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इंदौर में प्रदेश के सबसे ज्यादा कोरोना मरीज: सरकारी अस्पतालों में RTPCR की जांच ही नहीं; 42 ऑक्सीजन प्लांट दो सालों से बंद – Indore News


मध्यप्रदेश में इस साल 65 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा (63%) इंदौर में हैं। इनमें से दो कोरोना पॉजिटिव महिलाओं की मौतें भी इंदौर में ही हुई हैं। इनमें एक खरगोन की है। हालांकि, अधिकारियों ने इन दोनों की मौत का कारण अन

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सभी एक्टिव मरीजों में हल्के लक्ष्ण हैं और स्थिति सामान्य है। अधिकारियों का कहना है कि घबराने जैसी स्थिति नहीं है। जबकि हकीकत यह है कि इंदौर में सरकारी अस्पतालों मे RT-PCR परीक्षण सुविधा नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को जांच के लिए प्राइवेट लैब और अस्पतालों में जांच करानी पड़ रही है।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक जो 50 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं उन्होंने प्राइवेट लैब में ही जांच कराई है। इस कारण इंदौर में सिर्फ दो सरकारी अस्पतालों में ही RTPCR जांच की सुविधा का दावा किया जा रहा है लेकिन वहां भी नहीं हो ही है।

रविवार दोपहर को कोरोना से निपटने के लिए इंदौर में प्रभारी कलेक्टर गौरव बैनल ने समीक्षा बैठक ली। इसमें कोरोना से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां रखने को कहा गया। इसमें नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील की गई।

अधिकारियों के मुताबिक इतनी है तैयारी इसके पूर्व पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग को इंदौर के अधिकारियों ने कोरोना की तैयारियों को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी। इसमें उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं और संसाधनों की जानकारी दी गई। खास बात यह कि ये तैयारियां 2023 की थी लेकिन अब हकीकत कुछ और है। विभाग ने ये जानकारियां दी थी कि…

ऑक्सीजन प्लांट्स 42
कुल अस्पताल बेड 10,000
ऑक्सीजन, ICU और HDU बेड 2,000

हकीकत यह है…

ये सभी 42 ऑक्सीजन प्लांट 2023 से बंद हैं। आखिरी बार 2023 में मॉकड्रिल के दौरान कुछ घंटों के लिए ही चालू किए गए थे। यहां तक कि उस मॉकड्रिल में भी कई प्लांट्स आवश्यक सेचुरेशन स्तर की ऑक्सीजन नहीं बना पाए थे। हालांकि, MGM मेडिकल कॉलेज का दावा है कि उसके पास तीन लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट हैं। इनमें से एक की क्षमता 5 लाख लीटर और दो अन्य की 2 लाख लीटर प्रति प्लांट है।

MYH और MRTB में कोविड की जांच का दावा खोखला इंदौर में 23 मई से केसों में लगातार इजाफा हो रहा है। अभी तक 50 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इनमें से 41 से ज्यादा इंदौर के हैं। इन सभी ने अपनी जांच प्राइवेट लैब या प्राइवेट अस्पताल में ही कराई है। कारण यह कि सरकारी अस्पतालों में कहां-कहां कोरोना की जांच हो रही है इसकी जानकारी लोगों को नहीं है।

विभाग द्वारा पिछले दिनों बताया गया एमवाय अस्पताल और एमआरटीबी अस्पताल में ही RTPCR की जांच की जा रही है। हकीकत यह है कि एमवायएच में अभी जांच नहीं हो रही है। एमआरटीबी में कैदियों की जांच हो रही है जबकि इंदौर में बढ़ते कोरोना केसों के मद्देनजर तुरंत कुछ अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी जांच तुरंत शुरू करने की जरूरत है

एमजीएम को रिपोर्ट मिली तो हुआ खुलासा दूसरी ओर कोरोना मरीजों के जीनोम सीक्वेंसिंग के सैंपल एम्स भोपाल भेजे जाने की बात कही है। जबकि पिछले दिनों एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेज दिए और रिपोर्ट भी मिल गई। इसमें सात सैंपलों में ओमिक्रॉन की सब-लाइनिज XFG और LF.7.9 की पुष्टि हुई थी। दोनों BA.2 से संबंधित हैं।

जीनोम सीक्वेंसिंग को लेकर रीजेंट्स और किट्स ही नहीं दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नवंबर 2022 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज को 60 लाख रु. कीमत की जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन दी थी। यह मशीन इंस्टॉल भी हो चुकी है। साथ ही स्टाफ को बाहर भेजकर ट्रेनिंग भी दी गई लेकिन रीजेंट्स और किट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण अभी तक टेस्टिंग शुरू नहीं हो सकी।

डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया-

किट्स के बिना टेस्टिंग शुरू नहीं की जा सकती। किट्स काफी महंगी हैं। अगर केस बढ़ते हैं तो शासन से किट्स मिलने के बाद टेस्टिंग शुरू की जाएगी। हालांकि ओमिक्रॉन की सब-लाइनिज XFG और LF.7.9 वैरिएंट्स खतरनाक नहीं है लेकिन बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना चाहिए।

डेढ़ सौ से ज्यादा ट्रेंड स्टाफ का दावा डीन घनघोरिया ने बताया कि 100 से अधिक नर्सों और मेडिकल स्टूडेंट्स को कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रशिक्षित किया गया है। इन स्टूडेंट्स को पहली और दूसरी लहर के दौरान काम करने का मौका नहीं मिला था। रेजिडेंट डॉक्टरों और असिस्टेंट प्रोफेसरों को भी प्रशिक्षित किया है। इसके साथ ही 150 स्वास्थ्यकर्मी मरीजों की देखभाल के लिए तैयार हैं। उनका यह भी मानना है कि आने वाले दिनों में मामलों में वृद्धि संभव है, लेकिन ज्यादातर मामलों में अस्पताल में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अब भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनने की अपील इधर, रविवार को हुई बैठक में निष्कर्ष निकला कि वर्तमान में मौसम के बदलाव के कारण विभिन्न तरह के वायरस आदि से सांस संबंधी बीमारियां हो रही हैं। ओमिक्रॉन का वर्तमान वैरिएंट के सर्कुलेशन में है। इससे खांसी, गले में खराश के साथ हल्की बीमारी के लक्षण जैसे बुखार, सर्दी, खांसी, शरीर में दर्द जैसे सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं। जनता से अपील की गई है कि वे खुद और जनता के हित में सामाजिक दूरी बनाकर रखें। हाथ धोने संबंधी व्यवहार को जीवन का अंग बनाए और सार्वजनिक स्थानों पर रुके नहीं।

बीमार व्यक्ति, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रखने वाले व्यक्ति कम हवादार या भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। यदि बाहर जाना आवश्यक है, तो मास्क का उपयोग करें। श्वसन रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों को यदि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत पास के स्वास्थ्य केन्द्रों पर तत्काल दिखाएं।

…तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें नागरिकों से अपील की गई है कि वे भीड़-भाड़ वाले स्थानों में मास्क का उपयोग करें, बार-बार हाथ धोएं और लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें। प्रभारी कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि सभी आवश्यक तैयारियां रखी जाएं।

जरूरी सामग्री और औषधियों का पर्याप्त स्टॉक रखना सुनिश्चित किया जाएं। सप्लाई चेन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। आरआरपी टीम को ट्रेंड किया जाएं।



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