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आज का एक्सप्लेनर: रूस पर अमेरिकी मिसाइलों से हमला, नॉर्वे-फिनलैंड नागरिकों से बोले- तैयार हो जाओ; युद्ध की आहट पर वो सब कुछ जो जानना जरूरी


सबसे पहले रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का बयान पढ़िए-

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‘रूस ने नया परमाणु सिद्धांत बनाया है। कोई देश जिसके पास परमाणु शक्ति नहीं है, अगर वो किसी न्यूक्लियर पावर वाले देश के सपोर्ट से हमला करता है तो इसे रूस के खिलाफ जंग का ऐलान समझा जाएगा। अब NATO के ठिकाने चाहे जहां हों, रूस उनके खिलाफ भारी तबाही फैलाने वाले (परमाणु) हथियारों से जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इसका मतलब है- तीसरा विश्वयुद्ध।

पिछले 2-3 दिनों में हालात तेजी से बदले हैं। अमेरिका ने यूक्रेन की राजधानी कीव में अपना दूतावास बंद कर दिया है। नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड ने अपने नागरिकों को जंग के लिए तैयार रहने को कहा है। जर्मनी ने नाटो के 8 लाख सैनिकों को मोबिलाइज करने का प्लान तैयार कर लिया है। डोनाल्ड ट्रम्प के बेटे आरोप लगा रहे हैं कि उनके पिता के काम-काज संभालने से पहले बाइडेन प्रशासन तनाव पैदा कर रहा है ताकि थर्ड वर्ल्ड वॉर की शुरुआत हो जाए।

अचानक न्यूक्लियर वॉर का हड़कंप क्यों मचा और क्या ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही जंग फैल जाएगी; इसी टॉपिक पर है हमारा आज का एक्सप्लेनर…

सवाल 1: ऐसा क्या हुआ है कि अचानक न्यूक्लियर वॉर का हड़कंप मच गया?

जवाब: बीते एक हफ्ते में 6 ऐसी बड़ी घटनाएं हुई हैं जिनके चलते न्यूक्लियर वॉर का हड़कंप मच गया है…

1. यूक्रेन ने रूस पर अमेरिका के दिए 6 लॉन्ग रेंज मिसाइल दागे: यूक्रेन ने 19 नवंबर को रूस पर 6 अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया। इस वॉर में यह पहली बार है जब यूक्रेन ने लॉन्ग रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिका ने इसकी इजाजत 17 नवंबर को ही दे दी थी।

2. रूस ने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव किए: अमेरिका द्वारा यूक्रेन को परमिशन दिए जाने के बाद 19 नवंबर को रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव किए। नई न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन के मुताबिक, अगर कोई नॉन-न्यूक्लियर देश (यूक्रेन) रूस पर हमला कर रहा हो और उसे किसी न्यूक्लियर देश (अमेरिका) का सपोर्ट हो तो इसे जॉइंट अटैक माना जाएगा। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस हमले को रूस, अमेरिका के सीधे हमले की तरह देख रहा है।

3. फिनलैंड और स्वीडन ने अपने लोगों से तैयार रहने को कहा: स्वीडन और फिनलैंड ने अपने नागरिकों को जंग के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। फिनलैंड ने इस बारे में 18 नवंबर को गाइडलाइन भी जारी की है। दोनों देशों ने हाल ही में NATO की सदस्यता ली है। दरअसल, रूस ने अपनी डॉक्ट्रिन में कहा है कि किसी सैन्य गुट का कोई सदस्य देश उस पर हमला करेगा तो रूस इसे पूरे गुट के हमले की तरह देखेगा।

ये पर्चा स्वीडन में 18 नवंबर से बांटा जा रहा है। पर्चे पर लिखा है- ‘जंग की स्थिति में’। इसमें लोगों को जंग से बचने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

4. नॉर्थ कोरिया के सैनिक रूस की तरफ से लड़ रहे: 20 नवंबर को साउथ कोरिया ने अपनी खुफिया एजेंसी के हवाले से बताया कि नॉर्थ कोरिया ने रूस की मदद के लिए करीब 11 हजार सैनिक भेजे हैं। यह सैनिक रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ लड़ रहे हैं। साउथ कोरिया ने यह भी दावा किया कि नॉर्थ कोरिया रूस को हथियार भेजकर भी मदद कर रहा है।

