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एक नर्स और एक डॉक्टर संभाल रहे इमरजेंसी वार्ड: शाजापुर जिला अस्पताल में स्टाफ की कमी; मरीज खुद खींच रहे स्ट्रेचर, हो रहे विवाद – shajapur (MP) News


शाजापुर जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक हो गई है। बुधवार रात को एक्सीडेंट पीड़ितों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अस्पताल में न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था थी और न ही वार्ड बॉय मौजूद थे।

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तिलावद गांव से दो भाई जानवर से टकराकर घायल हुए। उन्हें 108 एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। स्टाफ की अनुपस्थिति में परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचकर घायलों को अंदर ले जाना पड़ा। एक अन्य घटना में एक घायल व्यक्ति को स्ट्रेचर नहीं मिलने पर परिजन उसे उठाकर उपचार के लिए ले गए।

इमरजेंसी वार्ड में केवल एक नर्स और डॉक्टर रवि सोनी ड्यूटी पर थे। स्टाफ की कमी का असर सामान्य बीमारियों के मरीजों पर भी पड़ा। सर्दी-खांसी के मरीजों को उपचार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। भास्कर की टीम रात 8 से 12 बजे तक मौके पर मौजूद रही। यह पहली घटना नहीं है, ऐसी स्थिति के कारण अक्सर डॉक्टरों और स्टाफ के साथ परिजनों तथा जनप्रतिनिधियों के बीच विवाद होते रहते हैं।

वार्ड में मरीज के परेशान परिजन।

जिला अस्पताल में संसाधनों की कमी

अस्पताल में स्ट्रेचर के साथ-साथ बेड (व्हीलचेयर जैसी सुविधा) की भी कमी अक्सर देखने को मिलती है। परिजन खुद मरीजों को इलाज के लिए एक से दूसरे वार्ड तक ले जाते हैं। ऐसे में जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

अस्पताल में घायलों के साथ आए परिजन सचिन सिंगला ने बताया, “यहां डॉक्टर तो मौजूद हैं, पर कोई सहायक कर्मचारी नहीं है। मरीज को खुद ही इधर-उधर उपचार के लिए जाना पड़ता है। स्ट्रेचर और व्हील चेयर परिजनों के भरोसे हैं। देवेंद्र मालवीय ने कहा, “हमने सोचा था कि जिला अस्पताल में बेहतर सुविधा मिलेगी, लेकिन यहां तो बुनियादी सुविधा भी नहीं है। स्ट्रेचर और बेड तक नहीं मिलते।”

विवाद की स्थिति बनी

दो विवाद भी सामने आएं जिला अस्पताल में रात 11 से 12 बजे के बीच दो विवाद भी सामने आएं। एक मरीज को समय पर इलाज न मिलने पर परिजनों ने नर्स और डॉक्टर से तीखी बहस की। दूसरी घटना में, पचोला बहाने से घायल एक व्यक्ति और गार्ड के बीच बहसबाजी के बाद झूमा-झटकी तक की नौबत आ गई।

यह पूरी स्थिति जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्थाओं की पोल खोलती है और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

रात में बनी विवाद की स्थिति।

इमरजेंसी सेवाएं भी लचर

1. अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में भी डॉक्टरों की तैनाती स्वीकृत मानकों के अनुसार नहीं हो रही। 2. कई बार गंभीर मरीजों को पट्टी और इंजेक्शन कंपाउंडर से लगवाया जा रहा है। 3. प्राथमिक उपचार के बाद अधिकतर गंभीर केसों को रेफर कर दिया जाता है। 4. सड़क हादसों में बढ़ोतरी के बावजूद इमरजेंसी सेवा सक्रिय नहीं है।

विशेषज्ञ डॉक्टरों के 18 पद रिक्त

जिला अस्पताल में पहले से ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। कई महत्वपूर्ण विभागों में एक भी विशेषज्ञ पदस्थ नहीं है। इससे मरीजों को उचित इलाज के लिए इंदौर या उज्जैन जैसे बड़े शहरों में रेफर किया जा रहा है। ईएनटी विशेषज्ञ का 1 पद स्वीकृत है, वह भी रिक्त है।

शिशु रोग विशेषज्ञ के 4 पद स्वीकृत, 3 पद रिक्त, स्त्री रोग विशेषज्ञ के 3 पद स्वीकृत, 1 पद रिक्त, सर्जिकल विशेषज्ञ के 4 पद स्वीकृत, 2 पद रिक्त, मेडिकल स्पेशलिस्ट 3 पद स्वीकृत, 1 पद रिक्त, रेडियोलोजिस्ट 1 पद स्वीकृत, 1 पद रिक्त, निश्चेतना के 4 पद स्वीकृत, 3 पद रिक्त, अस्थि रोग विशेषज्ञ 3 पद स्वीकृत, 2 रिक्त, 1-1 पद चर्म रोग और मनोरोग के स्वीकृत हैं, जो रिक्त हैं। 2 पद दंत रोग के स्वीकृत हैं, दोनों ही रिक्त हैं।

मरीज के परिजन खुद स्ट्रेचर लेकर जाते हैं।

सिविल सर्जन बोले- डॉक्टरों और स्टाफ की मांग की है

सिविल सर्जन डॉ. बीएस मैना ने बताया जिला अस्पताल से 4 डॉक्टरों और 13 नर्सिंग ऑफिसरों के तबादले हुए हैं, जिससे अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या में कमी आई है। अस्पताल की व्यवस्थाएं प्रभावित न हो, इसके लिए संचालनालय को पत्र लिखकर डॉक्टरों और स्टाफ की पदस्थापना की मांग की गई है।



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