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कोलकाता रेप-मर्डर केस…कैसे बना सुसाइड बताने का प्लान: प्रिंसिपल घोष ने 2 डॉक्टरों को जिम्मेदारी दी, 2 डॉक्टरों ने स्टूडेंट्स को संभाला


तारीख: 9 अगस्त समय: सुबह 8 बजे जगह: कोलकाता का आरजी कर मेडिकल कॉलेज

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हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की ड्यूटी चेंज होने वाली थी। तभी इमरजेंसी बिल्डिंग में PGT के कुछ स्टूडेंट्स ने सेमिनार हॉल में एक डेड बॉडी देखी। ये डेड बॉडी हॉस्पिटल में ही काम करने वाली ट्रेनी डॉक्टर की थी। उन्होंने तुरंत HoD अरुनभ दत्ता चौधरी और प्रिंसिपल संदीप घोष को इसकी खबर दी। डॉ. घोष ने वाइस प्रिंसिपल संजय वशिष्ठ को बताया और इसके बाद सभी सेमिनार हॉल में पहुंचे।

आगे क्या हुआ, मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले एक प्रोफेसर ने दैनिक भास्कर को बताया। वे बताते हैं कि सेमिनार हॉल में पहुंचने वालों में चार नाम खास थे। यूनिट इंचार्ज और असिस्टेंट प्रोफेसर सुमित कुमार तापदार, असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट (नॉन मेडिकल) द्वैपायन बिस्वास, पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सुशांता कुमार रॉय और काउंसिल के मेंबर डॉ. अविक डे।

ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर की इनसाइड स्टोरी जानने के लिए हम आरजी कर अस्पताल पहुंचे। यहां हमने 9 अगस्त को मौके पर मौजूद स्टूडेंट्स, डॉक्टर्स और प्रोफेसरों से बात की। कुछ स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स ने हमें पूरी कहानी बताई। इसमें कई किरदार हैं, जिनकी अपनी भूमिका थी।

सोर्स बताते हैं, ‘ये साफ नहीं था कि ट्रेनी डॉक्टर के साथ क्या हुआ है, लेकिन डेडबॉडी देखकर ये तय था कि ये मर्डर है। सुमित और द्वैपायन को खास जिम्मेदारी के साथ भेजा गया था। द्वैपायन बिस्वास को मीडिया, स्टूडेंट और डॉक्टर के बीच ये खबर फैलानी थी कि ट्रेनी डॉक्टर ने सुसाइड की है। वहीं, सुमित के पास पुलिस को केस की जानकारी देने और उससे डील करने की जिम्मेदारी थी।’

डॉ. सुशांता कुमार और डॉ. अविक न आरजी कर अस्पताल से हैं और न ही इस केस से उनका कोई लेना-देना है। ऐसे में सवाल है कि ये दोनों वहां क्या कर रहे थे और इन्हें किसने भेजा था।

डॉक्टर की बॉडी देखकर अंदाजा था कि उनका मर्डर हुआ है, तब सुसाइड की थ्योरी क्यों तैयार की गई। ये बात अब तक सामने नहीं आई है। डॉक्टर की फैमिली को भी यही बताया गया कि उनकी बेटी ने सुसाइड कर लिया है। इसके पीछे क्या मंशा थीं, मामले की जांच कर रही CBI भी यही पता कर रही है।

ये कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की तस्वीर है। इसी बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर मौजूद सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी।

प्रिंसिपल संदीप घोष को सुबह 8 बजे मिली थी घटना की खबर
मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर ने हमें बताया, ‘9 अगस्त को सुबह 8 बजे सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश देखी गई थी। डेडबॉडी देखने वाले स्टूडेंट ने सबसे पहले इसकी जानकारी HoD अरुनभ दत्ता चौधरी और प्रिंसिपल संदीप घोष को दी थी।’

‘मौके पर पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सुशांता कुमार रॉय और काउंसिल के मेंबर डॉ. अविक डे मौजूद थे। अविक डे TMC छात्र परिषद के एक्टिव मेंबर हैं। वे IPGMR-SSKM से PGT सर्जरी की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं डॉ. सुशांता कुमार रॉय राज्य स्वास्थ्य विभाग के OSD के पद से रिटायर हुए हैं।’

मौके पर मौजूद छात्रों से भी हमने कन्फर्म किया। उन्होंने भी बताया कि सुशांता रॉय और अविक डे वहां मौजूद थे, लेकिन वे पुलिस के आने से पहले निकल गए थे। इसके बाद हमने अविक और सुशांता से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की। सुशांता रॉय ने कॉल पर कहा, ‘मामला सब-ज्यूडिस है। मैं कुछ नहीं बोलूंगा।’ वहीं अविक ने हमारे कॉल या मैसेज का जवाब नहीं दिया।

