जगराओं में लावारिश लाश का अंतिम संस्कार करता विशाल शर्मा
ना किसी से कोई रिश्ता और ना ही किसी से कोई नाता, फिर भी पंजाब के जगराओं का एक नौजवान अपने सभी काम-काज छोड़कर अकेले ही पिछले 4 सालों से अपने दम पर लावारिस शवों का संस्कार कर रहा है। यह नौजवान अब तक करीब 85 लावारिस शवों का संस्कार करवा चुका है।
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जगराओं में लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले युवक विशाल शर्मा ने बताया कि उसने कोरोना के समय में इस सेवा की शुरुआत तब की थी, जब कोविड से हुई मौत के बाद लोगों ने अपने ही माता-पिता, भाई-बहन के शवों को लेने से इनकार कर दिया था। तब उसने आगे कदम बढ़ाते हुए अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर इस सेवा की शुरूआत की। कोविड खत्म होने के बाद भी पुलिस वाले उसके पास लावारिस शव लेकर आने लगे तो उसने धीरे-धीरे इस सेवा को आगे बढ़ाकर लावारिस शवों का संस्कार करना शुरू कर दिया।
लावारिश शव का अंतिम संस्कार करता विशाल
धर्म के अनुसार किया जाता है अंतिम संस्कार
विशाल शर्मा ने बताया कि उसने अब तक 85 शवों का संस्कार किया है। उसने जाति-धर्म के भेदभाव के बिना उसके पास आने वाले लावारिश शवों का मृतक के धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया है। सबसे बड़ी राहत तो पुलिस महकमे को हुई जो लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार के लिए भटकती रहती थी। हर पुलिस कर्मियों को लावारिस शव को लेकर किसी ना किसी समाजसेवी की तलाश रहती थी, जोकि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी आदि का इंतजाम करवा दे। आज के समय में अमित संस्कार करने पर लगभग 6-7 हजार रूपए खर्च आता है, जोकि हर पुलिसकर्मी नहीं उठा सकता।
अब नगर निगम कोई नहीं जाता
लावारिस शवों के अंतिम संस्कार का जिम्मा जबसे विशाल शर्मा ने अपने कंधों पर उठाया है, तब से पुलिस ने नगर निगम जाना लगभग बंद कर दिया है। अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम तकनीकी पेचीदगियों से हर कोई परेशान हो जाता है। विशाल शर्मा ने बताया कि पुलिस द्वारा शव की पहचान को लेकर 72 घंटों तक अस्पताल में रखा जाता है। जब 72 घंटे बाद भी कोई परिजन नहीं आता तो पुलिस वाले उससे साथ संर्पक कर कानूनी कार्रवाई के बाद उन्हें संस्कार करने के लिये शव सौप देती है।
उन्होंने बताया कि, ऐसा नहीं है कि पुलिस वाले सिर्फ शव ही उसे सौंप देते हैं बल्कि शव का संस्कार करवाने में मदद भी करते हैं, ताकि शव का अंतिम सस्कार उसी व्यक्ति के धर्म अनुसार हो सके। उन्होंने बताया कि लावारिस लाशों का दाह संस्कार करने के बाद में अस्थियों का विसर्जन भी करते हैं, ताकि मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को शांति मिल सके।
लावारिश शव का अंतिम संस्कार करता विशाल
हरिद्वार जाकर करते हैं अस्थि विसर्जन
उन्होंने बताया कि लावारिस लाशों के साथ ही उन गरीब लोगों के शवों का दाह संस्कार करने का भी कार्य कर रहे हैं, जिनके पास विधि विधान से अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं।उन्होंने कहा कि शहर के निवासियों से पैसे एकत्रित कर इस सेवा को पूरा करते हैं। पुलिस द्वारा लावारिस लाश संबंधी सूचना दी जाती है। जिसके बाद वह शव के अंतिम संस्कार के लिए डोनर की तलाश में जुट जाते हैं, क्योंकि संस्कार और अस्थियों के विसर्जन पर लगभग करीब 7 हजार रुपए खर्च आता है।
पांच गरीब लोगों को कराते हैं भोजन
उन्होंने बताया कि, पुलिस द्वारा लावारिश लाश की बाबत उन्हें सूचना दी जाती है, जिसके बाद वह दानी लोगों के सहयोग से इस कार्य को पूरा करते हैं। उन्होंने बताया कि शव के श्मशान घाट पहुंचने से पहले ही करीब पौने सात मन (पौने चार क्विंटल) लकड़ी, दो किलो घी, हवन सामग्री समेत अन्य समान आदि लेकर शव का दाह संस्कार की पूरी तैयारी कर ली जाती है, ताकि पुलिस वाले आकर संस्कार करवा दें। फिर अगले दिन अस्थियां भी चुगते हैं। इन अस्थियों को लेकर हरिद्वार जाकर विसर्जन, तर्पण करवाकर बाकायदा पूजा-पाठ के साथ पांच गरीब लोगों को भोजन करवाता है। उन्होंने कहा कि अब तक 85 शवों का संस्कार कर चुका है।