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इजराइल ने ग्रेटा थनबर्ग को वापस स्वीडन भेजा: कल गाजा जाते वक्त हिरासत में लिया था; जहाज में लोगों के लिए मदद लेकर जा रही थीं


वॉशिंगटन डीसी12 मिनट पहले

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तस्वीर इजराइल के विदेश मंत्रालय ने पोस्ट की है, जिसमें ग्रेटा को विमान में बैठे दिखाया गया है। - Dainik Bhaskar

तस्वीर इजराइल के विदेश मंत्रालय ने पोस्ट की है, जिसमें ग्रेटा को विमान में बैठे दिखाया गया है।

इजराइल ने अपनी हिरासत में मौजूद स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को वापस स्वीडन भेज दिया है। ग्रेटा को फ्रांस जाने वाले एक फ्लाइट में बैठाया गया है, जहां से उन्हें भेजा जाएगा।

इजराइली सेना ने सोमवार को ग्रेटा और अन्य 11 साथियों को उनके मैडलीन नाम के जहाज समेत गाजा के तट के पास से अपने कब्जे में ले लिया था। जिसे बाद में इजराइल के अशदोद पोर्ट ले जाया गया। ग्रेटा 1 जून को इटली के तट से गाजा के लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर रवाना हुई थीं।

इजराइल के विदेश मंत्रालय ने X पर पोस्ट कर ग्रेटा को डिपोर्ट करने की जानकारी दी है।

​​​​​​नाव पर कब्जे के बाद इजराइल बोला- शो खत्म हुआ

इजराइल के विदेश मंत्रालय ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें ग्रेटा थनबर्ग और उनके साथियों को इजराइली नौसेना इजराइल ले जा रही है।

विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तंज कसते हुए लिखा- ‘सेल्फी यॉट’ के सभी यात्री ठीक और सुरक्षित हैं। उन्हें सैंडविच और पानी मुहैया कराया गया है। शो अब खत्म हो चुका है।

रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने ग्रेटा थनबर्ग और बाकी लोगों को हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले का वीडियो दिखाने का आदेश दिया था।

तुर्किये, ईरान और स्पेन ने इजराइल की आलोचना की

तुर्किये ने मैडलीन जहाज के रोके जाने की निंदा की है। इस जहाज पर तुर्किये के एक कार्यकर्ता सुएब ओरडू भी सवार थे। विदेश मंत्रालय ने इजराइल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन बताया और कहा कि इससे समुद्री सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि ईरान एक ‘आतंकी राज्य’ की तरह बर्ताव कर रहा है। यह 12 सदस्यीय दल का एक हिस्सा है।

ईरान ने भी इस घटना की निंदा की है और इसे ‘समुद्री डकैती’ करार दिया है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बाकेई ने कहा कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में हुआ और इस कारण इसे समुद्री डकैती माना जाना चाहिए।

स्पेन ने भी इस घटना को लेकर आपत्ति जताई है। स्पेन के विदेश मंत्रालय ने इस घटना को लेकर इजराइल के राजनयिक को भी तलब किया है। दरअसल, इस जहाज पर एक स्पेनिश नागरिक सर्जियो टोरिबियो भी था।

ग्रेटा ने रिहाई के लिए परिवार और स्वीडिश सरकार से मदद मांगी थी

इससे पहले ग्रेटा और उनके साथियों ने वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि इजराइली सैनिकों ने उन्हें और उनके साथियों को इंटरनेशनल वाटर्स में अगवा कर लिया है। ग्रेटा अपने साथ गाजा के लोगों के लिए दवा, अनाज, बच्चों के लिए दूध, डाइपर और वाटर प्यूरीफायर ले जा रही थीं।

ग्रेटा थनबर्ग की गाजा यात्रा से जुड़ीं 4 फोटो…

तस्वीर जहाज पर मौजूद कार्यकर्ताओं की है।

ग्रेटा थनबर्ग ने 3 जून को यह तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर की।

सिसली में 1 जून को मैडलीन जहाज को विदाई देते हुए लोग।

मैडलीन जहाज का नाम गाजा की पहली और इकलौती मछुआरिन के नाम पर रखा गया है।

गाजा जा रहा मैडलीन मिशन क्या है?

इजराइल ने 2 मार्च से गाजा में राहत सामग्री की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा रखी है, जिससे वहां 23 लाख लोगों में से 93% भुखमरी का सामना कर रहे हैं। दर्जनों बच्चे भूख से मर चुके हैं। मैडलीन जहाज का मकसद इन लोगों तक मदद पहुंचाना था।

यह यात्रा ‘फ्रीडम फ्लोटिला’ (FFC ) नाम के एक संगठन ने शुरू की थी, जो पहले भी गाजा को मदद पहुंचाने की कोशिश कर चुका है। ग्रेटा और उनका दल इजराइल की उस घेराबंदी का विरोध कर रहे हैं जो गाजा पर कई सालों से चल रही है।

