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कारोबारी मिरानिया का शव देर-रात रायपुर पहुंचा: परिजन फूट-फूटकर रोए, मंत्रियों ने दिया कंधा, आज अंतिम संस्कार, आतंकियों ने बच्चों के सामने मारी थी गोली – Chhattisgarh News


कारोबारी का शव दिल्ली से फ्लाइट के जरिए रायपुर लाया गया। एयरपोर्ट के बाहर परिजन और स्थानीय लोग रोते नजर आए।

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने रायपुर के स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया की गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकियों ने पत्नी, बेटे और बेटी के आंखों के सामने गोली मारी। बुधवार देर रात कारोबारी का शव दिल्ली से फ्लाइट के जरिए रायपुर लाया गया।

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एयरपोर्ट से घर पहुंचने पर डिप्टी सीएम अरुण साव, मंत्री ओपी चौधरी, टंकराम वर्मा समेत कई नेताओं ने दिनेश के शव को कंधा दिया। एम्बुलेंस से शव निकालकर घर के भीतर ले गए। घर के अंदर और बाहर लोगों की भीड़ जमा रही। आज (गुरुवार) सुबह 9 बजे उनका अंतिम संस्कार रायपुर के मारवाड़ी मुक्तिधाम में किया जाएगा।

आतंकियों ने रायपुर के स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया की गोली मारकर हत्या कर दी।

जानकारी के मुताबिक, दिनेश मिरानिया (45) को जिस दिन गोली मारी गई, उसी दिन उनकी शादी की सालगिरह थी। वह परिवार के साथ खुशियां मनाने बैसरन घाटी गए थे। वहां पत्नी नेहा, बेटा शौर्य और बेटी लक्षिता के साथ सेलिब्रेट कर रहे थे, तभी आतंकियों ने गोलियों से भून डाला।

पहलगाम में दिनेश मिरानिया की पत्नी और बच्चों से गृहमंत्री अमित शाह मिले। शाह ने कहा कि हमले में अपनों को खोने का दर्द हर भारतीय को है। बेगुनाह मासूम लोगों को मारने वाले आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा।

तस्वीरों में देखिए शव पहुंचने के बाद गमगीन माहौल…

रायपुर एयरपोर्ट पर डिप्टी सीएम अरुण साव, मंत्री ओपी चौधरी, टंकराम वर्मा समेत कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी।

छत्तीसगढ़ के मंत्रियों ने दिनेश की लाश को कंधा दिया। एम्बुलेंस से निकालकर घर के भीतर लेकर गए।

फ्रीजर में घर के अंदर रखा गया कारोबारी दिनेश का शव।

कारोबारी के घर के अंदर देर रात तक लोगों की भीड़ जमा रही।

रायपुर एयरपोर्ट के बाहर रोते नजर आए परिजन।

शव आने से पहले रायपुर एयरपोर्ट के बाहर परिजनों के बैठने की व्यवस्था की गई थी।

पर्यटकों को पहलगाम जाने की अनुमति नहीं

कश्मीर में मौजूद छत्तीसगढ़ के पत्रकार रामअवतार तिवारी ने बताया कि पहलगाम घूमने के लिए जा रहे थे, लेकिन हमें सुरक्षाबलों ने रास्ते में ही रोक दिया। फायरिंग के बाद सुरक्षाबल सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। इस वजह से पर्यटकों को वहां जाने की अनुमति नहीं है।

उन्होंने बताया कि पहलगाम को खाली कराया गया है। सभी बाजार और पर्यटक क्षेत्र बंद कर दिए गए हैं। हम इस वक्त कश्मीर के श्रीनगर के एक होटल में हैं। स्थिति सामान्य होने पर वापस छत्तीसगढ़ आएंगे। CM साय ने फोन से हाल-चाल लिया। फिलहाल हम सभी सुरक्षित हैं।

मारे गए लोगों के परिवारों को 10-10 लाख मुआवजा

वहीं जम्मू-कश्मीर सरकार ने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि की घोषणा की है। साथ ही गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख और मामूली घायलों को 1 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है। वहीं रायपुर-भिलाई के करीब 82 लोग श्रीनगर में फंसे हैं। एक होटल में रोका गया है।

दिनेश मिरानिया के परिवार की तस्वीरें देखिए

दिनेश मिरानिया की पत्नी नेहा और बेटे-बेटी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

