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कोलकाता रेप-मर्डर केस: जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल शुरू: कहा- मांगें पूरी नहीं हुईं, हेल्थ सेक्रेटरी को हटाने के लिए 24 घंटे का समय दिया था


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कोलकाता44 मिनट पहले

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जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सरकार पर उनकी मांगें न मानने का आरोप लगाते हुए अनशन करने का ऐलान किया है।

कोलकाता में 8-9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर मामले में जूनियर डॉक्टरों ने भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान किया है। उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग को लेकर राज्य सरकार को 24 घंटे अल्टीमेटम दिया था। लेकिन समय सीमा खत्म हो चुकी है। अब डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की बात कही है।

डॉक्टरों ने बताया है कि वे भूख हड़ताल की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भूख हड़ताल मंच पर सीसीटीवी लगाएंगे। ताकि हर कोई देख सके कि वहां क्या हो रहा है?

दरअसल, कोलकाता की ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद जूनियर डॉक्टरों ने 10 अगस्त से 21 सितंबर के बीच 42 दिन तक हड़ताल की थी। राज्य सरकार ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मान ली थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म की थी।

27 सिंतबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया, जिससे नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू की।

इसके बाद 4 अक्टूबर को डॉक्टरों ने कहा कि हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे, लेकिन हड़ताल खत्म करेंगे। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज परेशान हो रहे हैं। हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया ।

मिल रही हैं धमकियां, जूनियर डॉक्टरों ने मांगी सुरक्षा जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि 24 घंटे का समय दिया गया था, लेकिन 24 घंटे बाद मुझे सिर्फ धमकियां ही मिलीं। उत्सव में लौटने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन हम उस मानसिकता में नहीं हैं।

डॉक्टरों ने बताया कि पहले चरण में 6 जूनियर डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठेंगे। मांगें फिर भी पूरी नहीं होने पर यह भूख हड़ताल अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगी। अगर ऐसी में किसी को कुछ होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

जूनियर डॉक्टर बोले- ममता ने मीटिंग में किए वादों पर काम नहीं किया जूनियर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को कहा था कि हमारी सुरक्षा की मांगों को पूरा करने के लिए ममता सरकार का रवैया पॉजिटिव नहीं लग रहा है। हम पर अभी भी हमले हो रहे हैं। CM ममता के वादों को पूरा करने का कोई प्रयास होता नहीं दिख रहा है। हमारे पास आज से पूरी तरह काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था- सभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाएं जारी सुप्रीम कोर्ट में 30 सितंबर की सुनवाई में बंगाल सरकार ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर्स इन पेशेंट डिपार्टमेंट और आउट पेशेंट डिपार्टमेंट में काम नहीं कर रहे हैं। इसके जवाब में डॉक्टर्स के वकील ने कहा कि सभी इमरजेंसी और जरूरी सेवाओं में डॉक्टर काम कर रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।

पिछली हड़ताल को लेकर डॉक्टरों का राज्य सरकार से 7 दिन तक टकराव चला डॉक्टरों की पिछली हड़ताल 42 दिन तक चली थी। इस दौरान डॉक्टरों और ममता सरकार के बीच मीटिंग को लेकर 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें।

डॉक्टरों की मांग पर बंगाल सरकार ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटा दिया था। उनकी जगह मनोज वर्मा ने पद संभाला। स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए।

19 सितंबर को डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमारी मांग पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर को हटाया गया है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया है। हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने और अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की हमारी मांग अभी भी जारी है।

रेप-मर्डर विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर का स्टैच्यू लगा, विवाद बढ़ा

इस स्टैच्यू को महालया तिथि के दिन लगाया गया। ये बेहद शुभ तिथि मानी जाती है, जो सामान्य तौर पर दुर्गा पूजा के एक हफ्ते पहले पड़ती है।

कोलकाता के आरजी कर कॉलेज में रेप-मर्डर विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर का स्टैच्यू लगाया गया है। फाइबर ग्लास के बने इस स्टैच्यू को ‘अभया: क्राई ऑफ द आवर’ नाम दिया गया है। इसमें एक महिला को दर्द में चीखते हुए दिखाया गया है।

इस स्टैच्यू को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने इसे घटिया और ट्रेनी डॉक्टर की याद के लिए अपमानजनक बताया है। उन्होंने कहा कि ये अब तक की सबसे खराब चीज है।

वहीं, करीब दो महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि ये स्टैच्यू विक्टिम का नहीं है, बल्कि ये उस दर्द और टॉर्चर का प्रतीक है, जिससे वह गुजरी थी। यह स्टैच्यू हमारे प्रदर्शनों को भी दर्शाता है।

कुणाल घोष का पूरा बयान पढ़ें… विक्टिम के नाम पर इस मूर्ति की स्थापना सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भावना के खिलाफ है। कोई जिम्मेदार व्यक्ति कला के नाम पर भी ऐसा नहीं कर सकता। विरोध और न्याय की मांगे ठीक हैं, लेकिन उस लड़की के दर्द भरे चेहरे वाली मूर्ति सही नहीं है। देश में ‘निग्रहिता’ (रेप विक्टिम) की तस्वीरों, मूर्तियों आदि को लेकर दिशानिर्देश हैं।

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