संदीप और अविक को आखिर किसने और क्यों बुलाया
प्रोफेसर आगे बताते हैं, ‘प्रिंसिपल संदीप घोष को लगा स्टूडेंट प्रदर्शन करने वाले हैं और हंगामा हो सकता है, तब उन्होंने सुशांता रॉय और अविक डे जैसे कुछ प्रभावशाली लोगों को बुलाया। उन सभी ने डेडबॉडी के पास ही मीटिंग की। उस समय देबाशीष शोम भी वहां मौजूद थे। देबाशीष फोरेंसिक डिपार्टमेंट में डेमॉन्स्ट्रेटर हैं।’

‘वहीं घटना पर पर्दा डालने के लिए प्लान तैयार हुआ, लेकिन तब तक स्टूडेंट्स जमा हो चुके थे। उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया था। छात्रों ने अपनी दो डिमांड सामने रख दी थीं।

1. पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी की जाए। 2. जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बनाई जाए।

अब कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन के सामने सवाल ये था कि उन्हें ये डिमांड माननी चाहिए या नहीं। तब तक मौके पर मीडियावाले भी आ गए थे।

सुशांता और अविक नॉर्थ-बंगाल लॉबी का हिस्सा
सुशांता रॉय, अविक डे और संदीप घोष एक ही लॉबी का हिस्सा हैं। जिन्हें मेडिकल की फील्ड में ‘नॉर्थ-बंगाल’ लॉबी के नाम से जाना जाता है। आरजी कर अस्पताल के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के एक स्टूडेंट बताते हैं, ‘इस लॉबी पर डॉ. श्यामापदा दास का हाथ है, जो ममता बनर्जी के फैमिली डॉक्टर हैं।’

‘अगस्त 2004 में पश्चिम मिदनापुर जिले में मंच गिरने से ममता बनर्जी गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। उनकी पसलियां टूट गई थीं और उनके सिर पर चोट आई थी। तब से डॉ. श्यामापदा दास ही उनका इलाज करते आ रहे हैं। सुशांता रॉय, अविक डे और संदीप घोष तीनों ही डॉ. श्यामापदा के खास हैं।’

प्रोफेसर ने पीड़ित की फैमिली को बताया- बेटी ने सुसाइड कर लिया
9 अगस्त को घटनास्थल पर मौजूद एक प्रोफेसर ने हमें बताया, ‘प्रोफेसर द्वैपायन बिस्वास को मीडिया, स्टूडेंट और डॉक्टर के बीच इसे सुसाइड का मामला बताने का जिम्मा दिया गया था। उन्होंने पहला कॉल सुबह 10:53 बजे पर परिवार को किया। ट्रेनी डॉक्टर के पिता को बताया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब हो गई है।’

‘थोड़ी ही देर बाद फैमिली को दूसरा कॉल किया गया। इस बार परिवार को बताया गया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। हालांकि, ये कॉल किसी महिला ने की थी। वो महिला कौन है, इसका पता नहीं चल सका है।’

‘कॉलेज के हॉस्टलों में सुसाइड की खबर मिलते ही स्टूडेंट्स और डॉक्टर इमरजेंसी बिल्डिंग में पहुंच गए। लाश को देखकर पता लग रहा था कि ये सुसाइड नहीं बल्कि मर्डर है। कुछ 15-20 डॉक्टर और स्टूडेंट्स विरोध करने लगे।’

प्रोफेसर आगे बताते हैं, ‘असिस्टेंट प्रोफेसर सुमित तापदार ने सुबह 10:10 बजे पुलिस को लाश मिलने की सूचना दी। पुलिस 10:30 बजे मौके पर पहुंची। दोपहर 1 बजे फोरेंसिक टीम पहुंची और क्राइम सीन का एग्जामिनेशन शुरू किया।’

कोलकाता में 22 अगस्त को स्वास्थ्य भवन के बाहर डॉक्टर्स ने घटना के विरोध में प्रदर्शन किया।

तब तक अस्पताल के 100 से ज्यादा डॉक्टर और स्टूडेंट वहां पहुंच गए थे। सभी कॉलेज प्रशासन का विरोध कर रहे थे।

इस प्रदर्शन में शामिल एक डॉक्टर बताते हैं, ‘डॉक्टरों की तरफ से दो मांगें रखी गईं। पहली ये कि महिला डॉक्टर का तुरंत पोस्टमॉर्टम किया जाए और उसकी वीडियोग्राफी हो। दूसरा, पोस्टमॉर्टम के लिए तीन लोगों की समिति बनाई जाए, जिसमें प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में से कोई भी शामिल हो।’

