शहर की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट्स नहीं होने से अंधेरा छाया।
धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बने 8 साल हो गए हैं। लेकिन शहर की सड़कों पर आज भी अंधेरा छाया हुआ है। 24.92 करोड़ रुपए की लागत से 7000 एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाने का प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
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स्मार्ट सिटी एडवाइजरी फोरम ने चार साल पहले एक महत्वपूर्ण फैसला लिया था। इसके तहत 17 वार्डों में 6978 नई और 2280 पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को बदलना था। इन लाइट्स में सीसीएमएस और जीपीएस नेटवर्क के साथ मूवमेंट सेंसर की सुविधा होनी थी। योजना में 189 किलोमीटर क्षेत्र को रोशन करने का लक्ष्य रखा गया था।
बैठकों में पिछले चार सालों से उठ रहा मुद्दा
प्रोजेक्ट के तहत 23 प्रतिशत केबल को जमीन के नीचे और 70 प्रतिशत को ऊपर से बिछाना था। नगर निगम की बैठकों में पिछले चार सालों से यह मुद्दा उठता रहा है। जुलाई 2023 में एचपीएल इलेक्ट्रिकल एंड पावर लिमिटेड को एक महीने का समय दिया गया था। काम पूरा न होने पर टेंडर रद्द करने की चेतावनी भी दी गई थी।
नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर सुरिंद्र कटोच ने कहा कि अंधड़ और तकनीकी समस्याओं से लाइटें बंद हैं। मरम्मत के आदेश दे दिए गए हैं। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रशांत गौड़ का कहना है कि काम चल रहा है। उन्होंने कुछ लोगों द्वारा पोल और लाइट्स को नुकसान पहुंचाने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई है।
सुरक्षा और पर्यटन पर असर
धर्मशाला को पर्यटन राजधानी बनाने की दिशा में यह अंधकार बड़ी बाधा बनकर खड़ा है। शहर के पार्कों और मुख्य सड़कों पर पसरा अंधेरा न केवल पर्यटकों के अनुभव को खराब कर रहा है, बल्कि स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रहा है।
ठोस कदम की जरूरत
धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पर उठ रहे सवाल अब एक निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जब तक योजनाएं कागज़ों से निकलकर ज़मीन पर नहीं उतरतीं, तब तक स्मार्ट सिटी का सपना अधूरा ही रहेगा।