मुरैना जिले में हुए जौरा जनपद अधिकारी हत्याकांड में विशेष न्यायालय (एट्रोसिटीज एक्ट) ने बड़ा फैसला सुनाया है। आठ आरोपियों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित एक जनपद अधिकारी की हत्या और अन्य लोगों की ह
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मामला 7 अगस्त 2019 को घटित हुआ था, जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया था।
जौरा थाना अंतर्गत ग्राम बिलगांव के पास जनपद पंचायत जौरा के अधिकारी शिवचरन शाक्य की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि साथ में मौजूद अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना की रिपोर्ट आहत सुभाष सिंह उर्फ पप्पू सिकरवार ने मुरैना अस्पताल चौकी पर दर्ज कराई थी।
यह था मामला सुभाष सिंह ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वे अपनी एसयूवी कार से अपने बेटे सौरभ, सहकर्मी शिवचरन शाक्य, जगन्नाथ सिकरवार और सतेन्द्र सिकरवार के साथ जौरा से मुरैना लौट रहे थे। जैसे ही वे बिलगांव पुलिया के पास पहुंचे, अचानक सफेद रंग की स्कॉर्पियो और बोलेरो गाड़ियों ने उनकी कार को ओवरटेक कर रोका और दोनों ओर से फायरिंग शुरू कर दी।
गाड़ी को रोक की फायरिंग फायरिंग के दौरान आरोपी रामराज बंदूक लेकर आगे की गाड़ी से उतरा, जबकि स्कॉर्पियो से कल्लू उर्फ रामकिशोर, प्रदीप सिकरवार, शिवराज सिकरवार व अन्य आरोपी हथियारों के साथ बाहर आए। अंधाधुंध फायरिंग में आरोपी कल्लू द्वारा चलाई गई गोली शिवचरन शाक्य को लगी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। साथ ही सुभाष सिंह और जगन्नाथ सिकरवार को भी गोलियां लगीं।
इस हमले में फरियादी के पुत्र सौरभ ने साहस दिखाते हुए वाहन भगाया और सभी लोग किसी तरह वहां से निकलकर मुरैना अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने शिवचरन को मृत घोषित कर दिया, जबकि घायलों का इलाज कराया गया।
पुलिस ने किया मामला दर्ज घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आया और तत्काल प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच प्रारंभ की गई। गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री आशुतोष बागरी के निर्देशन में विशेष जांच दल गठित कर आरोपियों की पहचान, गिरफ्तारी और साक्ष्य संकलन का कार्य तेजी से किया गया।
12 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज विवेचना के पश्चात कुल 12 आरोपियों के विरुद्ध अपराध प्रमाणित पाए जाने पर विशेष न्यायालय (एट्रोसिटीज एक्ट) मुरैना में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से प्रभारी उप-संचालक (अजाक) अब्दुल नसीम एवं विशेष लोक अभियोजक इन्द्रेश कुमार प्रधान ने प्रभावी पैरवी की।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान अदालत में मौखिक, दस्तावेजी और वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, जिनके आधार पर न्यायालय ने आरोपीगण – कल्लू उर्फ रामकिशोर, शिवराज, राजेश, रामराज, मुकेश, प्रदीप, सुरेन्द्र और रवि – को हत्या, हत्या का प्रयास, अनुसूचित जाति पर अत्याचार और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और आर्थिक दण्ड से दंडित किया।
तीन आरोपी दोष मुक्त विशेष न्यायाधीश ने साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपियों – हंसराज, नीरू उर्फ नीरज और अनिल – को दोषमुक्त कर दिया, जबकि एक अन्य आरोपी रामू की फरारी के चलते उसके विरुद्ध अभी कोई निर्णय नहीं दिया गया है।