इस बीच दोपहर 1 बजे तक ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता और एक अंकल अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले शव को ट्रेनी डॉक्टर के अंकल ने देखा। मौके पर मौजूद स्टूडेंट बताते हैं, ‘मजिस्ट्रेट दोपहर करीब 3 बजे मौके पर पहुंचे। उनके आने तक डॉक्टर रास्ता रोककर ही बैठे रहे। प्रदर्शनकारियों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट से जांच की मांग की।’

वे आगे बताते हैं, ‘संदीप घोष चाहते थे कि पोस्टमॉर्टम फोरेंसिक डिपार्टमेंट के देबाशीष शोम करें। मामला महिला का था, इसलिए कोई महिला डॉक्टर ही पोस्टमॉर्टम कर सकती थीं।’

‘लिहाजा तीन सदस्यीय डॉक्टरों की टीम में फोरेंसिक डिपार्टमेंट की मौली बनर्जी, रीना दास और अपूर्बा बिस्वास का नाम सामने आया। शाम 6:10 बजे शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया। शाम 7:10 पोस्टमॉर्टम खत्म हुआ।’

इसके बाद शाम करीब 7:40 बजे पीड़िता के माता-पिता को ताला पुलिस स्टेशन ले जाया गया। उनके पीछे से 8:15 बजे डॉक्टर का शव श्मशान घाट ले जाया गया। हालांकि, इस दौरान पीड़िता के अंकल साथ मौजूद थे। इन सबके बाद रात 11:45 बजे मामले की FIR लिखी गई।

स्टूडेंट का दावा- सिक्योरिटी गार्ड ने सबसे पहले देखी थी डेडबॉडी
मेडिकल कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स ने हमें बताया कि प्रिंसिपल संदीप घोष को इस घटना की जानकारी सुबह 5 बजे ही मिल गई थी। एक स्टूडेंट ने पहचान न बताने की शर्त पर हमें बताया, ‘घटना के समय बिल्डिंग में दो सिक्योरिटी गार्ड थे। एक सिक्योरिटी गार्ड अपनी फैमिली का इलाज करा रहा था।’

‘वो इमरजेंसी वार्ड की दूसरी मंजिल पर पहुंचा, तब उसने सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश देखी। शायद उसने संदीप घोष या HoD को बताया। इसके बाद अस्पताल में मौजूद पुलिस वहां गई थी।’

तस्वीर 21 अगस्त की है। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के विरोध में ओडिशी डांसर और पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली की पत्नी डोना गांगुली ने डांस अकेडमी के मेंबर्स के साथ कैंडिल लाइट प्रोटेस्ट किया।

सुप्रीम कोर्ट बोला- 30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी
पुलिस और हॉस्पिटल मैनेजमेंट के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की है। इस मामले में 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CBI ने कोर्ट में कहा कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है।

कोर्ट ने कहा कि सुबह 10:10 बजे पुलिस को खबर मिली कि एक ट्रेनी डॉक्टर अस्पताल में बेहोश हालत में मिली है। फिर पुलिस ने 6 और 7 बजे के बीच में शव का पोस्टमॉर्टम करवा दिया। लड़की का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया, लेकिन FIR रात 11:45 बजे दर्ज की गई। FIR सबसे पहले होनी चाहिए थी। साथ ही इसमें ही अननैचुरल डेथ का जिक्र होना चाहिए था।

कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि FIR दर्ज करने में 14 घंटे की देरी क्यों हुई। साथ ही कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल को खुद FIR करने आना चाहिए था। वे किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इस्तीफा दिया और उन्हें दूसरा कॉलेज दे दिया गया।

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि एक पहलू बेहद परेशान करने वाला है, मौत की अननैचुरल डेथ की एंट्री सुबह 10:10 बजे दर्ज की गई। क्राइम सीन की सुरक्षा, सबूत जुटाने का काम रात 11:30 बजे किया गया। तब तक क्या हो रहा था।

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्होंने कहा कि जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।

CBI ने 5 डॉक्टरों को पूछताछ के लिए बुलाया
CBI अब मामले की जांच कर रही है। केस में 5 डॉक्टरों को तलब किया गया है। इनमें सस्पेंडेड मेडिकल सुपरिनटैंडैंट और वाइस प्रिंसिपल संजय वशिष्ठ, हेड ऑफ चेस्ट डिपार्टमेंट अरुनभ दत्ता चौधरी, फोरेंसिक मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर रीना दास, फोरेंसिक मेडिसिन विभाग से मौली बनर्जी और अपूर्बा बिस्वास शामिल हैं।

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