FFC ने इसे एक शांतिपूर्ण नागरिक प्रतिरोध बताया था। उनके मुताबिक, जहाज पर सवार सभी कार्यकर्ता और चालक दल के सदस्य अहिंसा के सिद्धांत में प्रशिक्षित हैं और यह मिशन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है।

इजराइल ने जहाज को क्यों रोका

शुरुआत में इजराइल इस जहाज को गाजा में डॉक करने की अनुमति देने के लिए विचार कर रहा था, बशर्ते कि यह सुरक्षा के लिए कोई सुरक्षा खतरा न बने। बाद में इजराइल सरकार ने अपना फैसला बदल लिया।

इजराइल का तर्क था कि अगर एक बार मैडलीन जैसे जहाज को मंजूरी दी गई, तो आगे चलकर इस तरह की कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा।

इससे इजराइल के समुद्री प्रतिबंध कमजोर पड़ सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ सकता है। इसलिए इजराइल पहले ही कह चुका था कि इस जहाज को गाजा तट से पहले ही रोक दिया जाएगा।

इससे पहले भी FCC के कॉन्साइंस नाम के जहाज ने मई 2025 में एक और कोशिश की थी। हालांकि, इजराइल ने उसे परमिशन नहीं दी थी।

टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल ने ब्रिटेन से गाजा की ओर आ रहे जहाज को रोकने की अपील की थी। हालांकि, ब्रिटेन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। एक अधिकारी के मुताबिक ब्रिटेन ने इजराइल से इन यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।

इजराइल ने ड्रोन से हमला करके कॉन्साइंस जहाज को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में रोक दिया था।

17 साल से गाजा को घेरे हुए है इजराइल

इजराइल ने गाजा पट्टी 17 साल से नाकेबंदी कर रखी है। साल 2007 में जब हमास ने गाजा पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल कर लिया था, तो इजराइल ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए गाजा की समुद्री सीमाओं, हवाई रास्तों और भूमि सीमाओं पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए।

इजराइल ने गाजा की समुद्री सीमाओं पर एक नौसैनिक घेरा बना रखा है। इसका मतलब यह है कि कोई भी जहाज या नाव बिना इजराइल की अनुमति के गाजा के समुद्र तक नहीं पहुंच सकती।

इजराइल का कहना है कि यह नाकेबंदी उसकी सुरक्षा के लिए जरूरी है। अगर इसमें ढील दी गई, तो हमास जैसे आतंकी गुट समुद्र के रास्ते हथियार ला सकते हैं और इजराइली नागरिकों को खतरे में डाल सकते हैं।

कई बार इजराइली नाकेबंदी तोड़ने की कोशिश हुई

2007 से अब तक कई बार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सहायता समूहों ने इस नाकेबंदी को तोड़ने की कोशिश की है, लेकिन इजराइली नौसेना ने उन्हें रोक दिया या पकड़ लिया।

साल 2010 में ‘फ्रीडम फ्लोटिला’ नाम का नावों काफिला गाजा की तरफ जा रहा था, जिसमें सहायता सामग्री थी और इसमें कई अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता सवार थे। इजराइली नौसेना ने अंतरराष्ट्रीय पानी में इस पर हमला कर दिया था, जिसमें 10 लोग मारे गए थे। इसे लेकर इजराइल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी।

गाजा में 20 लाख लोगों पर भुखमरी का संकट

गाजा इस समय गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहा है। अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इजराइली हमलों में अब तक 54,600 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इनमें से बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

20 लाख से अधिक लोगों को भूख, दवाइयों और पीने के पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं बदले तो गाजा में भुखमरी की स्थिति और गंभीर हो सकती है।

हाऊ डेयर यू भाषण से लोकप्रिय हुई थीं थनबर्ग

ग्रेटा थनबर्ग पर्यावरण को बचाने के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं। साल 2018 में जब वो सिर्फ 15 साल की थीं, उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया और हर शुक्रवार स्वीडन की संसद के बाहर अकेले बैठने लगीं।

उनके हाथ में एक तख्ती होती थी जिस पर लिखा था – ‘जलवायु के लिए स्कूल हड़ताल।’ धीरे-धीरे दुनिया के कई बच्चों ने उनका साथ देना शुरू कर दिया और यह आंदोलन ‘Fridays For Future’ के नाम से दुनिया में फैल गया।

साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ग्रेटा ने दुनिया के नेताओं को फटकार लगाई थी। उन्होंने गुस्से में कहा – “हाऊ डेयर यू?” यानी “आपकी हिम्मत कैसे हुई?”ग्रेटा ने कहा कि बड़े-बड़े वादों की वजह से बच्चों का बचपन और उनके सपने बर्बाद हो रहे हैं।

ग्रेटा का यह भाषण बहुत फेमस हुआ और वे युवाओं के लिए एक मिसाल बन गईं। ग्रेटा खुद भी पर्यावरण का ध्यान रखती हैं। वो हवाई यात्रा नहीं करतीं और मांसाहार से दूर रहती हैं। उन्हें 2019 में ‘टाइम पर्सन ऑफ द ईयर’ का सम्मान भी मिल चुका है।

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