बिलासपुर जिले में अरपा की बदहाली का मुद्दा सियासी पार्टियों को चुनावी नैया पार कराते रहा, लेकिन उसकी दुर्दशा दूर नहीं हुई। 7 साल पहले ‘दैनिक भास्कर’ ने उद्गम के संरक्षण, कचरा, मलबा और नदी में गंदे पानी का बहाव रोकने के लिए रचनात्मक पहल की।
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मैदानी स्तर पर सभी पार्टी के नेताओं, समाजसेवी, बुद्धीजीवियों, आम नागरिकों को अरपा रपटा पर एक मंच पर लाकर संकल्प कराया। उसके बाद तत्कालीन भाजपा और उसके बाद कांग्रेस की सरकार ने उद्गम के संरक्षण की घोषणा की पर योजनाओं की कागजी दौड़ अब तलक चल रही है, उसे मुकाम हासिल नहीं हुआ।
गौरतलब है कि, अरपा की दारूण दशा पर दैनिक भास्कर में निरंतर प्रकाशित खबरों के आधार पर 5 साल पहले हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। इसके बाद से न्यायालय की पहल पर नदी के संरक्षण, संवर्धन को लेकर लगातार सुनवाई हो रही है। कोर्ट ने अब अरपा को लेकर दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस के समक्ष करने का निर्णय लिया है।
हाईकोर्ट की पहल न होती तो अरपा को प्रदूषण से मुक्त कराने, नदी में 12 महीने जल का प्रवाह बनाए रखने के लिए बैराज, एनीकट के निर्माण और उद्गम स्थल की भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं होती, लेकिन अब इसके लिए जमीनी कार्यवाही तेज करने वक्त की जरूरत बन गया है।
जानिए अरपा की कौन कौन योजनाएं अधूरी
- -अरपा के शिवघाट और पचरीघाट में पानी रोकने के लिए बैराज निर्माण का कार्य अपूर्ण।
- -पेंड्रा के अमरपुर में उद्गम स्थल के संरक्षण, जलकुंड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाधीन।
- -बिलासपुर में शहर में नदी में पहुंचने वाले 70 नाले, नालियों के गंदे पानी के ट्रीटमेंट का लक्ष्य अधूरा।
- -अरपा में कचरा, मलबा की डंपिंग लगातार जारी।
मार्च 2025 तक चार एसटीपी बनेंगे- कमिश्नर
नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार का कहना है कि, निगम के चिल्हाटी और दोमुंहानी स्थित दो एसटीपी से शतप्रतिशत गंदे पानी के उपचार के लिए कार्य चल रहा है। इसकी क्षमता 71 एमएलडी की है। उन्होंने बताया कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी ने 30 करोड़ की लागत से मंगला में 2 और कोनी व जवाली नाला पर 1-1 एसटीपी के निर्माण का कार्य शुरू कराया है। मार्च 2025 तक इसके पूर्ण हो जाने पर इसके जरिए 25 एमएलडी गंदे पानी का ट्रीटमेंट किया जाएगा।
इस प्रकार अरपा में नगर निगम एरिया में पहुंचने वाले करीब 70-80 फीसदी गंदे पानी की सफाई की जा सकेगी। अरपा में पहुंचने वाले गंदे पानी की शतप्रतिशत सफाई के लिए ब्लू स्ट्रीम कंपनी को डीपीआर तैयार करने कहा गया है। चूंकि योजना में पीएचई को भी शामिल किया जा रहा है, इसलिए इसकी प्रक्रिया चल रही है।
एसटीपी से ट्रीटमेंट के बाद निकले पानी को एनटीपीसी को बेचने की योजना एमओयू के लिए अटकी है, एनटीपीसी से अब तक उचित रिस्पांस नहीं मिल पाया है।
भूमि अधिग्रहण के बाद कार्य तेज होगा- कलेक्टर
बिलासपुर कलेक्टर अवनीश कुमार शरण का कहना है कि अरपा के उद्गम स्थल को संरक्षित करने के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले से होगी, इसके बाद बिलासपुर में प्रचलित योजनाओं का काम तेजी से आगे बढ़ेगा।
नगर निगम के स्तर पर अरपा में प्रदूषण रोकने, गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी का काम चल रहा है। आगे और एक्शन प्लान बना कर अरपा के संरक्षण, संवर्धन के लिए कार्य कराया जाएगा।
17 साल में भी पूरा नहीं हो पाया सीवरेज प्रोजेक्ट
अरपा में जल-मल की निकासी रोकने के लिए साल 2007-2008 में शुरू हुई सीवरेज परियोजना अपने लक्ष्य से अब तक कोसो दूर है। योजना के अंतर्गत 40 हजार घरों के जल-मल की सफाई होनी थी, पर अब तक निगम एरिया के करीब 20 फीसदी ही घरों को इससे जोड़ा जा सका है। निगम की मानें तो 17 साल बाद भी केवल 7693 हाउस कनेक्शन दिए जा सके हैं।
इनके जरिए चिल्हाटी स्थित17 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के जरिए 15.50 एमएलडी और 54 एमएलडी क्षमता वाले दोमुंहानी के प्लांट से मात्र 24 एमएलडी जल मल की सफाई की जा रही है। परियोजना के शुरू होने के वर्षों बाद भी शतप्रतिशत जल मल की निकासी का लक्ष्य अधूरा है। जाहिर है कि नालों के जरिए हर दिन नदी में पहुंचने वाला करोड़ों लीटर गंदा पानी अरपा को निरंतर प्रदूषित कर रहा है।