5. ट्रम्प के बेटे का ‘थर्ड वर्ल्ड वॉर’ पर बयान: डोनाल्ड ट्रम्प के बेटे डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने भी बाइडेन द्वारा यूक्रेन को मिसाइल के इस्तेमाल की परमिशन की आलोचना की। 17 नवंबर को उन्होंने सोशल मीडिया X पर पोस्ट लिखा, ’मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मेरे पिता के कार्यभार संभालने से पहले ही तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो जाए।’

6. जर्मनी ने कहा रूस की धमकियों से नहीं डरेंगे: 19 नवंबर को जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने रूस की न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन को लेकर कहा कि उनका देश रूस की धमकियों से नहीं डरेगा। उन्होंने कहा, ‘पुतिन हमारे डर के साथ खेल रहे हैं। वह ऐसा 2014 से कर रहे हैं। मगर उस दौरान हमने राजनीतिक तौर पर उनसे डरने की गलती की थी, मगर अब हम अपनी सुरक्षा का ध्यान रखेंगे। पुतिन यूरोप को बांटना चाहते हैं, लेकिन वह बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं।’

सवाल 2: अमेरिका की मिसाइल से रूस पर हमले को इतनी बड़ी घटना क्यों माना जा रहा है?

जवाब: दो महत्वपूर्ण कारणों से रूस पर हुए इस हमले को बड़ी घटना माना जा रहा है।

1. रूस ने कहा- यूक्रेन को अमेरिका का ऑपरेशनल सपोर्ट: 19 नवंबर को रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन के हमले का मतलब है कि पश्चिमी देश इस वॉर को और बढ़ाना चाहते हैं। रूस ने यह भी कहा कि अमेरिका के ऑपरेशनल सपोर्ट के बिना इन मिसाइलों को लॉन्च नहीं किया जा सकता। ऐसे में अमेरिका सीधे तौर पर रूस के सामने है, जिसका जवाब देने के लिए वह बाध्य है। रूस के अनुसार वह इस हमले को वॉर के नए फेज की तरह देख रहा है और उसी तरह इसका जवाब भी देगा।

2. मिसाइल के उपयोग से यूक्रेन रूस के सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकेगा: अमेरिका का आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) 300 किमी की रेंज तक मिसाइल दाग सकता है। यूक्रेन ने इसका इस्तेमाल कर रूस की आर्मी फैसिलिटी को निशाना बनाया है। आशंका जताई जा रही है कि यूक्रेन आगे भी रूस के सैन्य ठिकानों, एयर बेस और अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर हमला कर सकता है। साथ ही इसका इस्तेमाल रूस और नॉर्थ कोरिया के सैनिकों को रोकने के लिए किया जा सकता है। मिलिट्री एक्सपर्ट का कहना है कि यूक्रेन अपने कब्जे वाले इलाके को बचाने के लिए भी इसका इस्तेमाल करेगा।

सवाल 3: क्या रिटैलिएशन में पुतिन न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल कर सकते हैं?

जवाब: फरवरी 2022 में शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई बार इंटरनेशनल लॉ तोड़कर यूक्रेन पर हमला किया। कई बार परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी दी, लेकिन ऐसा कोई हमला उन्होंने नहीं किया। रूस के पास सबसे ज्यादा 5580 एटॉमिक वेपन हैं।

हाल ही में रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव किए हैं। 19 फरवरी को क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन के ऐसे हमले नए न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन के तहत एटॉमिक एक्शन को बढ़ावा दे सकते हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने भी यूक्रेन, नाटो और अमेरिका को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि अगर उनके देश के खिलाफ लंबी दूरी की मिसाइलों या हथियारों का इस्तेमाल किया गया तो परमाणु जंग छेड़ देंगे।

पुतिन ने पहले भी पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी कि अगर यूक्रेन को खतरनाक मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई तो रूस न्यूक्लियर कानून में बदलाव करेगा। तस्वीर- फाइल