अमित शाह ने मिरानिया के परिवार से कहा कि-बेगुनाह मासूम लोगों को मारने वाले इन आतंकियों को बिल्कुल बख्शा नहीं जाएगा।

दिनेश मिरानिया की पत्नी, बेटी और बेटे की तस्वीर है। तीनों कश्मीर में हैं।

स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया की पत्नी, बेटी और बेटे की तस्वीर।

11 पर्यटकों को कपड़ा व्यवसायी नजाकत अली ने बचाया

आतंकी हमले में चिरमिरी के 4 परिवारों के 11 लोग भी फंस गए थे। इनमें 3 बच्चे भी शामिल थे। सभी गर्मी की छुट्टियां मनाने 18 अप्रैल को चिरमिरी से जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हुए थे। 21 अप्रैल को सभी पहलगाम पहुंच थे।

पर्यटकों में शिवांश जैन, हैप्पी वधावन, अरविंद अग्रवाल और कुलदीप स्थापक अपने परिवारों के साथ पहलगाम पहुंचे थे। हमले के समय सभी लोग पहलगाम में ही थे। शिवांश जैन ने बताया कि भू-स्खलन के कारण सड़क पर जाम लगा था। सड़क के दोनों ओर पर्यटकों की भीड़ थी, तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई।

कारोबारी दिनेश मिरानिया के घर के बाहर की तस्वीरें

कारोबारी दिनेश मिरानिया के घर पर कोई नहीं है। परिजन कश्मीर के लिए रवाना हो गए हैं।

कारोबारी दिनेश मिरानिया के घर के बाहर उनके रिश्तेदार जुटे।

रायपुर SSP लाल सिंह उम्मेद और कलेक्टर गौरव सिंह मिरानिया के घर के बाहर पहुंचे।

रिश्तेदार के यहां चल रही थी भागवत कथा

दिनेश के चाचा के भाई मनीष सिंघानियां ने बताया कि रिश्तेदार के यहां भागवत कथा चल रही है। दिनेश को कथा में भी शामिल होना था। पूरा परिवार रविवार सुबह रवाना हुआ। रविवार को ही देर शाम जम्मू पहुंच गए थे। सोमवार को रिश्तेदार के घर पूजा में शामिल हुए।

उन्होंने बताया कि मंगलवार सुबह पुलवामा के बैसरन घाटी पहुंचे। वे बच्चों के साथ घूम रहे थे। दोपहर को आतंकियों ने घेरेबंदी की हमला कर दिया। पत्नी नेहा, बेटा शौर्य और बेटी लक्षिता के सामने ही उन्होंने दिनेश को गोली मारी। दिनेश को गंभीर हालत में सेना के अस्पताल ले जाया गया। उस समय तक हम सबको उम्मीद थी हमारा दिनेश बच जाएगा।

दिनेश मिरानिया और पत्नी नेहा मिरानिया की फाइल फोटो है।

बच्चों को लेकर भागी, तब बची जान

नेहा मिरानिया उर्फ नेहा अग्रवाल ने ही पति की मौत की खबर रायपुर में अपने रिश्तेदारों को दी। नेहा ने रिश्तेदारों को फोन पर जो बताया उसके अनुसार… दोपहर में हम चारों बैसरन घाटी घूम रहे थे। अच्छा लोकेशन देखकर दिनेश बच्चों के साथ फोटो ले रहे थे।

वहां चारों ओर और भी कई लोग मौजूद थे, तभी घाटियों से हथियारों से लैंस आतंकी आए। पहले तो हम समझे नहीं वो कौन लोग हैं। करीब आते ही उन्होंने एकाएक हमला कर दिया। इस दौरान उन्होंने कुछ लोगों को नाम पूछा और गोली मार दी। वो सिर्फ पुरुषों को ही निशाना बना रहे थे।

हमले के दौरान वहां चीख पुकार और भगदड़ मच गई। इस बीच कुछ स्थानीय लोग सामने आए उन्होंने महिला और बच्चों को बचाया। उसी दौरान मुझे भी बच्चों के साथ भागने का मौका मिला, फिर हम वहां से सेना के कैंप में गए। जहां सभी को सुरक्षित रखा गया।

दिनेश मिरानिया की पत्नी, बेटी और बेटे की तस्वीर है। चारों घूमने के लिए पहलगाम गए थे।

