उन्नाव1 मिनट पहले
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रिसोर्स रिकवरी सेंटर शोपीस बने हैं।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजना के तहत हसनगंज तहसील क्षेत्र के सेमरामऊ और संदाना गांव में लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए RRC (रिसोर्स रिकवरी सेंटर) अब शोपीस बनकर रह गए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इन केंद्रों का संचालन आज तक शुरू नहीं हुआ है, जिससे योजनाओं की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार की मंशा थी कि गांवों में फैल रहे कूड़े-कचरे को RRC सेंटर पर इकट्ठा किया जाए और उसका निस्तारण कर वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जाए, जिसे किसान खेतों में इस्तेमाल कर सकें। लेकिन हकीकत यह है कि न तो इन केंद्रों पर कोई गतिविधि हो रही है और न ही कूड़ा इकट्ठा किया जा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, योजना के तहत गांव में कूड़ा उठाने के लिए एक गाड़ी भी उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन वह गाड़ी अब कभी नजर नहीं आती। कूड़ा गांव की गलियों और चौराहों पर फैला पड़ा है, जिससे मच्छर, बदबू और संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। कई जगहों पर कूड़े के ढेर बीमारी फैलाने का कारण बन रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।
कूड़ा ढोने वाले वाहन खड़े हैं।
लोग खुले में कूड़ा फेंक रहे हैं।
लाखों की लागत से हुआ निर्माण गांव के निवासी राजकुमार, रेखा देवी और सुनील कुमार ने बताया कि RRC सेंटर बनने के बाद गांव में उम्मीद जगी थी कि स्वच्छता व्यवस्था बेहतर होगी, लेकिन महीनों से केंद्र बंद पड़ा है। न तो कोई सफाईकर्मी आता है, न ही कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था है। लाखों की लागत से बना यह ढांचा अब महज़ सरकारी विफलता का प्रतीक बन गया है।
कूड़ा उठाने की हो नियमित व्यवस्था ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द RRC सेंटर को चालू कराए और नियमित रूप से कूड़ा उठाने की व्यवस्था की जाए। साथ ही, संबंधित अधिकारियों से जवाबदेही तय की जाए कि इतनी बड़ी सरकारी योजना आखिर जमीनी स्तर पर क्यों फेल हो रही है। CDO कीर्ति राज ने बताया की RRC सेंटर क्यो बंद है इसकी जांच करवा के कार्यवाही की जाएगी जल्द ही RRC सेंटर चालू करवाए जाएंगे।