हर जिले में प्रतिनिधि बनाए दैनिक भास्कर ने बारामूला सांसद इंजीनियर राशिद के पर्सनल सेक्रेटरी इनामुल नबी से फोन पर बात की। उनसे पूछा कि इंजीनियर राशिद को सांसद बने 6 महीने हो चुके हैं। वे जेल में हैं, तो बारामूला में काम कैसे हो रहे हैं?

इनामुल नबी बताते हैं, ‘इंजीनियर राशिद अंतरिम जमानत पर आए थे, तभी हमने कई काम करा दिए थे। बारामूला में 18 असेंबली सीट हैं। सभी में हमने सांसद फंड को बराबर-बराबर बांट दिया था।’

‘बारामूला सीट में 4 जिले बड़गाम, बांदीपोरा, कुपवाड़ा और बारामूला हैं। चारों जिले में ग्रीवांस सेल बनाई है। लोग वहां शिकायत दर्ज कराते हैं। हमने हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए हैं।’

दिल्ली में सरकारी फ्लैट मिला या नहीं? इनामुल नबी कहते हैं कि अब तक तो नहीं। इसके लिए अप्लाई किया है।

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