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छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए अक्टूबर में बिलासपुर-टू-रायपुर तक होगी पदयात्रा: जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की जयंती, भूपेश बोले- मैं रातभर उन्हें कवि सम्मेलन में सुनता था – Raipur News


जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की 76वीं जयंती पर रायपुर प्रेस क्लब में ‘पुरखा के सुरता’ एक भाव-एक जुराव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्व सीएम भूपेश ने कहा कि, मैं रातभर उन्हें कवि सम्मेलन में सुनता था। वहीं, मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच की ओर से बिल

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इस आयोजन में बतौर अतिथि खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक अनुज शर्मा, फिल्म निर्देशक सतीश जैन और मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल विशेष रूप से मौजूद रहे।

आयोजन में छत्तीसगढ़ी अस्मिता, भाषा और स्वाभिमान पर चर्चा हुई। मस्तुरिया के गीतों का गायन भी हुआ। मस्तुरिया के साथ बिताए यादों को भी साहित्यकारों, नेताओं और पत्रकारों ने साझा किया।

मस्तुरिया के सपनों को पूरा करना होगा- नंदकिशोर शुक्ल

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के संरक्षक और कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर नंदकिशोर शुक्ल ने कहा कि, मस्तुरिया जी के गीतों को गाते रहने से या उन पर कार्यक्रम आयोजित करने से काम पूरा नहीं होगा. उनके सपनों को पूरा करने के लिए हम सब छत्तीसगढ़ियों को एक भाव-एक जुराव के साथ एकजुट होना होगा।

छत्तीसगढ़ियों में स्वाभिमान का अलख जगाते-जगाते मस्तुरिया अमर हो गए। मस्तुरिया जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब छत्तीसगढ़ी माध्यम के स्कूल खुलेंगे। सरकारी कामकाज छत्तीसगढ़ी में होंगे। मस्तुरिया जी के इन सपनों को पूरा करने के लिए मैं सभी छत्तीसगढ़ियों को मोर संग चलने का आह्वान करता हूं।

जिनके गीतों का सुनते मैं बड़ा हुआ- टंक राम वर्मा

मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि, मस्तुरिया जी के साथ कभी मिलना तो नहीं हुआ, लेकिन उनके गीतों को गुनाते हुए ही हम बड़े हुए हैं। पढ़ते-लिखते, खेतों में काम करते रहने के दौरान उनके गीतों को मैं गाते रहा हूं। वे छत्तीसगढ़ियों में स्वाभिमान जगाने वाले जनकवि रहे।

उन्होंने जो भी लिखा सब अंतस में बस जाने वाले गीत हैं। मैं इस मौके पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए यही कहूंगा कि छत्तीसगढ़ के लिए उनके जो सपने रहे उसे पूरा करने की दिशा में हम सब मिलकर काम करेंगे।

जब मैं रात-रात उन्हें कवि सम्मेलन में सुनता था- भूपेश बघेल

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, उनके साथ मैंने कई महत्वपूर्ण पल बिताए हैं। रात-रात भर मैं उन्हें कवि सम्मेलनों में सुनते रहा हूं। चंदैनी-गोंदा कार्यक्रम में उन्हें सुनने के लिए विशेष रूप से मैं जाता था। उनके गीत हमें छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान से भर देते हैं। मैं ही क्या छत्तीसगढ़ के सभी लोग उनके लिए हमेशा कर्जदार रहेंगे। वे सच्चे माटी-पुत्र थे। उन्होंने हमेशा अपना जीवन अल्हड़पन के साथ जीया।

उनके गीत गाकर कई लोग बन गए, ऊँचे मुकान पर पहुंच गए। उनके गीतों ने कई लोगों को नेता भी बनाया और चुनाव भी जीतवाया। मैं उन्हें याद करते हुए हमेशा भावुक हो जाता हूं। मोर संग चलव गीत रचकर उन्होंने छत्तीसगढ़ियों को एकजुट करने का काम किया है। वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए होने वाली पदयात्रा में शामिल होने की भी बात कही।

सब मस्तुरिया जी की देन है- अनुज शर्मा

अनुज शर्मा ने कहा कि, मस्तुरिया जी के साथ उनका पारिवारिक संबंध रहा है। मैं आज जो कुछ हूं। उसके पीछे मस्तुरिया जी का आशीर्वाद है। उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ाया. मेरे निवेदन पर मेरे लिए गीत लिखे।मेरी शादी का कार्ड भी उन्होंने छत्तीसगढ़ी में लिखा।

वें बेहद स्वाभिमानी रहे। उन्होंने कभी किसी से कुछ मांगा नहीं और किसी ने कुछ सुनाया तो फिर सुने भी नहीं। मनमौजी और फक्कड़ मिजाज के क्रांतिकारी व्यक्ति के धनी रहे मस्तुरिया जी।

मस्तुरिया जी ने मुझे स्थापित किया- सतीश जैन

छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता-निर्देशक सतीश जैन ने कहा कि, 2000 में जब मेरी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म रिलीज हुई तो इसने हिंदी फिल्मों का भी रिकार्ड तोड़ दिया था। इस फिल्म की सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान टाइटल सांग था। छइँहा-भुइँया ल छोड़ जवईया तयँ थिराबे कहाँ रे… जब मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण में लगा था तो मेरे पिता ने कहा था कि फिल्म तभी बनाना जब उसमें मस्तुरिया जी के गीत हो।

और देखिए कि मस्तुरिया जी के गीतों ने फिल्म को न सिर्फ हिट करा दिया था, बल्कि मुझे छत्तीसगढ़ी सिनेमा जगत में स्थापित कर दिया। मेरी कोशिश होगी कि मैं छत्तीसगढ़ के पुरखों पर फिल्म बना सकूं।

छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए 120 किलोमीटर पदयात्रा- लता राठौर

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच की अध्यक्ष लता राठौर ने महतारी अस्मिता, भाषा और स्वाभिमान पर बात करते हुए यह जानकारी दी कि मस्तुरिया जी के मोर संग चलव जैसे जनगीत को हम सब अब आंदोलन और जागरण गीत बनाकर काम करने वाले हैं।

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच की ओर से बिलासपुर से रायपुर तक 120 किलोमीटर की पदयात्रा छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए होगी। यात्रा को लेकर तैयारी जारी है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के ठीक बाद छत्तीसगढ़ी नियाय पदयात्रा होगी।

इस कार्यक्रम में जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के अध्यक्ष अमित बघेल, साहित्यकार डॉ. सुधीर शर्मा, संजीव तिवारी, मीर अली मीर पत्रकार रामअवतार तिवारी, बाबूलाल शर्मा, संदीप अखिल, देवेश अमोरा, डॉ. वैभव बेमेतरिहा, रंगकर्मी विजय मिश्रा, प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर, मिनेश साहू, ईश्वर साहू सहित कई गीतकारों, कलाकारों ने अपनी बात रखी।



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