खंडवा में मकान खरीदने के नाम पर चेक देकर धोखाधड़ी करने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी भरतदीप चौरसिया की अदालत ने महिला स्वास्थ्यकर्मी को दोषी मानते हुए एक साल की सजा सुनाई है। महिला मीना सेंटीआगो को परक्राम्य लिखत अधिनियम (चेक बाउंस) की
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मकान सौदे में दिए थे बाउंस चेक, कोर्ट ने माना दोषी
परिवादी हरिप्रसाद बौरासी ने अदालत को बताया कि उसके पुत्र रितेश बौरासी ने नौकरी में होने के कारण 1 फरवरी 2019 को आम मुख्तियारनामे के तहत पिता को मकान बेचने की जिम्मेदारी दी थी।
यह मकान 11 दिसंबर 2019 को मीना सेंटीआगो को 18 लाख रुपए में बेचा गया, जिसमें 14.41 लाख रुपए चेक व 2 हजार नकद दिए गए, शेष करीब 3.5 लाख रुपए के दो चेक भी सौंपे गए। लेकिन जब 25 दिसंबर 2020 को चेक बैंक में जमा किए गए, तो 30 दिसंबर को ‘अपर्याप्त निधि’ की टीप के साथ बाउंस हो गए।
सूचना के बाद भी नहीं चुकाई राशि, कोर्ट में मामला पहुंचा
परिवादी ने 9 जनवरी 2021 को सूचना पत्र भेजा, जिसे 16 जनवरी को आरोपी ने प्राप्त भी किया, लेकिन 15 दिन के भीतर भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद मामला अदालत में दायर किया गया, जहां परिवादी की ओर से अधिवक्ता राकेश थापक ने पैरवी की।
82 हजार ब्याज व केस खर्च सहित 3.14 लाख की वसूली का आदेश
अदालत ने महिला आरोपी को सजा के साथ चेक राशि 2.11 लाख पर 9% प्रतिवर्ष ब्याज, 82,882 रुपए ब्याज, 9,500 रुपए कोर्ट खर्च व 10,000 रुपए अतिरिक्त वाद व्यय, इस तरह कुल 3,14,357 रुपए की भरपाई का आदेश भी दिया।