हॉस्पिटल पर जांच में लापरवाही का आरोप लगाते हुए मरीज अजय दुबे।
सागर के व्यवसायी ने भोपाल के निजी हॉस्पिटल पर इलाज और जांच में लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने हॉस्पिटल प्रबंधन को लीगल नोटिस भेजकर 1 करोड़, 50 हजार के मुआवजे की मांग की है।वह हॉस्पिटल के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
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व्यवसायी अजय दुबे ने शुक्रवार को बताया कि वह व्यापार के संबंध में विदेश यात्रा पर जा रहे थे। उससे पहले उन्होंने सागर मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल भोपाल में मेडिकल चेकअप कराया। जहां उन्हें धमनियों में ब्लॉकेज बताकर जल्दी सर्जरी कराने की बात कही।
इस पर उन्होंने दौरा रद्द कर इसकी प्रोसेस शुरू कराई। इसके बाद उन्हें बताया गया कि 40 प्रतिशत ब्लॉकेज होने की वजह से सर्जरी की जरूरत नहीं है। अजय दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि हॉस्पिटल में गलत निदान और भय का माहौल बनाकर मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न और व्यवसायिक नुकसान पहुंचाया है। मैंने अपने वकील से नोटिस भी भेजा है।
अस्पताल को भेजे गए लीगल नोटिस की जानकारी देता व्यवसायी का वकील।
धमनियों में ब्लॉकेज बताया 10 अप्रैल को अपनी नियमित हृदय जांच के लिए सागर मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल भोपाल पहुंचे थे। जहां उन्हें कार्डिएक सीटी एंजियोग्राफी (CCTA) के आधार पर बताया गया कि उन्हें चैतीय वाहिका रोग है और मध्य कोरोनरी धमनियों में 100% ब्लॉकेज है।
अस्पताल की ओर से कहा कि किसी भी प्रकार की हलचल से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है और तुरंत सर्जरी जरूरी है। जिससे वह भयभीत हुए। उन्हें 14 अप्रैल का मस्कट ओमान के लिए निर्धारित एक व्यापारिक दौरा रद्द करना पड़ा। जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ।
हॉस्पिटल की रिपोर्ट के बाद उन्होंने मुंबई के सुराणा हॉस्पिटल में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश कावर से दूसरी राय ली। 14 अप्रैल को कराई गई पारंपरिक इनोवेटिव एंजियोग्राफी में यह पाया गया कि केवल एक धमनी में 40% ब्लॉकेज है जो सर्जरी की आवश्यकता नहीं रखता और सामान्य औषधीय उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है।
डॉ. कवार के अनुसार रिपोर्ट में कोई भी गंभीर समस्या नहीं है और ऐसी स्थिति 60 वर्ष की आयु में आम होती है। पूर्व अस्पताल की रिपोर्ट भ्रामक और गलत है।
हॉस्पिटल को लीगल नोटिस भेजा मरीज के अधिवक्ता ऋषि मिश्रा ने बताया कि इस घटना से आहत होकर मरीज ने कानूनी नोटिस हॉस्पिटल को भेजा है। जिसमें 1 करोड़ का मुआवजा और 50 हजार रुपए की कानूनी नोटिस लागत की मांग की है। 15 दिनों के भीतर निपटारा नहीं होने पर अस्पताल के खिलाफ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, उपभोक्ता फोरम और अन्य नागरिक व आपराधिक मंचों पर मुकदमा दायर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल के खिलाफ आपराधिक मामले के लिए कोर्ट जाने की तैयारी की गई है। साथ ही लाइसेंस रद्द कराने के लिए भी पत्राचार शुरू किया जा रहा है।