अमित शाह ने छिपे हुए नक्सली से अपील की है कि वे तुरंत हथियार डाल दे।
भारत की केंद्र और प्रदेश की राज्य सरकार मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ और देश से नक्सलवाद खत्म कर देना चाहती है। इस मिशन में पहली कामयाबी मिली है। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का बड़ेसट्टी गांव अब नक्सल मुक्त हो गया है।
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शुक्रवार को इस गांव में सक्रिय अंतिम 11 नक्सलियों ने सरकार के सामने हथियार डाल दिए हैं। वहीं इस जिले में 22 नक्सलियों ने भी सरेंडर किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बल के जवानों और छत्तीसगढ़ पुलिस को बधाई दी है।
गृह मंत्री ने छिपे हुए नक्सलियों से अपील की कि वे मोदी सरकार की आत्मसमर्पण नीति को अपनाकर यथाशीघ्र हथियार डालें और मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2026 से पहले हम देश को नक्सलवाद के दंश से मुक्त करने के लिए संकल्पित हैं।
यथाशीघ्र हथियार डालें नक्सली – गृहमंत्री अमित शाह
केन्द्रीय गृह मंत्री ने ‘X’ पर पोस्ट में कहा कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में विभिन्न ऑपरेशन्स में कोबरा कमांडो और छत्तीसगढ़ पुलिस ने 22 कुख्यात नक्सलियों को आधुनिक हथियारों और विस्फोटक सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि सुकमा में 33 नक्सलियों ने सरेंडर कर मोदी सरकार की आत्मसमर्पण नीति पर विश्वास जताया है।
नई ग्रुप सरेंडर पॉलिसी
नई ग्रुप सरेंडर पॉलिसी के तहत नक्सली संगठन की किसी फॉर्मेशन इकाई के यदि 80 प्रतिशत या उससे अधिक सक्रिय सदस्य सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण करते हैं, तो उन्हें बड़ा फायदा मिलेगा। सरकार ने कहा है कि उनपर जारी इनाम डबल करके उन्हें दिया जाएगा।
सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर जैसे अति नक्सल प्रभावित जिलों में यदि किसी ग्राम पंचायत क्षेत्र में सक्रिय समस्त नक्सली व मिलिशिया सदस्य आत्मसमर्पण करते हैं, और ग्राम पंचायत को नक्सल मुक्त घोषित किया जाता है, तो वहां 1 करोड़ रूपए के विकासात्मक कार्य स्वीकृत किए जाएंगे।
गांव के विकास के लिए मिलेंगे 1 करोड़
गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि, छत्तीसगढ़ में नक्सल मुक्त होने वाली पंचायतों को सरकार 1 करोड़ देगी। इस राशि का उपयोग उन पंचायतों में आने वाले गांवों के विकास के लिए किया जाएगा। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 10 हजार रुपए की सहायता राशि और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिया जाएगा।
बल्क सरेंडर करने वालों को डबल सहायता राशि दी जाएगी। शहीद जवानों के परिवारों की सुनवाई हर दूसरे बुधवार को IG रेंज में होगी। वीर बलिदान योजना के तहत शहीदों की मूर्तियां लगाई जाएंगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
120 दिन में बदलेगी नक्सलियों की लाइफ
जंगलों में फोर्स से छुपकर उनपर हमला करने वाले या एनकाउंटर में मारे जाने वाले नक्सलियों का जीवन 120 दिन में सरकार बदलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी नई नक्सलवादी आत्मसमर्पण नीति 2025 में इसका बंदोबस्त किया है।
नई नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को ट्रांजिट कैंप या पुनर्वास केंद्र में रखा जाएगा। यहां उन्हें उनकी रुचि के अनुसार किसी न किसी हुनर में प्रशिक्षित किया जाएगा। पढ़ाया भी जाएगा।
3 साल तक हर महीने मानदेय
इतना ही नहीं, तीन साल तक हर महीने 10,000 रुपए मानदेय भी दिया जाएगा। आवास के लिए शहरी इलाके में प्लाट, ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि, स्वरोजगार और व्यवसाय से जुड़ने की योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
नक्सलियों के पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया 120 दिनों के भीतर पूरी करने का नियम तय किया गया है, ताकि नक्सली जल्द से जल्द समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।
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