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गुजरात के रास्ते भारत लाई जा सकती हैं टेस्ला कारें: कांडला या मुंद्रा पोर्ट पर कारों की हैंडलिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद, मुंबई पोर्ट भी विकल्प


अहमदाबाद10 मिनट पहले

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दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वान (EV) बनाने वाली कंपनी टेस्ला का भारतीय कार बाजार में प्रवेश करना तय हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क ने उनसे मुलाकात की थी। तब से ही टेस्ला के भारत आने की संभावना बढ़ गई है।

टेस्ला की कारों को जर्मनी से गुजरात के कांडला या मुंद्रा बंदरगाह के रास्ते भारत में लाया जा सकता है। इन दोनों पोर्ट पर कारों की हैंडलिंग के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। हालांकि मुंबई पोर्ट भी टेस्ला कारों के इंपोर्ट के लिए विकल्प हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे कि टेस्ला भारत में प्रोडक्शन शुरू करे, लेकिन एलन मस्क फिलहाल चाहते हैं कि भारत में कारें जर्मनी के बर्लिन स्थित प्लांट से आयात की जाएं।

टेस्ला कंपनी फिलहाल जर्मनी के प्लांट में बन रही कारों को भारत लाने की तैयारी कर रही हैं।

इस बारे में मुंबई पोर्ट अथॉरिटी और कांडला स्थित पंडित दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैन सुशील कुमार सिंह ने भास्कर से बातचीत में कहा,

टेस्ला ने भारत में भर्ती प्रक्रिया शुरू की

टेस्ला ने भारत में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है यानी टेस्ला जल्द ही भारत में प्रवेश कर सकती है। 17 फरवरी को टेस्ला ने लिंक्डइन पर 13 पदों के लिए भर्ती की घोषणा की। इसमें ग्राहक सेवा और बैक-एंड ऑपरेशन से जुड़े पद शामिल हैं।

कौन सा मॉडल भारत आ सकता है? दुनिया के बाजार में टेस्ला ईवी हावी है, जिसमें मॉडल 3, मॉडल वाई और मॉडल एस सबसे आम हैं। टेस्ला का मॉडल वाई 2023 में दुनिया का सबसे अधिक बिकने वाला मॉडल था। इसलिए संभावना है कि यही मॉडल भारत में भी उपलब्ध होगा। इस मॉडल का निर्माण वर्तमान में बर्लिन-ब्रांडेनबर्ग स्थित गीगा फैक्ट्री में किया जा रहा है।

यह कारखाना बैटरी, बैटरी पैक, पावर ट्रेन और सीटें भी बनाता है। भविष्य में वहां अन्य मॉडल भी बनाने की योजना है। इस कारखाने की वार्षिक क्षमता 5 लाख कारें बनाने की है। फिलहाल इस फैक्ट्री में कारें बनाकर भारत लाई जा सकती हैं।

इसकी कीमत क्या हो सकती है?

अगर टेस्ला भारत में मॉडल वाई लाती है तो इसकी कीमत भारतीय बाजार के हिसाब से 50 लाख रुपए के आसपास होगी। अगर टेस्ला बेसिक मॉडल लेकर आती है तो भारत में यह कार 21 लाख रुपए में भी मिल सकती है। इसके उन्नत मॉडल की कीमत वर्तमान बाजार के अनुसार 2 करोड़ रुपए तक हो सकती है। हालांकि टैक्स के कारण कीमतों में बदलाव संभव है।

कांडला और मुंद्रा बंदरगाह मजबूत दावेदार इसलिए

कांडला स्थित दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट भी टेस्ला असेंबली या उत्पादन प्लांट स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। जिसके लिए बंदरगाह के 800 एकड़ के “स्मार्ट औद्योगिक बंदरगाह शहर” को आदर्श स्थान माना गया है।

यदि प्लांट इस बंदरगाह के पास स्थित होगा, तो इससे टेस्ला को रसद लागत बचाने में मदद मिलेगी। कच्छ की खाड़ी पर होने से यह स्थान मध्य पूर्वी बाजारों तक पहुंच आसान बना सकता है। हालांकि, टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने फिलहाल प्लांट बनाने की कोई इच्छा नहीं दिखाई है।

अडानी के मुंद्रा पोर्ट में जमीन की उपलब्धता, निजी बंदरगाह होना, दरें निर्धारित करने की स्वतंत्रता और एक समर्पित माल गलियारा (डीएफसी), यानी माल की आवाजाही के लिए बनाया गया एक स्वतंत्र रेल मार्ग जैसी सुविधाएं हैं।

टेस्ला लोकप्रिय क्यों हुआ?

डिजाइन और इंजीनियरिंग: टेस्ला ने मॉडल एस जैसे मॉडलों के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों की धारणा को बदल दिया है, जो स्पोर्टी डिजाइन के साथ सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान करते हैं। मॉडल एस को राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन ने अब तक टेस्ट की गई सबसे सुरक्षित कार बताया है।

बैटरी टेक्नोलॉजी और रेंज: टेस्ला ने उन्नत बैटरी पैक और सुपरचार्जर नेटवर्क विकसित करके रेंज पर काबू पा लिया है।

ब्रांड छवि और निष्ठा: टेस्ला ने एक लक्जरी ब्रांड की छवि विकसित की है, जिसने “शहरी लोगों, तकनीक-प्रेमी और पर्यावरण के अनुकूल व्यावसायिक वाहन चाहने वाले अफसरों और उद्यमियों को आकर्षित किया है। लगभग 30% टेस्ला मालिक किसी अन्य निर्माता से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर विचार नहीं करेंगे।

टेक्नोलॉजी और विशेषताएं: टेस्ला उन्नत टेक्नोलॉजी प्रदान करता है, जो ग्राहकों को आकर्षित करती है। रिमोट डिफ्रॉस्टिंग और मोबाइल ऐप के माध्यम से केबिन तापमान नियंत्रण जैसी सुविधाएं भी आकर्षक हैं।

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