विदेश मामलों के जानकार और जेएनयू में प्रोफेसर राजन कुमार मानते हैं कि पुतिन न्यूक्लियर अटैक की धमकी दे रहे हैं, लेकिन ऐसे हमले की संभावना कम है। वे कहते हैं,

अमेरिका और यूक्रेन के एक्शन पर रूस रिटैलिएट जरूर करेगा, लेकिन न्यूक्लियर बम के इस्तेमाल की संभावना कम है। हालांकि दोनों देशों के बीच साइकोलॉजिकल वॉर जारी है।

प्रो. राजन कुमार कहते हैं, ‘रूस मैसेज देना चाह रहा है कि अगर उसे या उसकी आर्मी को ज्यादा नुकसान होता है तो वह टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल कर सकता है। ये एक तरह की धमकी है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। रूस जानता है कि ट्रम्प के आने के बाद उसकी स्थिति और मजबूत होगी। इसलिए वह इंतजार करेगा और अभी कोई बड़ा हमला नहीं करेगा।’

सवाल 4: क्या ट्रम्प के कार्यभार संभालने से पहले ही थर्ड वर्ल्ड वॉर शुरू हो सकती है? रूस-यूक्रेन वॉर पर ट्रम्प का रुख क्या है?

जवाब: 14 नवंबर को एक कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, ‘रूस और यूक्रेन को रुकना होगा। मैंने आज एक रिपोर्ट देखी। पिछले तीन दिनों में हजारों लोग मारे गए। वे सभी सैनिक थे, फिर चाहे वे सेना में हों या शहरों में बैठे लोग। हम इस पर काम करेंगे।’

इलेक्शन कैम्पेन के दौरान ट्रम्प ने कई बार रूस-यूक्रेन जंग खत्म करने का वादा किया। उन्होंने यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका की ओर से भेजे गए ‘अरबों डॉलर’ की आलोचना की। चुनाव के दौरान ट्रम्प ने ‘24 घंटे के भीतर’ जंग को खत्म करने की भी बात की।

ट्रम्प ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने इलेक्शन जीतने के बाद दुनियाभर के करीब 70 लीडर्स के साथ फोन पर बात की। 6 नवंबर को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर ट्रम्प की बात हुई। इसके बाद जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें यकीन है कि डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद रूस के साथ जंग जल्दी खत्म हो जाएगी।

ये तस्वीर 16 जुलाई 2018 की है। जब ट्रम्प और पुतिन ने फिनलैंड के हेलसिंकी में मुलाकात की थी।

इसके बाद 7 नवंबर को ट्रम्प ने पुतिन से फोन पर बात की और यूक्रेन के साथ जंग न बढ़ाने को कहा। द वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, ‘ट्रम्प ने पुतिन से यूक्रेन जंग का जल्द ही उपाय खोजने की मांग की।’

लेकिन कुछ अमेरिकी जानकारों का मानना है कि बाइडेन के फैसलों से वर्ल्ड वॉर की सिचुएशन बन गई है। अमेरिकी पॉलिटिकल कमेंटेटर ग्लेन बेक ने कहा,

बाडेन अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में तीसरे विश्व युद्ध का जोखिम उठा रहे हैं। यह महाभियोग योग्य है।

जॉर्जिया की रिप्रेजेंटेटिव मार्जोरी टेलर ग्रीन ने कहा, ‘केवल कांग्रेस ही जंग का ऐलान कर सकती है, लेकिन बाइडेन अपने आखिरी दिनों में रूस के साथ युद्ध भड़काने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। बाइडेन हमें WW3 में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं।’

प्रो. राजन कुमार बताते हैं,

वर्ल्ड वॉर में कई देश सीधे तौर पर शामिल होते हैं, लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं है। तो ऐसे में कहा जा सकता है कि अभी वर्ल्ड वॉर के हालात नहीं हैं। हालांकि ट्रम्प के आने के बाद से रूस-यूक्रेन वॉर में स्थिति सुधर सकती है।

सवाल 5: बाइडेन ने ट्रम्प के आने से पहले मिसाइल के इस्तेमाल की इजाजत क्यों दी?

