पानी की कमी से पलायन की मार झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों की मुश्किलें अब कम होने वाली है। केन और बेतवा नदियों को जोड़ने वाली ऐतिहासिक परियोजना से यहां के 10 जिलों को पानी की कमी से निजात मिलेगी। यहां के ज्यादातर किसान पानी के अभाव में सिर्फ खरीफ की फ
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करीब तीन दशक पहले शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी योजना को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुराहो में हरी झंडी देंगे। इस परियोजना के तहत पन्ना और छतरपुर जिले के सीमावर्ती इलाके में दौधन बांध का शिलान्यास करेंगे। यह बांध न सिर्फ किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराएगा, बल्कि पलायन रोकने और ग्रामीण विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल, सीएम डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार खटीक, खजुराहो सांसद वीडी शर्मा और विधायक, सांसद मौजूद रहेंगे।
अब जानिए केन-बेतवा परियोजना से कैसे बदलेगा बुंदेलखंड
छतरपुर और पन्ना जिलों की सीमा पर केन नदी पर दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा। इस बांध के माध्यम से पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में दो टनल बनाई जाएंगी। इन टनलों में से एक मुख्य टनल के जरिए 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी, जो छतरपुर, झांसी, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों के गांवों से गुजरते हुए झांसी जिले में बेतवा नदी पर बने पारीछा बांध के ऊपरी क्षेत्र में केन नदी का पानी पहुंचाएगी।
इस 221 किलोमीटर लंबी नहर के माध्यम से रास्ते में पड़ने वाले गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, प्रेशराइज्ड पाइपलाइन के जरिए खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाएगा। यह परियोजना क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित होगी और बुंदेलखंड को सूखे से राहत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
पानी की बर्बादी रुकेगी, नहर से सीधे खेत तक पहुंचेगा केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत बनने वाली नहर के जरिए पानी की बर्बादी रोकने के लिए माइक्रो इरिगेशन सिस्टम से सिंचाई की व्यवस्था होगी। राज्य सरकार नहर से पंपों के जरिए प्रेशराइज्ड पाइप डालकर सीधे खेतों तक पानी पहुंचाएगी।
चंदेल कालीन तालाब और बावडियां भरेंगे चंदेल राजाओं द्वारा बुंदेलखंड इलाके में तालाबों का निर्माण कराया गया था। पूरे बुंदेलखंड में करीब दो हजार चंदेल कालीन तालाब हैं। इनमें से करीब 500 जलाशय आज भी जीवित अवस्था में हैं। ये सभी तालाब आपस में जोड़े गए थे। यानी एक तालाब के भरने के बाद उसके अतिरिक्त जल से अगला तालाब भरता था। इन्हीं जलाशयों के आसपास चंदेल कालीन बावडियां भी बनाई गई थीं। केन-बेतवा लिंकेज नहर से चंदेल कालीन तालाब भी पुर्नजीवित हो सकेंगे।