कलेक्टर रूचिका चौहान के सामने पूरे मामले को रखते हुए अधिकारी।
ग्वालियर में मंगलवार दो किसानों ने इच्छा मृत्यु मांगी है। एक किसान ने कलेक्टर तो दूसरे ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई हैं। उनका कहना है कि जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया हैं, जब पुलिस और प्रशासन के पास न्याय की आस में जाते हैं तो धुतकार
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जनसुनवाई में जब किसान कलेक्ट्रेट पहुंचे तो हड़कंप मच गया। एक किसान ने अपनी जमीन को दबंगों से बचाने राष्ट्रपति से तो वही दूसरे किसान ने अपने गांव में गौवंश के लिए आरक्षित गोचर जमीन को दबंगों से बचाने के लिए कलेक्टर से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु बता दें कि ग्वालियर कलेक्ट्रेट में दो किसानों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। एक किसान मुरार के बड़ा गांव का रहने वाला ब्रजेंद्र सिंह यादव है। जिसके पास जमीन के सभी दस्तावेज होने के बावजूद दबंगों ने कब्जा कर प्लाटिंग कर दी है। पीड़ित किसान की तहसीलदार से लेकर एसडीएम दफ्तर तक के चक्कर काटने के बाद जब कोई सुनवाई नही हुई तो उसने को राष्ट्रपति के नाम इच्छा मृत्यु का आवेदन सौंप कर अनुमति की मांग की है। आवेदन में लिखा है कि या तो जमीन से दबंगों को खदेड़ा जाए या फिर उसे इच्छा मृत्यु दी जाए।
इस मामले में एसडीएम अशोक सिंह चौहान का कहना है किसान द्वारा दो दिन पहले ही आवेदन एसडीएम कोर्ट में दिया है, कब्जा बताने वालों को नोटिस जारी किए जा रहे है। सुनवाई के बाद ही फैसला दिया जा सकेगा। कलेक्टर से मांगी इच्छा मृत्यु महाराजपुरा गांव में रहने वाला बुजुर्ग किसान कामता प्रसाद कोरी जो बीते कई सालों से कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचकर भू-माफियाओं से गांव की 10 बीघा गौचर जमीन को कब्जा मुक्त कराने की गुहार लगा रहा है। मंगलवार एक बार फिर आवेदन लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचा था लेकिन इस बार किसान द्वारा दिया गया आवेदन जमीन मुक्त कराने के लिए नहीं बल्कि इच्छा मृत्यु की मांग को लेकर था।
किसान कामता प्रसाद का कहना है कि एसडीएम कोर्ट से भूमि को कब्जा मुक्त करने के लिए आदेश भी हो चुके हैं। बावजूद नायब तहसीलदार अनिल नरवरिया शासकीय भूमि से कब्जे को हटाने के बदले में 20 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं। यही वजह है की अब वह परेशान होकर इच्छा मृत्यु मांग रहा है। ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि
किसानों के इच्छामृत्यु से जुड़े मामले में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जांच के बाद वैधानिक कार्रवाई करें।