जवाब: अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडेन अपने कार्यकाल के आखिरी 2 महीनों में यूक्रेन को जंग में खुलकर सपोर्ट कर रहे हैं। 5 नवंबर को ट्रम्प की जीत के बाद से बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि बाइडेन बचे हुए समय में यूक्रेन को मजबूती से जंग लड़ने और रूस के साथ समझौते में स्ट्रॉन्ग पोजिशन रखने के लिए मदद करेंगे।

हालांकि कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अगर रूस पर यूक्रेन मिसाइलें दागता है तो पुतिन अमेरिका और उसके साथी देशों के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं।

यूक्रेन के पूर्व सीक्रेट सर्विस ऑफिसर इवान स्टुपक ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले से ग्लोबल लेवल पर कुछ भी नहीं बदलेगा। हालांकि यह एक ‘निर्णायक’ कदम है। इससे यूक्रेन एक-दो हजार रूसी सैनिकों और करीब 150 भारी इक्विपमेंट्स को खत्म कर सकता है।

सितंबर 2023 में व्हाइट हाउस में बाइडेन और जेलेंस्की की बातचीत हुई थी।

लेकिन ट्रम्प के करीबियों ने इसका विरोध किया है। ट्रम्प के करीबी और अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस के कार्यकारी निदेशक रहे रिचर्ड ग्रेनेल ने बाइडेन के इस फैसले की आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा,

किसी को भी अंदेशा नहीं था कि बाइडेन पद छोड़ने से पहले रूस-यूक्रेन जंग को बढ़ा देंगे। ये सब पॉलिटिक्स के लिए हो रहा है।

18 नवंबर को बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से पूछा गया कि क्या कोई राष्ट्रपति ऐसे समय में इतना अहम फैसला ले सकते हैं? तो इस पर उन्होंने जवाब दिया कि बाइडेन को चार साल कार्यकाल के लिए चुना गया था, न कि तीन साल और 10 महीने कार्यकाल के लिए। जब ट्रम्प सत्ता संभालेंगे, तो वह अलग फैसले ले सकते हैं।

बाइडेन के फैसले को प्रो. राजन कुमार वादा पूरा करने की कोशिश मानते हैं। वे कहते हैं, ‘बाइडेन के फैसले की दो वजहें हैं। पहली, नॉर्थ कोरिया ने अपने सिपाही रूस की मदद करने के लिए भेजे हैं। इससे यूक्रेन कमजोर पड़ सकता है। दूसरी, बाइडेन अपने आखिरी दिनों में यूक्रेन को दिया हुआ अपना वादा पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि बाइडेन के दौरान ही ये जंग शुरू हुई और उन्होंने यूक्रेन को अमेरिकी मदद का आश्वासन दिया था।।’

प्रो. राजन कुमार कहते हैं,

ट्रम्प के आने के बाद रूस-यूक्रेन के बीच नेगोशिएशन शुरू होगा। इसमें यूक्रेन मजबूती से अपना पक्ष रख सके और रूस कम दबाव बनाए इसके लिए बाइडेन ऐसा कर रहे हैं।

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रिसर्च सहयोग: शिशिर अग्रवाल

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यूक्रेन ने पहली बार रूस पर अमेरिकी मिसाइलें दागीं: बाइडेन ने 2 दिन पहले दी थी मंजूरी; पुतिन ने परमाणु हमले की धमकी दी थी

रूस ने दावा किया है कि यूक्रेन ने पहली बार अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलें उनके इलाके में दागी हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन ने 19 नवंबर की सुबह ब्रियांस्क इलाके में लंबी दूरी वाली 6 आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दागीं।

रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन और अमेरिका के अधिकारियों ने भी रूस पर ATACMS का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि की है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सितंबर में अमेरिका को धमकी दी थी कि अगर अमेरिका ने लंबी दूरी के हथियारों के इस्तेमाल की मंजूरी दी तो परमाणु जंग छिड़ जाएगी। ATACMS एक सुपरसॉनिक बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है। यह 300 किमी तक सटीक हमला कर सकता है। पूरी खबर पढ़िए…



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