Homeबिजनेसइंडसइंड बैंक के CEO सुमंत कठपालिया ने इस्तीफा दिया: बैंक के...

इंडसइंड बैंक के CEO सुमंत कठपालिया ने इस्तीफा दिया: बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी के बाद फैसला लिया; 12 साल तक मैनेजमेंट का हिस्सा रहे


मुंबई10 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

इंडसइंड बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO सुमंत कठपालिया ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला 29 अप्रैल से ही प्रभावी होगा। कठपालिया ने अपने इस्तीफे का कारण बैंक के डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में 2.27% के नेटवर्थ घाटे से जुड़ी जिम्मेदारी को बताया।

उन्होंने कहा, मुझे जो त्रुटियां बताई गईं, उनकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मैं पद छोड़ रहा हूं। कठपालिया 12 साल से बैंक की कोर मैनेजमेंट का हिस्सा रह चुके हैं।

RBI ने 1 साल का कार्यकाल बढ़ाया था

इससे पहले, RBI ने कठपालिया के कार्यकाल को सिर्फ 1 साल के लिए बढ़ाया था, जबकि बैंक ने 3 साल का विस्तार मांगा था। अब बैंक ने RBI से अनुरोध किया है कि नया CEO चुने जाने तक एक कमेटी बैंक की कमान संभालेगी।

डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी के बाद दिया इस्तीफा

इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को एक्सचेंज फाइलिंग में बताया था कि इंटरनल रिव्यू में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपेन्सी यानी गड़बड़ी का पता चला है। इसके चलते बैंक की कमाई में कमी आ सकती है और नेटवर्थ 2.35% तक गिर सकती है।

मामला क्या है, प्रभावित कौन होगा?

  • इंटरनल रिव्यू में पाया गया कि बैंक ने पहले किए गए विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित हेजिंग कॉस्ट को कम करके आंका था। इस खुलासे के बाद बैंक ने माना कि इससे उसकी नेटवर्थ पर 1,600-2,000 करोड़ रुपए (2.35%) कम हो सकती है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा डेरिवेटिव्स पर अपडेट किए गए मास्टर निर्देशों के बाद सितंबर और अक्टूबर 2024 के बीच डिस्क्रिपेन्सी की पहचान की गई। बैंक ने बोर्ड मीटिंग के बाद 10 मार्च को अपने एक्सचेंज फाइलिंग में इस बारे में बताया।
  • इसका सबसे बड़ा असर इंडसइंड बैंक और उसके निवेशकों पर पड़ा है। पिछले एक साल में बैंक के शेयर में 56% की गिरावट आ चुकी है। विश्लेषकों का मानना ​​है कि नई फाइंडिंग्स बैंक के इंटरनल कंट्रोल और कंप्लायंस के बारे में चिंता पैदा करते हैं।

डेरिवेटिव क्या है?

डेरिवेटिव दो पार्टियों के बीच एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स होता है। जिसकी वैल्यू एसेट और बेंचमार्क के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। ऑप्शन, स्वैप और फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट इसके उदाहरण हैं। इनका इस्तेमाल रिस्क हेजिंग या स्पेक्यूलेटिव जैसे काम के लिए किया जाता है।

खबरें और भी हैं…



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version