मिरानिया की पत्नी को आई चोट

कारोबारी की पत्नी नेहा को चेहरे में गहरी चोट आई है। बच्चे भी जख्मी हुए हैं। नेहा के चेहरे में बारुद के छींटे पड़े हैं। मौत का मंजर देखने से सभी डरे-सहमे हैं। बच्चे तो फोन पर भी किसी से बात करने की स्थिति में नहीं है।

चार भाइयों में छोटे थे दिनेश मिरानिया

दिनेश का स्टील का कारोबार है। दिनेश चार भाइयों में सबसे छोटे थे। वह परिवार के साथ समता कॉलोनी में रहते थे। एक भाई की पहले ही मौत हो गई है। उसके 2 बड़े भाई हैं। यह परिवार मूलत: ओडिशा का रहने वाला है। कई साल पहले रायपुर आकर बस गया।

बेटा बेंगलुरु में पढ़ता है, छुट्टियां मनाने आया था

दिनेश का बेटा शौर्य बेंगलुरु में 12वीं की पढ़ाई कर रहा है, जबकि बेटी रायपुर में 9वीं कक्षा में पढ़ाई करती है। पत्नी नेहा गृहिणी है। अभी छुट्टियां चल रही हैं। इसी वजह से उसने औन पत्नी ने छुट्टियों में एक साथ घूमने जाने का प्लान बनाया था, लेकिन आतंकी हमले का शिकार हो गए।

महिलाओं को बचाकर सेना कैंप ले जाते हुए स्थानीय लोग और सेना के जवान।

मोदी बोले- आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उनका नापाक मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा। आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प अडिग है और यह और भी मजबूत होगा।

राहुल गांधी ने कहा कि, आतंक के खिलाफ पूरा देश एकजुट है। सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने के खोखले दावों के बजाय अब जवाबदेही लेते हुए ठोस कदम उठाए, ताकि आगे ऐसी बर्बर घटनाएं न होने पाएं।

इमरजेंसी हेल्प डेस्क नंबर

अनंतनाग पुलिस ने पर्यटकों के लिए दो हेल्पलाइन नंबर 9596777669 और 01932225870 जारी किए हैं। इसके अलावा वॉट्सऐप नंबर 9419051940 जारी किया है। श्रीनगर पुलिस की हेल्प डेस्क इमरजेंसी नंबर 0194-2457543, 0194-2483651, एडीसी श्रीनगर आदिल फरीद का नंबर 7006058623 जारी किया है।

पहलगाम के बैसरन घाटी इलाके में आर्मी की ड्रेस में आए दो आतंकियों ने फायरिंग की।

हमले में 27 टूरिस्ट की मौत

दरअसल, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने मंगलवार को पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में एक इटली और एक इजराइल का पर्यटक और 2 स्थानीय नागरिक शामिल हैं। बाकी पर्यटक गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के हैं।

घटना मंगलवार दोपहर करीब 2.45 बजे पहलगाम की बैसारन घाटी में हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आतंकियों ने एक टूरिस्ट से नाम पूछा, फिर उसके सिर में गोली मार दी। इसके बाद दूसरे पर्यटकों पर फायरिंग करते हुए भाग निकले। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली है।

घटना के बाद सुरक्षाबलों ने पहलगाम में हमले वाले इलाके को घेर लिया है। हेलिकॉप्टर से भी नजर रखी जा रही है।

जम्मू-कश्मीर में एक्टिव आतंकी ग्रुप

मार्च, 2023 में केंद्र सरकार ने राज्यसभा में UAPA के तहत बैन किए आतंकी संगठनों के नाम बताते हुए उनसे जुड़ी जानकारी दी थी।

1. द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF): ये संगठन 2019 में अस्तित्व में आया। सरकार का मानना है कि ये लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी आतंकी संगठन है। ये आतंकी संगठन जवानों और आम नागरिकों की हत्या के अलावा सीमा पार से ड्रग्स और हथियार की तस्करी में शामिल रहा है।

जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठनों में ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नया नाम है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद इसकी एक्टिविटी बढ़ी हैं। सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सीमा पार से ISI हैंडलर्स ने ही लश्कर-ए-तैयबा की मदद से TRF को खड़ा किया।

पूर्व DGP एसपी वैद के मुताबिक, TRF में कुछ नया नहीं है, बस जैश और लश्कर के कैडर्स को ही नया नाम दिया गया है। ISI की रणनीति के तहत ये नाम बदलते रहते हैं। 1990 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट बनने के बाद पहली बार किसी आतंकी संगठन को गैर इस्लामिक नाम दिया गया है।



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