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किसान पिता ने बेटियों को दी सीख: खुद पर विश्वास करना सबसे बड़ा साहस है, मैं पढ़ा सकता हूं पर आत्मनिर्भर तुम्हें ही बनना है – Jawad News



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सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। इसे जावद के किसान भरत शर्मा व उनकी बेटियों ने सिद्ध कर दिखाया है। वे झोपड़ी में रहते हैं। घर में टेलीविजन तक नहीं लगा है। पिता ने बेटियों को सिखाया कि खुद पर विश्वास करना सबसे बड़ा साहस है, मैं पढ़ा सकता हूं लेकिन आत्मनिर्भर तुम्हें ही बनना होगा। दंगल फिल्म से प्रेरणा लेकर खेत पर ही बेटियों के लिए ट्रैक बनाया। आज बड़ी बेटी असम राइफल में है। दूसरी बेटी का मप्र पुलिस में चयन हो गया है। तीसरी बेटी ने बीएसएफ का फिजिकल पास कर लिया सिर्फ़ इंटरव्यू बाकी है। चौथी बेटी विक्रम यूनिवर्सिटी से लांग जंप में नेशनल खेलकर आई है और पढ़ाई कर रही है।

जावद के भरत शर्मा और उनके परिवार ने जीवन बड़े ही संघर्ष और गरीबी में बिताया। उनके पास जीवनदान बालाजी मंदिर से लगती केवल 2 बीघा जमीन है। चार बेटियां हैं कल्पना, संजना, सुमन और अनीता। खेत पर ही कच्चा मकान है। भरत ने परिवार के पालन के लिए खेती के साथ अन्य खेतों में भी दवाई छिड़काव का काम शुरू किया। बचपन से बेटियों को पढ़ाई के साथ खेलकूद में आगे रखा। उन्होंने बेटियों को बताया कि हम गरीब ज़रूर हैं पर मेहनत से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। चारों बेटियां सरकारी स्कूल और सरकारी कॉलेज में पढ़ी हैं।

बेटियों ने वर्दी पहनने की इच्छा जताई और तैयारी शुरू की

2016 में दंगल मूवी आई। उससे हमें भी प्रेरणा मिली। बेटियों ने वर्दी पहनने की इच्छा जताई। इस पर हमने खेत पर ही ट्रैक बनाया व सभी बेटियों ने तैयारी भी तेज की। गांववाले बेटियों को दंगल-टू कहने लगे थे। 2021 में कल्पना का आर्मी में चयन हुआ वह आज असम राइफल में सेवा दे रही है। हाल ही में संजना का मप्र पुलिस में आरक्षक के पद पर चयन हुआ है। उसका ज्वाइनिंग लेटर आना है। तीसरी बेटी सुमन ने भी बीएसएफ फिजिकल निकाल लिया है। इंटरव्यू होना है। चौथी बेटी अनीता नेशनल लांग जंप खेलकर आई है। अभी बीए फर्स्ट ईयर की पढ़ाई के साथ एयर फोर्स व अन्य भर्ती परीक्षा दे रही है।

पिता के संघर्ष काे बेकार नहीं कर सकते

संजना ने बताया कि माता-पिता ने हमें शुरू से कहा कि खुद के दम पर खड़ा होना है। उन्होंने कितनी मेहनत की यह हमने देखा है इसलिए माता-पिता के संघर्ष काे बेकार नहीं कर सकते। मेरा एमपी पुलिस में फिजिकल हुआ तो उसमें 100/96 अंक पाकर प्रथम रही और मध्यप्रदेश में 5वीं रैंक बनी। हम सभी बहनें यूनिवर्सिटी तक खेली हैं।

^बेटियां जैसे-जैसे बड़ी होती जाती हैं। मां-बाप के ऊपर लोग और परिवारजन दबाव बनाते हैं कि अब इनकी शादी का समय हो गया है। इन सब बातों को हमने नजरअंदाज किया। उनकी मां ने कभी इनसे घर का काम नहीं करवाया। हमने उनके लिए मेहनत की तो हमारी मेहनत को बेटियों ने सिद्ध किया है। – भरत शर्मा, किसान



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