मानसून के अंतिम समय में हुई बारिश ने सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाया था, पर अब गेंहू की फसल को फायदा मिलने की उम्मीद है। जिसके कारण इस बार क्षेत्र में गेहूं का रकबा बढ़ गया है। वहीं इस सीजन में गेंहू के लिए किसानों ने खेत तैयार कर बोवाई का काम भी श
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इस बार पर्याप्त बारिश होने से क्षेत्र में रबी फसलों की बुआई ज्यादा कर रहे हैं। इस बार क्षेत्र के किसानों का रुझान चने की अपेक्षा गेहूं व लहसुन की तरफ अधिक देखने को मिल रहा है। गेहूं की बोवनी को लेकर किसान अपने खेतों को तैयार करने में जुट गए है। और कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली किस्म का चयन करने में जुटे है।
गेहूं की बोवाई
इस बार पहले ही लगातार बारिश के कारण गेहूं की फसल व अन्य फसलों में लेट हो गई थी। किसानों ने रबी सीजन के लिए खेतों में बखराई तो कुछ ने बोवाई का कार्य शुरू कर दिया है। अभी तक 1 लाख सात हजार से अधिक हेक्टेयर में गेहूं की बोवनी हो चुकी है। खेतों में नमी हैं। तो कहीं किसानों ने बगैर सिंचाई के बोवनी कर दी है। व बीज भी अंकुरित हो गया है कुछ समय बाद पानी भी छोड़ दिया जाएगा। इस बार बोवनी का रकबा 5 लाख हेक्टेयर है। जिसमें सबसे ज्यादा चना और गेहूं की बोवनी की जाएगी। इसके अलावा शेष रकबा में लहसुन, अरहर अन्य आदि फसलें की बोवनी की जाएगी।
खाद बढ़ी डिमांड
इस समय किसान गेंहू व अन्य फसलों के बोवाई का कार्य कर रहे है। इस बार गेहूं में सर्वाधिक मांग एनपीके व डीएपी खाद की परेशानी देखने को मिल रही है। सरकार के भरपूर प्रयास के बावजूद खाद की किल्लत बनी हुई है। जिलेभर में सभी विकासखंड में सोसायटियों व नकदी बिक्री केंद्रों पर किसान अभी से लाइन में लग रहे है। क्योंकि गेहूं बुवाई के समय खाद आवश्यकता रहती और बोवाई के 12 से 15 दिन के बाद पहला पानी लेने के दौरान ही यूरिया की आवश्यकता पड़ती है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को उन्नत तकनीकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में लगभग अभी 37 प्रतिशत बुवाई का कार्य हो चुका है। किसान अभी खेतों में व्यस्त हैं। किसानों ने बताया कि जिन किसानों ने अगेती फसल की बुआई की थी। वे अब फसल की निंदाई-गुड़ाई कर रहे हैं। उपसंचालक कृषि धार ने बताया कि अभी तक किसानों द्वारा एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा में बोवाई कर दी है साथ 12 हजार हेक्टेयर में चने की बोनी की गई।
इस बार बारिश अच्छी होने के कारण किसानों ने गेहूं का रकबा व चने का रकबा बढ़ाया है। वहीं गेहूं में पानी की आवश्यकता अधिक होती है और इस बार बारिश अच्छी हुई इसके लिए किसान गेहूं की ओर ज्यादा रुझान कर रहे हैं। वहीं इस वर्ष खाद की उपलब्धता को लेकर जिले में स्थिति ठीक है अभी लगातार रैक लग रही है।
फसलों का रकबा फसल- रकबा गेंहू- 3 लाख 20 हजार हेक्टेयर चना- 65 हजार हेक्टेयर मटर- 6 हजार हेक्टेयर मक्का, जो व अन्य- 10 हजार हेक्टेयर गन्ना- 4 हजार 500 हेक्टेयर उद्यानिकी – 32 हजार 500 हेक्टेयर